ख्रीष्ट का सुसमाचार पापों की क्षमा और मेल-मिलाप का सुसमाचार है। हम सब ने पाप किया और परमेश्वर के शत्रु बन गए और उसके क्रोध के नीचे थे, परन्तु हमारा प्रिय प्रभु यीशु ख्रीष्ट हमारे पाप क्षमा करने और परमेश्वर से हमारा मेल-मिलाप करवाने आया। उसने अपने जीवन, मृत्यु और पुनुरुत्थान के द्वारा हमे परमेश्वर के मित्र और सन्तान बना दिया। परन्तु ख्रीष्ट हमारा केवल परमेश्वर से ही मेल-मिलाप नहीं करवाता, वह हम मनुष्यों को एक-दूसरे के साथ के सम्बन्ध को भी बदलता और मेल-मिलाप कराता है। उसकी देह में यहूदी व अन्यजातीय, स्वतन्त्र व दास, पुरुष व स्त्री सब एक हो जाते हैं (गलातियों 3:28; इफिसियों 2:12-14)।
हम विश्वासी अब मेल-मिलाप के सुसमाचार के प्रचारक हो गए हैं और मनुष्यों के बीच में भी आपस में मेल करवाने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। प्रेरित पौलुस अपनी सेवकाई में ऐसा ही करता है। इसका जीवन्त और ह्रदय-स्पर्शी उदहारण हम पौलुस के द्वारा फिलेमोन को लिखे पत्र में देखते हैं, जिसमें वह फिलेमोन और उनेसिमुस का मेल-मिलाप करवाना चाहता है।
उनेसिमुस फिलेमोन का निक्कमा दास था, जो कि उसके यहाँ से चोरी करके भाग गया था। परमेश्वर के अद्भुत प्रावधान के अन्तर्गत वह पौलुस से मिला, उससे सुसमाचार सुना और उसका उद्धार हो गया। पौलुस इस उनेसिमुस को उसके स्वामी फिलेमोन के पास भेजता है और उससे विनती करता है कि वह उनेसिमुस को उसके अपराध के लिए क्षमा कर दे और उसे ग्रहण कर ले। पौलुस बहुत ही शक्तिशाली तर्क देता है और कहता है कि परमेश्वर की सम्प्रभु इच्छा में उनेसिमुस उससे थोड़े समय के लिए इसलिए अलग हुआ कि उद्धार पा कर सदैव (अनन्त काल के लिए) उसके साथ रहे। पौलुस फिलेमोन से कहता है कि वह उनेसिमुस को केवल दास के रूप में नहीं, परन्तु ख्रीष्ट में भाई के रूप में बड़े प्रेम और सम्मान के साथ ग्रहण करे।
परमेश्वर के विरुद्ध हमारे पाप हमारे भाई के द्वारा हमारे विरुद्ध किए पापों से असंख्य गुणा बड़े और असंख्य गुणा अधिक दण्ड के योग्य हैं, परन्तु ख्रीष्ट के द्वारा हमारे पाप क्षमा हुए और परमेश्वर से हमारा मेल-मिलाप हो गया, तो क्या हमें भी अपने पश्चात्तापी भाई-बहनों के पाप क्षमा करके उनसे मेल करने के भरसक प्रयास नहीं करने चाहिए? (लूका 17:3-4; मत्ती 6:24-25; रोमियों 12:18)?