इस संसार में जन्मदिन का मनाया जाना कोई नई और अद्भुत बात नहीं है। परन्तु आज हम इस लेख में, एक ऐसे बालक के विषय में बात करेंगे जो आज से लगभग 2022 वर्ष पूर्व एशिया महाद्वीप के मध्य-पूर्वी देश – इस्राएल के बैतलहम में जन्मा। जिसका जन्म जगत में और मानव इतिहास में एक अद्भुत, चौंका देने वाला, और हम सब के मन को आनन्द से प्रफुल्लित कर देने वाला है। कौन है वह बालक? उसका नाम क्या है, जिसके जन्मोत्सव को आज भी हम हर्षोल्लास से मनाते हैं? इस लेख में उसके उपनामों के आधार पर जानेंगे कि वह कौन है?
वह “यीशु” है।
“यीशु” नाम का अर्थ – उद्धारकर्ता या बचाने वाला है। यीशु के जन्म से पूर्व ही स्वर्गदूत ने मरियम के मंगेतर यूसुफ को बता दिया था कि “जो बालक मरियम के गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। वह पुत्र को जन्म देगी, और तू उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा ” (मत्ती 1:21)।
यीशु का जन्म मानव इतिहास में, समस्त समयकाल हेतु अद्भुत, महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करता है। यीशु ने इस संसार में बालक के रूप में देहधारी होकर चरनी में जन्म लिया, जिससे वह पाप, मृत्यु, और शैतान की दासता में जकड़े हुए लोगों का छुटकारा करे। हमने अब तक देखा कि यह बालक एक सामान्य बालक नहीं है, परन्तु यह बालक तो “यीशु” है अर्थात् हमारा उद्धारकर्ता है। इस बालक का नाम व शीर्षक अत्यन्त ही महान है। यीशु नाम उसके कार्य को प्रकट करता है।
वह बालक प्रतिज्ञात “मसीहा” है।
“मसीह” शब्द इब्रानी भाषा के “मसायाह” शब्द से आता है तथा “ख्रीष्ट” शब्द यूनानी भाषा के “ख्रिष्टॉस” व अंग्रेजी के “क्राइस्ट” शब्द से आता है जिसका अर्थ “अभिषिक्त जन या मस्सा किया हुआ जन” है। “मसीहा” का विचार बाइबल में विशिष्ट है। “मसीहा” वह परमेश्वर का अभिषिक्त सामर्थी राजा या जन है, जो अपने लोगों को उनके पापों से छुड़ाएगा और शान्ति को स्थापित करेगा। यह बात यीशु ख्रीष्ट में पूर्ण होती है। इस मसीहा की प्रतिज्ञा उत्पत्ति 3 से लेकर सम्पूर्ण पुराने नियम में पायी जाती है। मानव इतिहास में महान पतन के पश्चात परमेश्वर ने लोगों का उद्धार व शान्ति, समस्त बातों की पुनर्स्थापना उस मसीहा के द्वारा स्थापित किया जाना नियुक्त किया। इसलिए बाइबल का प्रथम भाग (पुराना नियम) भविष्य में आने वाले मसीहा की ओर इंगित करता है। भूतपूर्व में परमेश्वर के लोगों ने उस आने वाले मसीहा की प्रतीक्षा करते हुए जीवन को जिया। इसलिए हम बड़े ही सौभाग्यशाली हैं कि मसीहा हमारे लिए यीशु के रूप में इस संसार में आ गया।
संसार का सृजनहार परमेश्वर, मसीहाई राजा या अभिषिक्त जन, समस्त ब्रह्माण्ड का प्रभु, त्रिएक परमेश्वर का द्वितीय जन देहधारी होकर चरनी में आ गया, जिससे कि हमको पाप और मृत्यु से छुड़ा ले। यह मसीहा दुःख उठाने वाला दास बनकर हमारे लिए जिया और उस कलवरी क्रूस पर हमारे लिए बलिदान हो गया (यशायाह 53:2-12, फिलिप्पियों 2:6-11)। वह देहधारी मसीहा हमारे स्थान पर क्रूस के ऊपर बलिदान हो गया, वह मारा गया, गाड़ा गया और तीसरे दिन मृतकों में से जी उठा। इसके पश्चात वह स्वर्ग पर उठा लिया गया और आज वह स्वर्ग में सिंहासन पर विराजमान है।
वह बालक समस्त ब्रह्माण्ड का “प्रभु” है।
“प्रभु” का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है, जिसके पास प्रभुता हो, समस्त अधिकार हो, जो सब कुछ पर शासन करता हो, जो सब कुछ को नियंत्रित करता हो, ऐसे जन को प्रभु कहा जाता है। ऐसी प्रभुता व अधिकार केवल स्वयं त्रिएक परमेश्वर के पास है, जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का सृजनहार और पालनहार है। वह बालक जिसने दो हज़ार वर्ष पूर्व जन्म लिया, वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है, परन्तु त्रिएक परमेश्वर का द्वितीय जन है, जिसके पास प्रभुता है। जिसके जन्म की प्रतिज्ञा यशायाह नबी के द्वारा 700 ईसा पूर्व की गई थी – “हमारे लिए एक बालक उत्पन्न होगा, हमें एक पुत्र दिया जाएगा; और प्रभुता उसके काँधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत करने वाला, पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। उसकी प्रभुता की बढ़ती का और उसकी शान्ति का अन्त न होगा। ” (यशायाह 9:6-7)।
यह बालक यहूदा के कुल से निकलने वाला शासक अर्थात् प्रभु है (मीका 5:2)। यह शासक दाऊद की सन्तान है, वह न केवल उसकी सन्तान है वरन उसका प्रभु भी है (मत्ती 1:1, लूका 2:11, मरकुस 12:35-37, भजन संहिता 110:1)
यह बालक दानिय्येल 7:13-14 में पाया जाने वाला मनुष्य का पुत्र है जिसे प्रभुता, महिमा और राज्य दिया गया है। जिसका प्रभुत्व व सिंहासन सनातनकाल तक अटल है और जिसका राज्य अविनाशी है (दानिय्येल 7:13-14, 2 शमूएल 7:14)।
जब सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का प्रभु परमेश्वर देहधारण करके एक बालक (यीशु) के रूप में जन्मा, तो स्वर्गदूतों के द्वारा स्तुति की गई और आनन्द मनाया गया। स्वर्गदूतों ने इस बात का सन्देश दिया और पुष्टि किया, कि “दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए उद्धारकर्ता जन्मा है और यही मसीह प्रभु है” (लूका 2:11)।
वास्तव में, यह बालक यीशु ही है जो हमारा प्रभु और ख्रीष्ट है – “परमेश्वर पिता ने उसे वह नाम प्रदान किया जो सब नामों में श्रेष्ठ है, कि यीशु के नाम पर प्रत्येक घुटना टिके, चाहे वह स्वर्ग में हो या पृथ्वी पर या पृथ्वी के नीचे, और परमेश्वर पिता की महिमा के लिए प्रत्येक जीभ अंगीकार करे कि यीशु ख्रीष्ट ही प्रभु है” (फिलिप्पयों 2:9-11)।
इसलिए प्रिय भाइयो और बहनो, हमारे लिए ख्रीष्ट-जन्मोत्सव हर्षोल्लास की बात है, क्योंकि हमारा प्रभु स्वयं प्रतिज्ञात मसीहा के रूप में देहधारी होकर चरनी में आ गया, जिससे वह हम लोगों का पापों से उद्धार करे। इसलिए मैं आप से विनती करना चाहूँगा कि यीशु के पास आइए और उसको अपने जीवन का प्रभु स्वीकार करें।