प्रेरित बड़ी सामर्थ्य के साथ प्रभु यीशु के पुनरुत्थान की साक्षी देते थे, और उन सब पर बड़ा अनुग्रह था। (प्रेरितों के काम 4:33)
यदि हमारी सेवा यह है कि हमें कल किसी विपरीत परिस्थिति में ख्रीष्ट के लिए साक्षी बनना है, तो इसके लिए कुंजी हमारी प्रतिभा नहीं होगी; कुंजी तो बहुतायत से होने वाला भविष्य-का-अनुग्रह होगा।
ऐसा प्रतीत होता है कि जी उठे ख्रीष्ट के प्रभावशाली साक्षी बनने के लिए प्रेरितों को सभी लोगों में से सबसे कम सहायता की आवश्यकता होनी चाहिए थी। वे उसके साथ तीन वर्ष तक रह चुके थे। उन्होंने उसे मरते हुए देखा था। उन्होंने क्रूसीकरण के बाद उसे जीवित देखा था। साक्षी देने के लिए उनकी शस्त्रागार में “अनेक ठोस प्रमाण” थे (प्रेरितों के काम 1:3)। ऐसा सोचा जा सकता है कि उन आरम्भिक दिनों में सभी लोगों से अधिक, प्रेरितों की साक्षी बनने की सेवा कुछ ही दिन पूर्व अनुभव की गई महिमा के बल पर, स्वतः ही बनी रह सकती थी।
परन्तु प्रेरितों के काम की पुस्तक हमें यह नहीं बताती है। विश्वासयोग्यता और प्रभावकारिता के साथ साक्षी होने की सामर्थ्य मुख्यतः अनुग्रह की स्मृतियों से नहीं आयी; यह तो “बड़े अनुग्रह” के नव आगमन से आयी। “उन सब पर बड़ा अनुग्रह था।” प्रेरितों के साथ ऐसा ही था, और साक्षी बनने की हमारी सेवा में ऐसा ही हमारे साथ भी होगा।
ख्रीष्ट की साक्षी को प्रबल करने के लिए परमेश्वर जो भी अतिरिक्त आश्चर्यकर्म और चमत्कार करता है, वे वैसे ही आएँगे जैसे वे स्तिफनुस के लिए आए। “स्तिफनुस अनुग्रह और सामर्थ्य से परिपूर्ण होकर लोगों के बीच बड़े बड़े अद्भुत कार्य और चिन्ह” दिखाया करता था (प्रेरितों के काम 6:8)। स्तिफनुस की आवश्यकता के अनुसार परमेश्वर की ओर से अनुग्रह आ रहा था — अन्ततः मरने के लिए उसको जो कुछ भी आवश्यक होगा।
एक ऐसा अद्भुत भविष्य-का-अनुग्रह और सामर्थ्य है जिस पर हम सेवा की विशेष आवश्यकता के संकटकाल में निर्भर हो सकते हैं। यह सामर्थ्य का एक नया कार्य है जिसके द्वारा परमेश्वर “अपने अनुग्रह के वचन की साक्षी देता रहा” (प्रेरितों के काम 14:3; इब्रानियों 2:4 भी देखें)। सर्वदा आने वाली सामर्थ्य का अनुग्रह सर्वदा-दिए गए सत्य के अनुग्रह की साक्षी देता है।