परमेश्वर ने मनुष्य को बनाया और उसे एक परिपूर्ण वातावरण में रखा; हालाँकि, मनुष्य ने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया। पाप के कारण परमेश्वर नें संसार को शाप दिया, मनुष्य को दण्ड दिया परन्तु परमेश्वर नें पुन: उस मनुष्य को पाप से छुड़ाने की योजना को प्रकट किया। (उत्पत्ति 3:15)
उनके छुटकारे की योजना के भाग के रूप में, परमेश्वर ने इब्राहीम को बेबीलोनिया से बाहर कनान (लगभग 2000 ई.पू.) में बुलाया। परमेश्वर ने इब्राहीम, उसके बेटे इसहाक और उसके पोते याकूब (जिसे इस्राएल भी कहा जाता है) से प्रतिज्ञा किया कि वह उनके वंशज के माध्यम से संसार को आशीष देगा। (उत्पत्ति 12:1-3) इस्राएल का परिवार कनान से मिस्र गया, जहाँ वे एक राष्ट्र के रूप में विकसित हुए।
लगभग 1400 ई.पू., परमेश्वर ने इस्राएल के वंशजों को मूसा की अगुवाई में मिस्र से बाहर निकाला और उन्हें अपने देश के रूप में प्रतिज्ञा किया हुआ देश, कनान दिया। मूसा के माध्यम से, परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को व्यवस्था दिया और उनके साथ एक वाचा बाँधी। यदि वे परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य बने रहेंगे और आसपास के देशों की मूर्ति पूजा का पालन नहीं करेंगे, तो वे समृद्ध होंगे। यदि वे परमेश्वर का त्याग देंगे और मूर्तियों का पालन करेंगे, तो परमेश्वर उनके राष्ट्र को नष्ट कर देगा।
लगभग 400 वर्ष बाद, दाऊद और उसके पुत्र सुलैमान के शासनकाल के समय, इस्राएल एक महान और शक्तिशाली राज्य में स्थापित हो चुका था। परमेश्वर ने दाऊद और सुलैमान से प्रतिज्ञा किया कि उनका एक वंशज सदाकाल का राजा होगा।
सुलैमान के शासनकाल के बाद, इस्राएल राष्ट्र का विभाजन हुआ। उत्तर के दस गोत्रों को “इस्राएल” कहा जाता था, और वे लगभग 200 साल पहले तक चले थे जब परमेश्वर ने उन्हें उनकी मूर्ति के लिए न्याय किया था। असीरिया ने इस्राएल को 721 ईसा पूर्व में बंदी बना लिया। दक्षिण में दो गोत्रो को “यहूदा” कहा जाता था, और वे थोड़े लंबे समय तक चले, लेकिन अंततः वे भी परमेश्वर से विमुख गए। लगभग 70 वर्ष बाद, परमेश्वर अनुग्रह करके बन्धुवाई में गए लोगों को अपनी भूमि में वापस लाया। राजधानी, यरूशलेम को लगभग 444 ईसा पूर्व में फिर से बनाया गया था, और इस्राएल ने एक बार फिर राष्ट्रीय पहचान स्थापित की। इस प्रकार, पुराना नियम समाप्त हो जाता है।
नया नियम यीशु ख्रीष्ट के जन्म के समय लगभग 400 वर्ष बाद आरम्भ होता है। अब्राहम और दाऊद से मानव जाति के उद्धार के परमेश्वर की योजना को पूरा करने करने की जो प्रतिज्ञा की गई थी उसका यहाँ पर पूर्तिकरण होता है। यीशु ने विश्वासयोग्यता से अपना काम पूरा किया – वह पाप के लिए मरा और मरे हुओं में से जी उठा। ख्रीष्ट की मृत्यु संसार के साथ एक नई वाचा का आधार है। यीशु पर विश्वास रखने वाले सभी लोग पाप से पाप से छुटकारा पाएंगे और अनंत काल तक जीवित रहेंगे।
उनके पुनरुत्थान के बाद, यीशु ने अपने शिष्यों को उनके जीवन और उनके कार्यों को बताने के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी पर सुसमाचार प्रचार के लिए भेजा। यीशु के शिष्यों ने सब दिशा में जाकर यीशु और उद्धार का सुसमाचार सुनाया। उन्होंने एशिया माइनर, ग्रीस और सभी रोमन साम्राज्य के माध्यम से यात्रा की। नया नियम अविश्वसनीय संसार का न्याय करने और अभिशाप से मुक्त निर्माण के लिए यीशु की वापसी की भविष्यवाणी के साथ समाप्त हो जाता है।