ख्रीष्टियों का लक्ष्य: पुनरुत्थान को प्राप्त करना।

हम अपने परिवार में, समाज में, स्कूल में, ऑफिस में, मित्रों के मध्य, चारों ओर दृष्टि डालते हैं तो हम पाते हैं कि सबके पास इस संसार में प्राप्त करने के लिए सपने हैं। स्कूल जाने वाले एक छोटे बच्चे के पास भी भविष्य में करने के लिए लक्ष्य है। कोई, डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, शिक्षक, वैज्ञानिक, व्यवसायी, अभिनेता, खिलाड़ी बनना चाहता है और परिवार, समाज का नाम ऊँचा करना चाहता है। कोई समाज को सुधारने का लक्ष्य लेके समाज सुधारक बनता है। कोई अपने जीवन को देश की सेवा, समाज की सेवा, माता-पिता की सेवा करने में बिताना चाहता है। अत: हम पाते हैं कि सब कुछ न कुछ लक्ष्य के साथ इस जीवन को जीने का प्रयास करते हैं, जिसको वे इस जीवन में प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हैं। 

किन्तु एक ख्रीष्टीय का लक्ष्य क्या है? हम और आप किस बात के लिए जीवन जी रहे हैं? हमें क्या मिलेगा? हमारे साथ क्या होने वाला है कि हम प्रभु को थामे रहें और उसके पीछे चलें? वह है पुनरुत्थान को प्राप्त करना। 

जो स्वयं जीवित है उसके पास सामर्थ्य है कि हमारी देह को भी मृतकों में से जीवित करे।

यीशु पुनरुत्थित हुआ है इसलिए हमारा पुनरुत्थान निश्चित है: क्या हम और आप इसके विषय में अपने जीवन में विचार करते हैं कि हम यद्यपि यहाँ पर भारत देश के नागरिक हैं किन्तु हमारी वास्तविक नागरिकता तो स्वर्ग की है!(फिलिप्पियों 3:20)। हमारा स्थायी नगर यहाँ नहीं है। हम आने वाले नगर की प्रतीक्षा में हैं (इब्रानियों 13:14)।

इस संसार में दुख, पीड़ा सहते हुए, हम अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के आगमन की प्रतिक्षा कर रहे हैं (फिलिप्पियों 3:20)। हमारा उद्धारकर्ता यीशु क्रूस पर मारा गया, गाड़ा गया और तीसरे दिन जी भी उठा (1 कुरि 15:4)। उसने मृत्यु का नाश कर दिया। इसलिए जी उठे यीशु के कारण हमारे पास आश्वासन है कि हम जिलाए जाएँगे (यूहन्ना 11:25)।

हमारी देह का पुनरुत्थान होना निश्चित है, यदि पुनरुत्थान नहीं है तो हमारा विश्वास करना व्यर्थ है (1 कुरि 15:12-17)। जब हम इस बात पर निश्चिन्त होते हैं कि हमारा पुनरुत्थान होगा। इसीलिए विश्वासी मृत्यु से भयभीत नहीं होते हैं क्योंकि मृत्यु हमारी कहानी को समाप्त नहीं कर सकती। मुत्यु के बाद हमारा पुनरुत्थान होगा क्योंकि यीशु जी उठा है। यह सबसे बड़ा प्रमाण है। इसीलिए जो स्वयं जीवित है उसके पास सामर्थ्य है कि हमारी देह को भी मृतकों में से जीवित करे। 

केवल इतना ही नहीं कि हम जीवित होंगे किन्तु हमें पुरस्कार मिलेगा। हम जिस उद्देश्य के लिए, जिस मकसद से यीशु के पीछे चल रहे हैं, यीशु हमें वह प्रदान करेंगे। 

यीशु जो देह देगा वह उसकी महिमान्वित देह के समान होगी जो पाप के प्रदूषण, प्रभाव से मुक्त होगी।

यीशु सामर्थी है वह हमारी दीन-हीन देह का रुप बदलकर महिमामय देह कर देगा: हम इस पाप से प्रभावित संसार में हैं, और हमारी देह पाप के प्रभाव में है। हमारी देह में बिमारी, दुख, पीड़ा है। हम धीरे-धीरे जैसे वृद्ध होंगे, हम निर्बल होते जाएँगे, हमारी देह क्षीण होती जाएगी। और यहाँ तक कि यह देह जो मिट्टी से बनी है, मिट्टी में मिल जाएगी।

परन्तु स्मरण रखें यीशु सामर्थी है। यीशु ख्रीष्ट अभी परमेश्वर के दाहिने हाथ विराजमान है। एक दिन वह इस संसार में महिमा और वैभव के साथ आने वाला है। उसके पास सामर्थ्य है, इसलिए वह सब कुछ को अपने वश में कर सकता है। सब कुछ उसके नियन्त्रण में है। वह अपने जैसा देह हमें प्रदान करेगा (फिलिप्पियों 3:21)।

जब वह आएगा तो वह हमें नई देह प्रदान करेगा, जो महिमान्वित होगी। जो उसकी देह के समान होगी। यीशु जो देह देगा वह उसकी देह के समान होगी। जो पाप के प्रदूषण, प्रभाव से मुक्त होगी। जिसमें बिमारी, क्लेश, दुख, दर्द और कराहना नहीं होगा। यहाँ की देह तो हमारे मरने के बाद नष्ट हो जाएगी किन्तु वह देह चिरस्थायी रहेगी (2 कुरि 5:1-4)। 

इसलिए हमारी देह यहाँ पर भले ही किसी भी स्थिति में हो, चाहे हम सड़क दुर्घटना में मरें, चाहे हमारी लाश मिले या न मिले। या मृत्यु के बाद हमारी देह को उचित अन्तिम संस्कार दिया जाए या न दिया जाए। किन्तु स्मरण रखें, हमें भविष्य में यीशु ऐसी देह देगा जिसको हम स्वयं के प्रयास से प्राप्त नहीं कर सकते। उस महिमान्वित देह को पाना हमारा सौभाग्य है जो यीशु के अनुग्रह द्वारा हमें मिलेगा। 

क्या आपने अपने जीवन के लक्ष्य के विषय में विचार किया है? परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु के द्वारा हमारा उद्धार किया है। उसने हमें मृतकों में से जिलाया कि हम सदा तक उसके साथ रहें। उसने हमारी आत्मा को जीवित किया। और एक समय आ रहा है कि हम मरेंगे और उसके बाद यीशु हमें नई देह प्रदान करेगा। इसलिए हमारा इस पृथ्वी पर का जीवन उसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अग्रसर होना चाहिए। 

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नीरज मैथ्यू
नीरज मैथ्यू
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