आपके पाप के बिना एक जीवन की कल्पना करें। यदि आप ख्रीष्ट में आशा रखते हैं, तो एक दिन आप एक ऐसे जगत में चले जाएँगे जिसमें आपके लिए पाप करना अब सम्भव ही नहीं होगा। न केवल प्रलोभन स्वयं विलुप्त हो जाएगा, परन्तु आप में कोई भी कण जो सम्भवतः पाप की ओर खींचा जा सकता था, शल्य चिकित्सा द्वारा हटा दिया जाएगा, और फिर कभी नहीं प्रकट होगा। आपका नया शरीर — नया हृदय, नए हाथ, नया मुँह — उस पाप से कभी नहीं मिलेगा जिसे आप इतने लम्बे समय से जानते थे। आपकी आजीवन विपत्ति दूर की जाएगी।
आप इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि आप कितने पापरहित होंगे, और अन्त में स्वतन्त्र होना कितना आनन्ददायक होगा। जो पाप हम में बना रहता है, उसने हमें मूल रूप से, अपने प्रति अटल रीति से सन्देहास्पद बना दिया है। आज तक, हम केवल उस अस्थिर भूमि पर ही खड़े हुए हैं जो वास्तविक किन्तु अधूरी धार्मिकता पर टिका हुआ है। प्रत्येक विचार, प्रत्येक शब्द, भलाई का प्रत्येक कार्य हमारे अधर्म के बुझते अंगारों से रंगा हुआ है। हममें से कुछ भाग, भले वह कितना ही छोटा क्यों न हो, — स्वार्थ, आलस्य, असुरक्षा, मनुष्य का भय, लालच, वासना, सन्देह की ओर खिच गया है।
परन्तु, एक पल के लिए, एक ऐसा संसार की कल्पना कीजिए जिसमें आपके विशेष पाप नहीं होंगे। आपके किसी भी पाप के बिना। न केवल आप फिर कभी इन पापों को करेंगे, परन्तु कोई और भी नहीं करेगा – कभी भी नहीं।
कुछ भी अशुद्ध प्रवेश नहीं करेगा
जब हम नई और स्थायी पृथ्वी की सड़कों पर चलेंगे, तो हम व्यर्थ ही पाप की खोज करेंगे।
हम पड़ोस में घूमेंगे, और अपने पड़ोसी से कभी ईर्ष्या नहीं करेंगे — या वे हमसे ईर्ष्या नहीं करेंगे। हम घरों में आया-जाया करेंगे, वार्तालाप करेंगे, और कभी भी क्रोध का सामना नहीं करेंगे। हम निरन्तर भोजन करेंगे, प्रत्येक भोज पृथ्वी पर चखे गए भोज से अधिक स्वादिष्ट और अर्थपूर्ण होगा, और फिर भी अत्यधिक भोजन के लिए अस्वस्थ लालसा का अनुभव नहीं करेंगे।
हम गतिविधि, रचनात्मकता और उद्योग से भरे नगरों में जाएँगे, और फिर भी स्वार्थ या लालच के प्रति आवेग को कभी भी उजागर नहीं करेंगे। हम सम्पूर्ण संसार में घूमेंगे, और फिर भी हम उन बातों से अप्रसन्न नहीं होंगे जो हमारे पास नहीं है या जो हमने अभी तक नहीं किया है, और हम कभी नहीं चाहेंगे कि हमारे पास किसी और से अधिक हो। हम सप्ताहों के लिए, कार्य और विश्राम के करेंगे और फिर कभी आलस्य से प्रलोभित नहीं होंगे। हम कार्य करेंगे, परन्तु कभी थकाने वाला परिश्रम नहीं करेंगे। हम विश्राम का आनन्द लेंगे, किन्तु कभी भी आलस्य में नहीं पड़ेंगे।
सम्भवतः हम इन्टरनेट (या हमारे पास जो भी गौरवशाली तकनीकी है) पर खोज कर सकते हैं, और फिर भी एक अरब बार खोजों के पश्चात कभी भी ऑनलाइन (या हम में!) कुछ भी नहीं मिलेगा जो हमें वासना की ओर ले जाए। वास्तव में, हमें कभी भी ऐसा कुछ नहीं मिलेगा जो हमारे हृदयों को यीशु से अधिक आनन्द दे जितना कि किसी को भी अश्लील साहित्य में मिला है।
नई पृथ्वी के विषय में प्रकाशितवाक्य 21:27 कहता है: “उसमें कोई अपवित्र वस्तु या कोई घृणित कार्य अथवा झूठ पर आचरण करने वाला उसमें प्रवेश न करेगा, परन्तु केवल वे जिनके नाम मेमने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।” यूहन्ना ने उस घर को देखा जिसे परमेश्वर हमारे लिए बनाएगा, और वह सम्पूर्ण रीति से पाप से मुक्त था। ख्रीष्ट के साथ हमारे अनन्तकाल को कोई भी अपवित्र वस्तु कभी भी प्रवेश करके या बाधित नहीं करेगा।
पाप के समस्त कारण
जिस पाप ने एक बार जगत का विनाश कर दिया, वह पहले ही विश्व के लिए युद्ध में पराजित हो चुका है, और एक दिन इसे प्रत्येक घर और परिवार से, प्रत्येक पड़ोस से, प्रत्येक सरकार और राष्ट्र से, सम्पूर्ण पृथ्वी से — और आपसे, बलपूर्वक हटा दिया जाएगा। जब यीशु युग के अन्त का वर्णन करता है, तो वह कहता है,
मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा जो उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों तथा कुकर्मियों को एकत्रित करेंगे और उन्हें आग के भट्ठे में डालेंगे। वहाँ रोना और दांत पीसना होगा। तब धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे। जिसके कान हों वह सुन ले। (मत्ती 13:41-43)
पुत्र न केवल पाप को अपने नए राज्य से निर्वासित करेगा, किन्तु वह पाप के हर कारण को भी दूर करेगा। स्वर्ग में कुछ भी हमें कभी भी पाप करने के लिए प्रलोभित नहीं करेगा।
यदि हम पापरहित होंगे, और पाप करने के लिए कभी भी प्रलोभित नहीं होंगे, तो परमेश्वर को कारणों को क्यों दूर करना पड़ेगा?
क्योंकि, उसकी बुद्धियुक्त योजना और सिद्ध जलन में, एक ऐसा संसार की महिमा अधिक होगी जिसमें प्रलोभन न हों, एक संसार से जिसमें प्रलोभन पराजित किए गए हैं।
सभी प्रलोभनों की अनुपस्थिति के कारण वह चौंका देने वाली चुप्पी सदा काल तक प्रमाणित करेगी कि हमारा राजा अपने राज्य में हर एक कार्य और इच्छा पर कितना सम्प्रभु है।
इससे पहले कि हम नई पृथ्वी पर एक पैर रखें, वह सब कुछ जो हमें नाश कर सकता था, पहले ही नाश किया जा चुका होगा। हम यहाँ ख्रीष्ट में जिन आशीषों का आनन्द लेते हैं, वे अधिक पूर्ण, अधिक गहरी, अधिक दृढ़ से परिपूर्ण होंगी। और पाप के विरुद्ध सभी चेतावनियाँ दूर हो जाएँगी — इसलिए नहीं कि पाप कम गम्भीर होगा, किन्तु इसलिए कि पाप पूरी रीति से मिटा दिया जा चुका होगा।
ओह, वह दिन
और न केवल वह पाप जो बाहर है — हमारे सम्बन्धों में, हमारे कार्यस्थलों पर, इन्टरनेट पर — परन्तु वह पाप जो हमारे भीतर है। वास्तव में हमारा प्रत्येक पाप, बाहर संसार के या किसी और टूटेपन से नहीं, किन्तु हमारे भीतर से आता है (मरकुस 7:20-23)। यौन अनैतिकता, व्यभिचार, वासना; हत्या और क्रोध; लालच और ईर्ष्या; छल, निन्दा और अहंकार — इन सभी की जड़; उनके कारणों का कारण, हमारे अपने हृदय में हैं। और जब हम अपने राजा को देखेंगे, तो वह अपनी धधकती भट्ठी में हर प्रकार के आवेग या इच्छा या आदत को डाल देगा।
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, कि रॉबर्ट रॉबिन्सन के शब्द तीन सौ वर्ष के पश्चात भी हमारे अन्दर इतनी गहराई से क्यों गूँजते हैं:
ओह, वह दिन, जब पाप करने से स्वतन्त्र होकर
मैं तेरा सुन्दर चेहरा देखूँगा
लहू से धुले हुए वस्त्र पहने
तेरे अद्भुत अनुग्रह के गीत मैं क्या ही गाऊँगा
आ, मेरे प्रभु, अब और विलम्ब मत कर
मेरे छुड़ाए हुए प्राण को दूर ले चल
मुझे अनन्त दिन के राज्य में ले जाने के लिए
अपने स्वर्गदूतों को अभी भेज।
सम्भवतः पापरहित स्वर्ग की सबसे सुन्दर आशा मेरा पापरहित होना है। यह प्रगति-कर-रहे-कार्य, परमेश्वर का प्रायः भटकने वाला पुत्र जानता है कि पाप कितना कठोर हो सकता है, यहाँ तक कि क्षमा किया हुआ पाप भी। इसलिए मैं 1 यूहन्ना 3:2 के शब्दों को संजोता हूँ: “हम जानते हैं कि जब वह प्रकट होगा, तो हम उसके समान होंगे, क्योंकि हम उसे वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।” वास्तव में राजा यीशु को देखना — संसार को उठाने के लिए पर्याप्त रीति से दृढ़ वास्तविक कन्धे, बिजली की आग से भरी वास्तविक आँखें,, हमारे ऋण का भुगतान करने के लिए छेदे गये वास्तविक हाथ और पैर, एक स्नेही और बुद्धि से परिपूर्ण तथा निश्चित वास्तविक मुस्कान — उसे देखना — वास्तव में उसे देखना, इतना आश्चर्यजनक, इतना प्राणपोषक, इतना संतोषजनक होगा, कि हम शुद्ध कर दिए जाएँगे।
उसे वैसे ही देखना जैसे वह अब है, हमें वह बना देगा जो हम पहले कभी नहीं थे।
ओह, आज जब पाप करने से स्वतन्त्र होकर
यह जानकर कि हम उसे एक दिन देखेंगे, यह आज हमें एक भिन्न व्यक्ति बना देगा। यूहन्ना की अगली पंक्ति प्रलोभन के विरुद्ध हमारी वर्तमान लड़ाई के साथ भविष्य की पापरहित स्थिति की आशा को जोड़ती है।
और प्रत्येक जो उस पर ऐसी आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है जैसा कि वह पवित्र है। (1 यूहन्ना 3:3)
या जैसा कि मत्ती 5:8 में यीशु कहता है, “धन्य हैं वे, जो मन के शुद्ध हैं [आज!], क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे” — तथा और अधिक शुद्ध किए जाएँगे। स्वर्ग की आशा का सम्बन्ध बहुत अधिक पाप के विरुद्ध युद्ध करने से है, क्योंकि हम जानते हैं कि यह युद्ध कैसे समाप्त होता है और एक दिन हम कौन होंगे। हम जो भी प्रगति करते हैं, वह इसलिए है क्योंकि हमारी महान आशा, भविष्य में हम जो होंगे, तथा हमारी प्रतिज्ञा का देश, का प्रभाव अब हो रहा है।
जब कि हम स्वर्ग की प्रतीक्षा करते हैं और अपने पाप से लड़ते हैं, तो हमें पीछे मुड़कर सन्त्रास के साथ देखना चाहिए, कि कैसे परमेश्वर ने पूरी बाइबल में पाप से घृणा की है और उसका न्याय किया है (1 कुरिन्थियों 10:6)। और परमेश्वर चाहता है कि हम आगे देखें कि हम कितने पापरहित होंगे, यह जानते हुए कि उसको देखने के बाद हममें कोई भी अशुद्ध बात नहीं बची रह पाएगी। और फिर वह चाहता है कि, हमारे पीछे और हमारे सामने आँखों के साथ, और हमारे लिए परमेश्वर के साथ, और हम में उसके आत्मा के साथ, हा जाएँ और फिर पाप न करें।