“इसलिए यह कह कर चिन्ता न करो, ‘हम क्या खाएंगे?’ अथवा ‘क्या पीएंगे? या, हम क्या पहिनेंगे?’ क्योंकि गैरयहूदी उत्सुकता से इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, पर तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है।” (मत्ती 6:31-32)
यीशु चाहता है कि उसके अनुयायी चिन्ता मुक्त हों। मत्ती 6:25-34 में, वह हमारी चिन्ता को दूर करने के लिए कम से कम सात तर्क देता है। उनमें से एक, खाने और पीने और वस्त्र को सूचीबद्ध करता है, और तब वह कहता है कि, “तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है।” (मत्ती 6:32)
अवश्य ही यीशु का तात्पर्य यह है कि परमेश्वर द्वारा हमारी आवश्यकता को जानने के साथ ही, उसमें उसे पूरा करने की इच्छा भी पाई जाती है। वह इस बात पर बल दे रहा है कि हमारे पास एक पिता है। और यह पिता किसी भी सांसारिक पिता से उत्तम है।
मेरे पाँच बच्चे हैं। मुझे उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना भाता है। परन्तु मेरे द्वारा उनकी आवश्यकताओं को जानना कम से कम तीन रीतियों से परमेश्वर के जानने से कम है।
प्रथम, मुझे इस समय नहीं पता है कि मेरे बच्चे कहाँ-कहाँ हैं। मैं अनुमान लगा सकता हूँ। वे अपने घरों में या कार्य पर या स्कूल में, स्वस्थ और सुरक्षित होंगे। परन्तु हो सकता है कि हृदयाघात के कारण वे मार्ग के किनारे पड़े हों।
द्वितीय, मुझे नहीं ज्ञात होता है कि किसी भी समय उनके हृदय में क्या चल रहा है। मैं समय-समय पर अनुमान लगा सकता हूँ। परन्तु वे कुछ भय या पीड़ा या क्रोध या वासना या लालच या आनन्द या आशा का अनुभव कर रहे होंगे। मैं उनके हृदय को देख नहीं सकता हूँ। वे स्वयं भी अपने हृदय को पूरी रीति से नहीं जानते हैं।
तृतीय, मैं उनका भविष्य भी नहीं जानता हूँ। अभी वे ठीक और स्थिर दिखाई दे सकते हैं। परन्तु कल उन पर कोई भी बड़ा शोक आ सकता है।
इसका अर्थ यह है कि उनके पास चिन्ता न करने का एक बहुत ठोस कारण मैं नहीं हो सकता हूँ। कुछ ऐसी बातें हैं जो उनके साथ अभी हो रही होंगी, या कल हो सकती हैं, जिनके विषय में मुझे पता भी नहीं है। परन्तु उनका पिता जो स्वर्ग में है उसके साथ पूर्णतः भिन्न स्थिति है। हमारा पिता जो स्वर्ग में है! वह हमारे विषय में सब कुछ जानता है, हम कहाँ हैं, आज और कल, अन्दर और बाहर। वह प्रत्येक आवश्यकता को देखता है।
इसके अतिरिक्त, हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उसकी बड़ी उत्सुकता को इसमें जोड़ दीजिए। मत्ती 6:30 में वर्णन है “इस से अधिक” को स्मरण रखें, “इसलिए यदि परमेश्वर वन की घास को जो आज है और कल भट्टी में झोंक दी जाएगी, इस प्रकार सजाता है, तो क्या तुम्हारे लिए इस से अधिक न करेगा?”
इसमें अब वह जो करने के लिए उत्सुक है उसे पूरी करने की उसकी सम्पूर्ण क्षमता को भी जोड़ दीजिए (वह प्रति घंटा संसार भर में अनगिनत पक्षियों को खिलाता है, मत्ती 6:26)।
इसलिए अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए यीशु की प्रतिज्ञा पर भरोसा करने में मेरे साथ जुड़ें। इसी के लिए यीशु बुलाता है, जब वह कहता है कि, “तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है।”