जिनसे वह प्रसन्न है उनको शान्ति मिले

“और इसका तुम्हारे लिए यह चिह्न होगा कि तुम एक बच्चे को कपड़े में लिपटा और चरनी में लेटा हुआ पाओगे।” तब एकाएक उस स्वर्गदूत के साथ स्वर्गदूतों का एक समूह परमेश्वर की स्तुति करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दिया, “आकाश में परमेश्वर की महिमा, और पृथ्वी पर मनुष्यों में शान्ति हो जिनसे वह प्रसन्न है।” (लूका 2:12–14)

शान्ति किसके लिए है? स्वर्गदूतों के स्तुति गान में एक गम्भीर सन्देश है। उन लोगों के बीच शान्ति जिन पर उसका अनुग्रह बना हुआ है। उन लोगों के बीच में शान्ति जिनसे वह प्रसन्न है। परन्तु विश्वास के बिना परमेश्वर को प्रसन्न करना असम्भव है (इब्रानियों 11:6)। इसलिए, क्रिसमस सभी के लिए शान्ति नहीं लाता है।

“और दोष यह है,” यीशु ने कहा, “कि ज्योति जगत में आ चुकी है, परन्तु मनुष्यों ने ज्योति की अपेक्षा अन्धकार को अधिक प्रिय जाना, क्योंकि उनके कार्य बुरे थे” (यूहन्ना 3:19)। या जैसा कि वृद्ध शमौन ने कहा जब उसने बालक यीशु को देखा, “देख, यह बालक इस्राएल में बहुतों के पतन व उत्थान का कारण और ऐसा चिह्न होने के लिए ठहराया गया है जिसका विरोध किया जाएगा . . . जिससे कि बहुतों के हृदय के विचार प्रकट हो जाएँ” (लूका 2:34–35)। ओह, कितने ही ऐसे लोग हैं जो क्रिसमस के धूमिल और ठंडे दिन में बाहर देखते हैं और वे मात्र यही देखते हैं—एक चिह्न जिसका विरोध किया जाना है।

“वह अपनों के पास आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास करते हैं” (यूहन्ना 1:11–12)। यीशु ने यह बात केवल अपने चेलों से कही, “मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूँ; अपनी शान्ति तुम्हें देता हूँ; ऐसे नहीं देता जैसे संसार तुम्हें देता है। तुम्हारा मन व्याकुल न हो, और न भयभीत हो” (यूहन्ना 14:27)।

वे लोग जो परमेश्वर की उस शान्ति का आनन्द लेते हैं जो समझ से परे हैं, ये वे लोग हैं जो प्रत्येक बात में प्रार्थना और निवेदन के द्वारा अपनी विनती धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख प्रस्तुत करते हैं (फिलिप्पियों 4:6–7)।

परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर विश्वास करना ही परमेश्वर की शान्ति के धन के संदूक को खोलने की कुँजी है। इसलिए, पौलुस प्रार्थना करता है कि, “अब आशा का परमेश्वर तुम्हें विश्वास करने में सम्पूर्ण आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे” (रोमियों 15:13)। और जब हम परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर विश्वास करते हैं और आनन्द और शान्ति और प्रेम रखते हैं, तो परमेश्वर महिमान्वित होता है।

आकाश में परमेश्वर की महिमा, और पृथ्वी पर मनुष्यों में शान्ति हो जिनसे वह प्रसन्न है! उस प्रत्येक जन से—अर्थात् प्रत्येक जन समूह, भाषा, जनजाति और राष्ट्र से—जो  उस पर विश्वास करे।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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