जब विश्वासी सन्तों के साथ मिलकर सामूहिक रीति से परमेश्वर की आराधना के लिए इकट्ठे होते हैं तो परमेश्वर के वचन को सुनना उसमें महत्वपूर्ण भाग होता है। कलीसिया जो परमेश्वर की प्रजा है वह वचन के द्वारा पोषित होती है। इसलिए आइये कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान दें जो हमारी सहायता करेगा कि जब हम रविवार को कलीसिया में आते हैं तो सन्देश कैसे अच्छी रीति से सुनें!
वचन सुनने के लिए तैयारी के साथ उपस्थित रहें
कलीसिया में प्रचार को अच्छे से सुनने के लिए अच्छा है कि प्रचार के खण्ड को प्रचार होने से पहले सप्ताह के मध्य कई बार पढ़ें। और जब प्रचारक प्रचार करता है तो खण्ड को समझने के लिए स्वयं को तैयार करें। अच्छा होगा कि बाइबल अवश्य ही अपने पास रखें, जिसमें आप निशान लगा सकते हैं और साथ ही प्रचार में सीखी गई बातों को लिखने के लिए डायरी में लिख लें। इससे हम प्रचार के समय स्वयं बाइबल में देख सकते हैं और खण्ड को अच्छे से समझ सकते हैं। प्रार्थना करें कि परमेश्वर आपको सुनने का हृदय दे। परमेश्वर की वाणी को सुनने के लिए आएँ। खण्ड को कई बार पढ़ कर और उस पर मनन करके आएँ। जब हम प्रचार सुनते हैं तो प्रार्थना करें कि परमेश्वर प्रचारक के द्वारा अपने वचन से आपसे बात करे।
परमेश्वर के वचन को समझने के लिए परिश्रम करें
जब हम स्कूल, कॉलेज जाते हैं या किसी भी परीक्षा की तैयारी करते हैं तो उसको सीखने के लिए लालायित रहते हैं और परिश्रम करते हैं। परन्तु जब ख्रीष्टीय कलीसिया में वचन को सुनने के लिए आते हैं तो प्राय: बहुत सारे लोग वचन को सीखने के लिए इतने उत्साही तथा गम्भीर नहीं होते। आज हमारे पास परमेश्वर का वचन है। जिसमें से हम पढ़ सकते हैं। बिरिया की कलीसिया से सीखिए, उन्होंने बहुत उत्सुकता के साथ वचन को ग्रहण किया और पवित्रशास्त्र से जाँच-पड़ताल करते थे कि वे बातें सही थीं कि नहीं। (प्रेरित 20:11) उन्होंने गम्भीरता से बातों को जांचा। वे इस बात से निश्चित होना चाहते थे कि पौलुस जो बातें सिखा रहा था क्या वे पवित्रशास्त्र के अनुसार थी। हमें भी वचन का एक अच्छा विद्यार्थी होने की आवश्यकता है और हमें भी वैसा ही करना चाहिए जब हम उपदेश और प्रचारकों को सुनते हैं। सन्देश के समय नोट्स और पेन रखें और महत्वपूर्ण बातों को लिखें जिससे कि जब आप घर पर वापस जाएं तो पुन: इस खण्ड पर विचार करें। मुख्य बातों, नई बातों, परमेश्वर सम्बन्धी बातों, आपको कायल करने वाली बातों को लिख लें।
नम्रता के साथ सन्देश को अपने जीवन में लागू करें
सन्देश के समय पवित्र आत्मा वचन को हमारी स्थिति के अनुसार हम पर लागू करता है। परमेश्वर के वचन को सुनना गम्भीर कार्य है। हम जो उसके वचन से सुनते हैं उन बातों के लिए उत्तरदायी हैं। इसलिए जब वचन का प्रचार होता है और हम अपने पापों से चिताए जाते हैं तो अवश्य ही हमें उसका प्रतिउत्तर देना है। प्रचार को अपने हृदय से सुने और स्वयं से पूछते रहें कि वह प्रचार आपके जीवन से कैसे सम्बन्ध रखता है। गम्भीरता से सन्देश पर ध्यान दें। अपने जीवन का मूल्यांकन करते रहें। परमेश्वर की महिमा करें। जब हम प्रचार को सुनते हैं और हमारे हृदय पाप से कायल होते हैं तो उसे अनदेखा न करें वरन पश्चाताप करें। सन्देश सुनते समय अपने जीवन को जाँचते रहें और प्रार्थना करते रहें कि परमेश्वर अपने वचन के द्वारा हमारे पापों को दिखाए ताकि हम टूट सकें और प्रभु के सम्मुख नम्र हो सकें। परमेश्वर अपने वचन के द्वारा अपनी महिमा प्रदर्शित करे ताकि हम उसके प्रति धन्यवादी हों और उसमें आनन्दित हो सकें।
अत: एक ख्रीष्टीय होने तौर पर आवश्यक है कि हम परमेश्वर के वचन से प्रेम करें और उसके वचन का प्रचार सुनने के लिए उत्साहित रहें। हमें परमेश्वर के वचन को हल्के में नहीं लेना है। जब हम रविवार को कलीसियाई तौर पर सन्देश सुनते हैं तो स्वयं को तैयार करें और वचन को ध्यान से सुनें, परमेश्वर की इच्छा को अपने जीवन के लिए जानें और वचन के अनुसार जीवन जीने का प्रयास करें।