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‘ बुलाए हुए ’ और ‘ चुने हुए ’ के मध्य में अन्तर क्या है?

श्रुति लेख (Audio Transcript)   

भाई आनन्द लिखते हैं कि: “प्रिय पास्टर जॉन, मत्ती 22 में पाए जाने वाले विवाह भोज के दृष्टान्त में, यीशु कहते हैं, ‘बुलाए हुए तो बहुत हैं, परन्तु चुने हुए थोड़े हैं ’ (मत्ती 22:14)। परन्तु, रोमियों 8:28-30 में ऐसा प्रतीत होता है कि जो लोग ‘बुलाए हुए’ हैं, वे उस अटूट कड़ी का भाग हैं जो कि अन्ततः महिमान्वीकरण की ओर ले जाती है। क्या मत्ती की पुस्तक में ‘बुलाए हुए ’ लोग वही हैं जिन्हें रोमियों में भी ‘बुलाए हुए ‘ कहा जाता है? ‘बुलाए हुए ’ होने और ‘चुने हुए ’ होने के मध्य में क्या अन्तर है?”

यह मेरे लिए अद्भुत बात है कि आनन्द ने इस प्रश्न को अब पूछा है क्योंकि जिस पुस्तक को मैंने अभी कुछ सप्ताह पूर्व ही लिखना समाप्त किया है — जो बाइबल को अलौकिक रीति से पढ़ने, तथा इसे स्वाभाविक रीति से पढ़ने के विषय में है, और कैसे ये दोनों बातें एक साथ उपयुक्त बैठती हैं — उसमें इन्हीं दोनों स्थलों और उनके मध्य पाए जाने वाले अन्तर के विषय में एक अनुभाग है। अतः, मेरे लिए इसके विषय में सोचना सरल था क्योंकि यह अभी भी मेरे ध्यान में है।

अनेकार्थी शब्द

जिस कारण से मैंने इस विषय पर चर्चा की है वह ठीक वही कारण है जो भाई आनन्द ने दिया था; अर्थात्, मत्ती 22:14 और रोमियों 8:30 में प्रतीत होता है कि “बुलाए हुए” शब्द का उपयोग एक ही रीति से नहीं करते हैं। यदि वे ऐसा करते हैं तो वे एक-दूसरे का खण्डन करते हैं। इसीलिए वह इस बात के विषय में चिन्तित है।

इसलिए, मैंने इसे एक उदाहरण के रूप में लिया है कि जब आप बाइबल के किसी शब्द का अर्थ जानना चाहते हैं, तो आपको यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि आप जिस लेखक के द्वारा लिखे गए किसी शब्द का अध्ययन कर रहे हैं, उस शब्द का उपयोग अन्य लेखकों द्वारा भी वैसे ही किया गया होगा। वास्तव में, मैं इस बात पर बल दूँगा कि एक ही लेखक उसी शब्द को कैसे दो पृथक रीति से उपयोग कर सकता है।

(अंग्रेज़ी) भाषा के उपयोग के अन्तर्गत हम सब इस बात को जानते हैं और इसको मैंने उस पुस्तक में उद्धृत किया है। यही कारण है कि यह इस समय मेरे मन में बसा है। ऑक्सफोर्ड अंग्रेज़ी शब्दकोष में, “Set (सेट)” शब्द के लिए 464 परिभाषाओं के साथ उदाहरण दिए गए हैं। यह तो अंग्रेज़ी भाषा के प्रति मुझे असीम आनन्द से प्रफुल्लित कर देता है। इसी प्रकार “Run (रन)” शब्द की 396 सूचीबद्ध परिभाषाएँ हैं। यदि आपको किसी प्रमाण की आवश्यकता है कि किसी शब्द के विभिन्न अर्थ होते हैं, तो इन परिभाषाओं को देखिए।

यदि आप बुलाए हुए लोग हैं, तो आप सर्वदा के लिए बचाए जाएँगे। आप अपना उद्धार नहीं खोएँगे। परमेश्वर ऐसा नहीं होने देगा।

यही बात बाइबल के सम्बन्ध में भी सत्य है, इसका अर्थ यह है कि हाउ टू रीड अ बुक-How to read a book (किसी पुस्तक को कैसे पढ़ें) नामक पुस्तक के उस लेखक मोर्टिमर एडलर ने अपनी पुस्तक में “कमिंग टू टर्म्स” (अर्थात् शब्दों को समझना) नामक एक खण्ड को रचकर पूर्णतः सही कार्य किया है।

उनके कहने का अर्थ यह है कि जब आप किसी शब्द का उपयोग करते हैं, भले ही आप उस शब्द से परिचित हैं फिर भी आप तुरन्त नहीं जानते हैं कि उसका अर्थ क्या है। आपको “set”-सेट (समूह) शब्द का अर्थ या “Run”-रन (जिसका अर्थ भागना है) शब्द का अर्थ तब तक नहीं पता चलेगा जब तक आप उसको सन्दर्भ में नहीं देखेंगे, उदाहरण के लिए “Rock-रॉक शब्द (जिसका अर्थ पत्थर है)” —जैसे rock a chair (कुर्सी पर झूलना) या rock music (एक प्रकार का संगीत)। दोनों शब्दों में रॉक है किन्तु शब्दों का अर्थ उनके सन्दर्भ में पाया जाता है। और जैसे ही आप तात्कालिक सन्दर्भ से इस बात को समझ जाते हैं कि इस शब्द का उपयोग कैसे किया जा रहा है, तब आपने शब्द को समझ लिया है, और फिर वह शब्द परिभाषिक शब्द बन जाता है जिसका अपने सन्दर्भ में एक निश्चित अर्थ होता है।

बुलाए हुए और महिमान्वित किए गए

अतः, आइए हम मत्ती और रोमियों की बात करते हैं। रोमियों 8:30 कहता है, “जिन्हें उसने पहले से ठहराया है, उन्हें बुलाया भी” — और यहाँ “बुलाया” वह शब्द है जिसके विषय में भाई आनन्द ने प्रश्न पूछा है। उसने “बुलाया” — “और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।”

निश्चय ही आनन्द ठीक कह रहा है। पौलुस का तात्पर्य है कि सभी बुलाए हुए लोग धर्मी ठहराए जाते हैं और सभी धर्मी ठहराए हुओं को— और इसी कारण सभी बुलाए हुओं को — महिमा भी दी गई है। जिसका अर्थ है, यदि आप बुलाए हुए लोग हैं, तो आप सर्वदा के लिए बचाए जाएँगे। आप अपना उद्धार नहीं खोएँगे। परमेश्वर ऐसा नहीं होने देगा। आप उसके बुलाए हुए लोग हैं।

बुलाए हुए और तिरस्कृत किए गए

परन्तु जब आप मत्ती 22:1-14 को देखते हैं, तो वहाँ हमें विवाह के भोज का दृष्टान्त मिलता है। यहाँ एक राजा द्वारा भोज दिया जा रहा है और वह चाहता है कि बहुत से लोग आएँ। इसलिए वह निमन्त्रण भेजता है, परन्तु जिन लोगों को आमन्त्रित किया जाता है, वे नहीं आते हैं। यह तो अविश्वसनीय बात है। यह मात्र एक दृष्टाँत है कि हम इस संसार में परमेश्वर के स्नेह को ठुकराने में कितने वीभत्स हैं।

इसलिए वह अपने सेवकों से कहता है, बाहर जाओ और बुला लाओ — इसका अनुवाद “आमन्त्रित करना” किया गया है, परन्तु यहाँ भी “बुलाना” शब्द है जिसका वह अन्त में वर्णन करेगा — जाओ हर एक को बुला कर लाओ जो मिल सकता है। कुछ भी करो और उन्हें भोज में लेकर आओ।

हमें अपने अर्थप्रकाशन (interpretation) को तात्कालिक सन्दर्भ के आधार पर करने की आवश्यकता है, केवल इस तथ्य पर नहीं कि वे एक ही शब्द का उपयोग करते हैं।

इसके बाद उसका घर लोगों से भर जाता है, किन्तु वहाँ कुछ लोग — कम से कम एक व्यक्ति है — जिसने अनुपयुक्त वस्त्र पहन रखे हैं न कि विवाह के वस्त्र, जो सम्भवतः राजा के प्रति सम्मान की कमी और अनुग्रह द्वारा परिवर्तित किए जाने की कमी को दर्शाता है, जो उसे इस आमन्त्रण में प्रदान किया गया था।

यह दृष्टान्त इस प्रकार समाप्त होता है: “उस स्थान में” — जहाँ इस व्यक्ति को फेंका जाता है — “रोना और दाँत पीसना होगा। क्योंकि बुलाए हुए तो बहुत हैं, परन्तु चुने हुए थोड़े हैं” (मत्ती 22:13-14)। स्पष्ट रूप से, वहाँ “बुलाए हुए” लोग सर्वदा के लिए नहीं बचाए जाते हैं। “चुने हुए” लोग बचाए जाते हैं, परन्तु कई “बुलाए हुए” हैं जो “चुने हुए” नहीं हैं। “बुलाए हुए तो बहुत हैं, परन्तु चुने हुए थोड़े हैं”।

अतः जो बात स्पष्ट है वह यह है कि मत्ती की शब्दावली में “बुलाए हुए” का अर्थ संसार के लोगों से एक सामान्य आग्रह करना है कि वे भोज में आएँ। किन्तु जो लोग इस सामान्य बुलाहट के प्रतिउत्तर में आते हैं, सम्भव है कि वे चुने हुए न हों।

प्रभावशाली बुलाहट (Effectual Calling)

अब मैं पौलुस की शब्दावली में बुलाए हुए  शब्द को उस रीति से उपयोग करूँगा जिसे ईश्वरविज्ञानी “प्रभावशाली” कहते हैं। हम जानते हैं कि पौलुस भी इसी रीति से सोचता है क्योंकि वह इसके विषय में जानता है। ईश्वरविज्ञानीय रूप से वे यहाँ भिन्न नहीं हैं।

1 कुरिन्थियों 1:23 में, पौलुस कहता है, “हम तो क्रूस पर चढ़ाए गए ख्रीष्ट का प्रचार करते हैं, जो यहूदियों की दृष्टि में ठोकर का कारण और ग़ैरयहूदियों के लिए मूर्खता है।” अतः, दूसरे शब्दों में कहें तो क्रूस पर चढ़ाए गए ख्रीष्ट का प्रचार सभी यहूदियों और सभी अन्यजातियों में किया गया है। उन्हें आने हेतु आमन्त्रित किया गया है। और उन्हें सामान्य रीति से “बुलाया” गया है।

फिर वह कहता है, “परन्तु उनके लिए जो बुलाए हुए हैं, चाहे वे यहूदी हों या यूनानी, ख्रीष्ट परमेश्वर का सामर्थ्य  और परमेश्वर का ज्ञान है” (1 कुरिन्थियों 1:24)।

यह मात्र एक दृष्टाँत है कि हम इस संसार में परमेश्वर के स्नेह को ठुकराने में कितने वीभत्स हैं।

निश्चय ही एक सामान्य बुलाहट है जो सबको दी जाती है: “आओ। यदि तुम विश्वास करोगे, तो तुम बचाए जाओगे।” यहाँ एक और बुलाहट है जो उस बुलाहट के समान है जिसे यीशु ने लाज़र को उस समय दी थी जब उसने उसकी कब्र के सामने खड़े होकर कहा, “लाज़र, निकल आ” (यूहन्ना 11:43)। और उस मृतक व्यक्ति को बुलाहट के द्वारा जीवन दिया गया था।

पौलुस रोमियों 8:30 में “बुलाए हुए” शब्द को इसी रीति से उपयोग करता है। यह द्वितीय उपयोग है: जिसमें बुलाहट आज्ञाकारिता का सृजन करती है, बुलाहट से जीवन का सृजन होता है, और इसलिए सभी बुलाए हुए महिमान्वित होंगे। 

अतः, बाइबल को कैसे पढ़ें इसके विषय में एक पाठ यह है कि अलग-अलग लेखक एक ही शब्द को कभी-कभी भिन्न रीति से उपयोग करते हैं, और हमें अपने अर्थप्रकाशन (interpretation) को तात्कालिक सन्दर्भ के आधार पर करने की आवश्यकता है, केवल इस तथ्य पर नहीं कि वे एक ही शब्द का उपयोग करते हैं।

धन्यवाद पास्टर जॉन, आपने स्पष्ट रीति से दोनों स्थलों को उनके सन्दर्भ में समझाया है, कि बुलाए हुए और चुने हुए दोनों शब्द मत्ती और रोमियों की पुस्तक में भिन्न रीति से उपयोग किए हैं। पास्टर जॉन के द्वारा लिखित अन्य हिन्दी संसाधनों को प्राप्त करने लिए, हमारी हिन्दी वेबसाइट मार्ग सत्य जीवन डॉट कॉम पर जाएँ। यहाँ आप विभिन्न विषयों पर लेख, साक्षात्कार तथा हिन्दी सन्देश मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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