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कार्यस्थल में परमेश्वर की महिमा कैसे करें

ऑस्ट्रेलिया में दो सप्ताह रहने के पश्चात मैं हाल ही में घर लौटा हूँ, मैं परमेश्वर के प्रति धन्यवाद से भरा हूं, वहां पर उसके लोगों के कारण, और उनके साथ वहाँ के शहरों ब्रिस्बेन और सिडनी में तथा कटूम्बा के पहाड़ों में कार्य करने के सुख के कारण।

“चाहे तुम खाओ या पिओ या कार्य करो, यह सब कुछ परमेश्वर को इतना महान दिखाने पाए जितना कि वह वास्तव में है।”

वहाँ पर एक सभा हुई जिसका नाम एन्गेज़  था। यह “युवा कर्मचारियों” पर केंद्रित थी, जिसका उनकी भाषा में अर्थ है विभिन्न कार्यक्षेत्रों में कार्य करने वाले युवा लोग। एक साक्षात्कार में मुझसे पूछा गया कि क्या यह सभा करना एक अच्छा विचार है। मैंने कहा हाँ, 1 कुरिन्थियों 10:31 के अनुसार, “चाहे तुम खाओ या पीओ, या जो कुछ भी करो, सब परमेश्वर की महिमा के लिए करो।”

इस कारण, उन्होंने पूछा: युवा कर्मचारी अपने कार्यस्थल पर परमेश्वर की महिमा कैसे कर सकते हैं?

मेरे उत्तर का सार यह है:

निर्भरता।  पूर्ण रीति से परमेश्वर पर निर्भर होकर काम पर जाएं (नीतिवचन 3:5-6; यूहन्ना 15:5)। क्योंकि उसके बिना न आप सांस ले सकते हैं, न हिल सकते हैं, न सोच सकते हैं, न आभास कर सकते हैं और न ही बात कर सकते हैं। यह कहने की आवश्यकता भी नहीं है कि आपको आत्मिक रीति से प्रभावशाली बनना है। सुबह उठिए और परमेश्वर के लिए आपके भीतर जो लालसा है उसे परमेश्वर को देखने दीजिए। सहायता के लिए प्रार्थना कीजिए।

सत्यनिष्ठा।  सम्पूर्ण रीति से और सावधानीपूर्वक अपने कार्य के प्रति खरे और कर्तव्यनिष्ठ बनें। समय से पहुँचे। दिनभर कार्य करें। परमेश्वर ने आज्ञा दी है “तू चोरी मत करना।” अधिकांश लोग अपने कार्य देनेवालों को नकदी चुराने की अपेक्षा आलसी बनकर लूटते हैं।

कार्यकुशलता। आप जो कार्य करते हैं उसमें कुशल बनिए। परमेश्वर ने अपने अनुग्रह में होकर आपको न केवल सत्यनिष्ठा का वरन कार्यकुशलता का भी दान दिया है। उस दान को संजोकर रखें और अपनी कार्यकुशलताओं के अच्छे भण्डारी बनें। कार्यकुशलता में यह वृद्धि निर्भरता और सत्यनिष्ठा पर आधारित है।

कार्यस्थल को आकार देना।  जब आपका प्रभाव और आपके अवसर बढ़ें, तब अपने कार्यस्थल के कार्य करने के प्रकार को प्रभावित करें ताकि वहाँ का स्वरूप और नीतियां और अपेक्षाएं और लक्ष्य मसीह के अनुसार बनने की ओर आगे बढ़ें। 

प्रभाव।  यह लक्ष्य रखें कि आप अपनी संस्था की सहायता करें लोगोंं पर ऐसा प्रभाव डालने के लिए जो उनका जीवन-उन्नत करे, उनकी आत्मा-नष्ट किए बिना। कुछ उद्योग ऐसे हैं जिनका प्रभाव विनाशकारी ही होता है (जैसे, अश्लील चलचित्र, जुआ, गर्भपात, व्यापार घोटाले, आदि)। परन्तु अनेक लोगों की सहायता की जा सकती है कि वे ऐसे प्रभाव की ओर फिरें जो जीवन-उन्नत करे, बिना आत्मा-नष्ट किए। जब आपके पास अवसर हो, उस दिशा में काम करें।

बातचीत (संचार )।  कार्यस्थल सम्बन्धों का एक ताना-बाना है। बातचीत के माध्यम से ये सम्बन्ध सम्भव हो पाते हैं। जीवन की सामान्य बातचीत में अपने ख्रीष्टीय दृष्टिकोण को मिलाएं। अपने प्रकाश को टोकरी के नीचे न छिपाएं। इसे दीवट पर रखें। लोगों को जीतने के लिए। स्वाभाविक रीति से। आनन्द के साथ। जो अपने उद्धार को प्रिय जानते हैं, वे निरन्तर कहें, यहोवा की बड़ाई हो! (भजन 40:16 देखें)।

प्रेम। दूसरों की सेवा करें।

हर कार्य में पहल करें चाहे वह काम समोसे लाना हो। गाड़ी चलाना हो। या पिकनिक का आयोजन करना हो। कार्यस्थल पर दूसरों में रुचि लें। ऐसे व्यक्ति बनें जो मात्र परिहास में ही नहीं, किन्तु गम्भीर और पीड़ादायक बातों कि भी चिन्ता करता है। अपने साथ काम करने वालों से प्रेम करें, और उन्हें उसकी ओर इंगित करें जो महान बोझ उठाता है।

धन।  काम वह स्थान है जहाँ आप धन अर्जित (और खर्च) करते हैं। यह सब (धन) परमेश्वर का है, आपका नहीं। आप एक भंडारी हैं। अपनी कमाई को उदारता के साथ खर्च करें ताकि लोग देखें कि आप परमेश्वर के धन का कैसे प्रबन्धन करते हैं। केवल धन अर्जित करने के लिए काम ना करें। धन अर्जित करने हेतु इसलिए काम कीजिए ताकि आपके पास धन हो और आप उसे ख्रीष्ट को महिमान्वित करने वाले कार्यों में निवेश कर सकें। अपने धन को इस प्रकार से उपयोग कीजिए जिससे यह पता चले कि आपका सर्वोच्च कोष ख्रीष्ट है।

धन्यवाद।  जीवन और स्वास्थ्य और कार्य तथा यीशु के लिए सदैव परमेश्वर को धन्यवाद दें। अपने कार्यस्थल में एक धन्यवादी व्यक्ति बनें। कुड़कुडाने वाले समूह का भाग न बनें। परमेश्श्वर के प्रति अपने धन्यवाद को दूसरों के प्रति कृतज्ञता की विनम्र भावना में उमड़ने दें। आप आशावान, विनम्र, धन्यवादी व्यक्ति के रूप में अपने कार्यस्थल में जाने जाएं।

कार्यस्थल में परमेश्वर की महिमा करने के विषय में और भी बहुत सी बातें हैं। परन्तु यह एक आरम्भ है। जैसे-जैसे परमेश्वर आपको समझ दे इस सूची में और भी बातों को जोड़ें। मुख्य बात यह है: चाहे तुम खाओ या पिओ या कार्य करो, यह सब कुछ परमेश्वर को इतना महान दिखाने पाए जितना कि वह वास्तव में है।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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