बीमारी के मध्य स्मरण रखने योग्य तीन बातें

जिस प्रकार से संसार में अन्य सब लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, वैसे ही ख्रीष्टीय भी बीमार होते हैं। प्राय: हम बीमार होते हैं, तो हम प्रभु पर भरोसा रखते हैं, अस्पताल जाते हैं तथा उस बीमारी सम्बन्धित दवाईयाँ लेते हैं और डॉक्टर द्वारा प्राप्त निर्देशों का पालन करते हैं। हम ठीक भी होते हैं किन्तु कुछ ख्रीष्टीय जो यीशु के द्वारा पाप से छुड़ाए गए हैं, जो वास्तव में यीशु पर भरोसा रखते हैं, ख्रीष्ट के पीछे चलते हैं, उनके जीवन में दुख रूपी बीमारी आती है, (किसी भी प्रकार की बीमारी) और वे बहुत दुख, कष्टों, पीड़ाओं में से होकर जाते हैं। हो सकता हो वह व्यक्ति हम हों, या हमारी कलीसिया का कोई भाई/ बहन या हमारे ख्रीष्टीय माता-पिता या हमारे ख्रीष्टीय मित्र! चाहे हम कितनी भी घोर परिस्थितियों में हों, चाहे हमारी बीमारी ठीक हो या हमारी मृत्यु तक भी ठीक न हो, एक ख्रीष्टीय होने के नाते हम इन तीन सत्यों को स्वयं को स्मरण दिला सकते हैं या अन्य ख्रीष्टीयों को इन सत्यों के द्वारा प्रभु में सान्त्वना दे सकते हैं।   

हर एक व्यक्ति जो ख्रीष्ट में है वह स्वर्ग का नागरिक है। इस कारण हम इस संसार में तो हैं, किन्तु वास्तव में इस संसार के नहीं हैं।

स्मरण रखिए, हमारी नागरिकता स्वर्ग की है। 

ख्रीष्टीय इस पृथ्वी के वास्तविक नागरिक नहीं हैं वरन उनकी वास्तविक नागरिकता स्वर्ग है (फिलिप्पियों 3:20)। हमारा जन्म तो अन्धकार, शैतान के साम्राज्य में हुआ किन्तु यीशु ने हमें अपने लहू द्वारा अन्धकार की नागरिकता से अब स्वर्गीय राज्य का नागरिक बनाया है। हमारा नया जन्म यीशु पर विश्वास करने से होता है और उसी क्षण हम उसके राज्य के नागरिक बन जाते हैं। यीशु के द्वारा हमें जीवित आशा के लिए नया जन्म मिला है और हमें उत्तराधिकार मिलेगा जो स्वर्ग में हमारे लिए सुरक्षित है (1 पतरस 1:4)। यीशु अपने चेलों को बताते हैं कि वह उनके लिए स्थान तैयार करने जा रहा है जिसमें सब विश्वासी परमेश्वर की उपस्थिति में निवास करेंगे ( यूहन्ना 14:2)। हर एक व्यक्ति जो ख्रीष्ट में है वह स्वर्ग का नागरिक है। इस कारण हम इस संसार में तो हैं, किन्तु वास्तव में इस संसार के नहीं हैं। इस संसार में परदेशी हैं। यीशु के कारण अब हम पवित्र लोगों के संगी स्वदेशी और परमेश्वर के कुटुम्ब के हैं (इफिसियों 2:19)। और इस संसार में रहते हुए हम उस नगर की खोज में हैं जो यहाँ का नहीं है। (इब्रानियों 13:14)।  इसलिए बीमारी के मध्य हम स्वयं की पहचान को स्मरण रख सकते हैं कि हम परदेशी हैं और हम अपने घर जाएँगे ही जाएँगे, भले ही यहाँ पर हम ठीक न हों।

भविष्य में प्राप्त होने वाली देह में पाप का प्रभाव नहीं होगा क्योंकि पुनरूत्थित ख्रीष्ट हमारी दीन-हीन देह को बदल कर अपनी महिमामय देह के समान कर देगा। 

स्मरण रखिए, हमें महिमान्वित देह मिलेगी।

हम जल्दी ही वृद्ध होंगे, हमारी सामर्थ्य धीरे धीरे कम होने लगेगी। हम बिमार होंगे, हमारे शरीर के अंग जिस प्रकार से युवावस्था में कार्य करते हैं, वैसे कार्य नहीं कर पाएंगे। इस देह में हम सब पीड़ा का अनुभव करते हैं। किन्तु हम आशा नहीं खोते क्योंकि एक दिन यह हमारी देह तो समाप्त हो जाएगी और मिट्टी की यह देह मिट्टी में मिल जाएगी। परन्तु एक दिन यीशु हमें महिमान्वित देह देगा (फिलिप्पियों 3:21)। वह देह पूर्णता पापरहित होगी। अभी तो इस देह में हम पाप से संघर्ष करते हैं, पाप के प्रभाव में हैं, किन्तु भविष्य में प्राप्त होने वाली देह में पाप का प्रभाव नहीं होगा क्योंकि पुनरूत्थित ख्रीष्ट हमारी दीन-हीन देह को बदल कर हमें उत्तम देह देगा। इस संसार का हमारा शरीर तो एक दिन नष्ट हो ही जाएगा, क्योंकि यह स्थायी नहीं है, किन्तु जो स्वर्ग में हमें देह मिलेगी वह चिरस्थायी है। (2 कुरि 5:1), इसलिए यीशु के आगमन की प्रतीक्षा करें और जब वह आएगा तो हम भी उसके सदृश होंगे (1 यूहन्ना 3:2)।  

हमारा उत्तम जीवन इस पृथ्वी पर नहीं है। हम अपना उत्तम जीवन अपने प्रभु की उपस्थिति में उसके सन्तों के साथ अनन्तकाल के लिए बिताएँगे।

स्मरण रखिए, हम अपने प्रभु के साथ सदा तक रहेंगे: हमारा उत्तम जीवन इस पृथ्वी पर नहीं है। हम अपना उत्तम जीवन अपने प्रभु की उपस्थिति में उसके सन्तों के साथ अनन्तकाल के लिए बिताएँगे। वहाँ पर परमेश्वर का डेरा मनुष्य के मध्य में होगा और वह उनके मध्य निवास करेगा (प्रका 21:2-3)। वहाँ हम परमेश्वर की उपस्थिति में रहेंगे, वहाँ पर हमारी आँखो से सब आँसू पोछे जाएंगे, वहाँ फिर कोई मृत्यु, शोक, विलाप और पीड़ा नहीं रहेगा (प्रका 21:4)। इसी आशा में हम इस गीत को गाते हैं: ” सिय्योन देश हमारा है देश, रहते हैं हम परदेश, जायेंगे हम अपने देश! हाल्लेलूयाह.. हाल्लेलूयाह…! दुख जो हमारे यहाँ, न होंगे फिर वहाँ, सारे दुखों का अन्त होगा, दुख के आँसू यीशु पोछेगा।… आएगा यीशु यहाँ ले जाएगा हमको वहाँ, वायदा यीशु का पूरा होगा, अनन्त जीवन हमको मिलेगा!”

अत: जब ख्रीष्टीय बीमार होते हैं, वे प्रभु पर भरोसा रखते हुए चंगाई के लिए प्रार्थना करते हैं, अस्पताल जाते हैं, और उपचार कराते हैं। प्रभु जी अपना दया में हमें चंगा करते हैं, किन्तु यदि नहीं भी करते हैं तो यह परमेश्वर इसमें भी महिमान्वित होता हैं। यीशु ने इस संसार में हमें अच्छा स्वास्थ्य देने का वायदा नहीं किया है। इसलिए यदि हम या कोई और ख्रीष्टीय भयंकर बिमारी में से होकर जाते हैं तो हमें अचम्भित नहीं होना है। परमेश्वर चाहता है कि बीमारी के समय में भी हम अनन्त काल के बहुतायत जीवन की ओर दृष्टि करें। उसमें बने रहें। भले ही हमारे जीवन में तनाव, मानसिक विकार, अनेकों प्रकार की बिमारी (कैंसर, हृदय आघात, शुगर, रक्तचाप, पथरी, तथा अन्य कोई जानलेवा रोग) हो! हम चाहे लम्बें समय से किसी बिमारी के कारण बिस्तर पर हों, शरीर में प्रतिदिन कष्ट सह रहे हों। भले ही हम इस संसार में दुखों में रोते हों, किन्तु यीशु ने हमसे प्रतिज्ञा किया है कि वह हमारे आँसुओं को पोछ डालेगा। इसलिए प्रत्येक परिस्थिति में प्रभु पर भरोसा रखें और आने वाले उत्तम जीवन के लिए प्रतीक्षा करें। इसके साथ ही अन्य बीमार ख्रीष्टीय भाई-बहनों को इस आशा में बने रहने के लिए प्रेरित करें कि भले ही हम यहाँ ठीक न हों लेकिन हमारा यहाँ का दुख एक दिन समाप्त हो जाएगा। यहाँ पर जो हो रहा है वह हमारे अपने देश में नहीं होगा। हम अपने वतन जाएंगे, और यीशु हमें नई देह देगा जो उत्तम देह है और हम उसकी उपस्थिति में सर्वदा तक वास करेंगे।

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नीरज मैथ्यू
नीरज मैथ्यू
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