जब हम परमेश्वर के उपकारों के विषय में विचार करते हैं तो हमारा हृदय प्रभु के लिए आनन्द से और धन्यवाद से भर उठता है। विश्वासी जीवन में हम प्रभु जी की दया को यीशु में प्रतिदिन अनुभव करते हैं। परमेश्वर ही है जिसके द्वारा हमारी प्रत्येक साँस चलती है। वही है जो हमें सदा सम्भालता है। वही है जो हमें प्रत्येक घटनाओं के मध्य हमें सुरक्षा प्रदान करता है।
परमेश्वर अपने लोगों को सम्भालता है। यह हम पूरी बाइबल में पाते हैं। पुराने नियम में इस्राएलियों से लेकर नए नियम में यीशु के शिष्यों एवं उसके सब अनुयायियों के जीवन में हम परमेश्वर की सुरक्षा के कई उदाहरण को पाते हैं। पुराने नियम में, परमेश्वर ने इस्राएलियों की जंगल में यात्रा के समय उनकी रक्षा की। उसने उन्हें भोजन, पानी और मार्गदर्शन प्रदान किया, और उन्हें प्रतिज्ञात देश में ले जाने और विजय दिलाने की प्रतिज्ञा की। परमेश्वर ने उन्हें मिस्रियों और पलिश्तियों जैसे उनके शत्रुओं से भी बचाया। उदाहरण के लिए, निर्गमन की कहानी में, परमेश्वर ने इस्राएलियों को पीछा करने वाले मिस्रियों से बचाने के लिए लाल सागर को दो भागों में बाँट दिया और जब उनके शत्रु उसके पीछे आए तो उसने समुद्र को पुन: मिला दिया औऱ वे उसमें डूब मरे।
भजन संहिता की पुस्तक में, दाऊद ने उस सुरक्षा के विषय में लिखा जो परमेश्वर अपने लोगों को प्रदान करता है। दाऊद परमेश्वर के विषय में कहता कि परमेश्वर शरणस्थान है, वह अपने पंखो से हमें ढ़ांप लेगा, और उसके परों तले हम शरण पाएँगे; उसकी सच्चाई ढ़ाल और झिलम है” (भजन 91:2,4)। परमेश्वर अपने लोगों की चिन्ता करता है और उनके प्रत्येक परिस्थिति में उनके साथ होता है।
नए नियम में, यीशु ने अपने अनुयायियों की रक्षा करने की प्रतिज्ञा की। यूहन्ना 10:28 में, यीशु ने कहा, “मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ, और वे कभी नाश न होंगी; कोई उन्हें मेरे हाथों से कोई भी छीन नहीं सकता।” यीशु ख्रीष्ट अपने लोगों को कभी नहीं छोड़ेगा। रोमियों की पुस्तक में, पौलुस ने लिखा कि कुछ भी, चाहे मृत्यु, जीवन, स्वर्गदूत, प्रधानताएँ, वर्तमान, भविष्य, शक्तियाँ, ऊँचाई, गहराई और सृजी हुई वस्तु हो, कुछ भी ख्रीष्टियों को परमेश्वर के प्रेम से अलग नहीं कर सकती (रोमियों 8:38-39)।
कई बार हमारे जीवन में कुछ विशेष घटनाओं या परिस्थितियों के मध्य परमेश्वर अपनी सुरक्षा प्रदान करते हैं। हम कई बार मृत्यु के समीप जाकर भी बच जाते हैं और उस भयंकर स्थिति में भी परमेश्वर की सुरक्षा का अनुभव करते हैं। परमेश्वर संकट के समय हमारा तत्पर सहायक है… सेनाओं का यहोवा अभी हमारे साथ, याकूब का परमेश्वर हमारा दृढ़ गढ़ है (भजन 46:1,7)। परमेश्वर की सुरक्षा केवल भौतिक सुरक्षा तक ही सीमित नहीं है, परन्तु वह हमें आत्मिक सुरक्षा भी प्रदान करता है। वह हमें बुराई के प्रभाव, पाप के प्रलोभनों और शैतान की शक्ति से बचाता है। परमेश्वर हमें आत्मिक युद्ध में हमारी सहायता करता है और हमारी सुरक्षा हेतु प्रावधान करता है (इफिसियों 6:11-18)।
इसलिए, परमेश्वर द्वारा किए गए हमारे जीवन में उद्धार के कार्य के लिए उसकी स्तुति करें। उसने हमारी आत्मा को यीशु में सदाकाल के लिए सुरक्षित किया है। हम उसमें अनन्त काल तक सुरक्षित हैं। संसार की कोई भी शक्ति हमें उसके हाथ से छीन नहीं सकती क्योंकि यीशु ने हमारे प्राणों की कीमत अपने प्राण देकर चुकाई है। इसके साथ ही प्रभु जी अपनी दया में दिन-प्रतिदिन अन्धकार की शक्तियों, बिमारियों, दुर्घटनाओं के मध्य हमें सम्भालते हैं। अपनी कृपा में वह हमारे प्राण की रक्षा करते हैं। यहाँ तक कि हम भयंकर से भयंकर परिस्थितियों में गए हों, किन्तु प्रभु हम पर अपनी दया बनाए रखते हैं। इसलिए उसके प्रति धन्यवादी हों, और उसकी करुणा के लिए कृतज्ञ हों।