हम प्रतिदिन बहुत सारे विषयों के बारे में बात कर सकते हैं किन्तु ‘मृत्यु’ ऐसा विषय है जिसके बारे में हम बात करने से कतराते हैं। प्राय: समाज में मृत्यु का विषय प्राय: शर्मनाक और बेकार माना जाता है। लोग इसके विषय में सोचना भी नहीं चाहते, और यदि आप इस विषय पर चर्चा करने का प्रयास करें तो लोग विषय को बदल देते हैं। किन्तु हम मृत्यु और इसके प्रभाव को अनदेखा नहीं कर सकते। हमें आवश्यकता है कि हम वर्तमान में जीवन जीते हुए मृत्यु को स्मरण रखें। आइये हम ध्यान दें कि हमें मृत्यु को स्मरण क्यों रखना है!
जिस दिन हमारी मृत्यु होगी, हमारी सारी योजनाएँ पल भर में बिखर जाएँगी।
हमारी मृत्यु अचानक हमारी सारी योजनाओं को स्थगित कर देगी। हम प्रतिदिन बहुत सारी योजनाओं के साथ अपने जीवन को व्यतीत कर रहे हैं। एक बच्चे के पास, युवाओं के पास, बुजुर्गों के पास, महिलाओं, पुरुषों, माता-पिता के पास आज और कल के लिए बहुत योजनाएँ होंगी। किन्तु क्या वास्तव में हमने और आपने समय निकाल कर यह सोचा है कि हमारी मृत्यु कभी भी हो सकती है। हम कई बार इतना व्यस्त हैं कि हम मृत्यु जैसी वास्तविक बात को अनदेखा करते हैं, और दर्शाते हैं जैसे कि नहीं सोचने या बात नहीं करने से हम इससे बच सकते हैं। परन्तु सत्य बात यह है कि जिस दिन हमारी मृत्यु होगी, हमारी सारी योजनाएँ पल भर में बिखर जाएँगी (याकूब 4:14)। हम मरेंगे हमारे साथ ही हमारे सारी योजनाएँ यहीं पर समाप्त हो जाएँगी। मुत्यु के लिए कोई समय नहीं है, हम और आप कभी भी किसी भी समय इस संसार को छोड़ सकते हैं।
हम सब मरेंगे क्योंकि हमने पाप के द्वारा मृत्यु कमाई है।
हमारी मृत्यु संसार के लिए कोई नई बात नहीं होगी। कई बार हम यह सोच सकते हैं कि हमारी मृत्यु होगी तो संसार में उथल-पुथल मच सकता है, हमारी अपनों के मध्य दुखों का पहाड़ आ जाएगा। यह सच है कि हमारी निकटतम सम्बन्धियों का लिए हमारा इस संसार से जाना बहुत कठिन है। किन्तु समय के साथ सब अपने कार्यों में व्यस्त हो जाएँगे। समय बदलेगा और सारे घाव, दुख, दर्द भर सकते हैं। सब आते हैं, नाम कमाते हैं, उपलब्धियाँ बटोरते हैं और एक दिन इस संसार से चले जाते हैं। जन्म लेने का समय है और मरने का समय है (सभो.3)। इसलिए संसार के लिए लोगों की मृत्यु नई बात नहीं है। हम सब मरेंगे क्योंकि हमने पाप के द्वारा मृत्यु कमाई है (रोमियो 6:23) हमारे जाने से संसार में कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।
चाहे हम संसार के लिए कितने भी सम्मानित, धनी क्यों न हों, मृत्यु सबके लिए निश्चित है।
हमारी मत्यु पूर्णता: निश्चित है। वर्तमान में प्रौद्योगिकी के कारण हमारे पास बहुत सुविधाएँ हैं। इसलिए अधिक दिन तक जीवित रहने के लिए लोग बहुत सारे उपाय अपना रहे हैं। अच्छा खाना, अच्छा व्यायाम, तथा स्वयं को स्वस्थ्य रखने के लिए बहुत धन व्यय करते हैं, मेहनत करते हैं। किन्तु हम अन्तत: मरेंगे ही (इब्रानियों 9:27)। यदि मृत्यु से बचने का उपाय कुछ होता तो जिनके पास धन है, वह उन संसाधनों के द्वारा स्वयं को बचा सकते हैं किन्तु मृत्यु किसी का पक्षपात नहीं करती। मृत्यु के लिए सब लोग बराबर हैं और यह सबके ऊपर हावी है। इसलिए स्मरण रखिए कि आप और हम सोच सकते हैं कि अच्छा, स्वास्थ्य, अच्छा हास्पिटल, डॉक्टर, भोजन हमको ठीक रखेगा किन्तु कभी न कभी, हमारी अन्तिम श्वांस होगी। हम या सोते समय, या कार्य करते समय, या किसी बिमारी से, किसी दुर्घटना में मरें, किन्तु मरना पूर्णता निश्चित हैै।
सोचिए, यदि मृत्यु न होती तो हममें से अधिकतर अच्छा जीने के लिए अपने पैसे का उपयोग करते और अधिक समय तक जिन्दा रहते। किन्तु पाप के कारण हम सब पर मृत्यु का दण्ड है। हम सब एक दिन मरेंगे किन्तु मरने के बाद जीवन की आशा यीशु देते हैं। जो यीशु पर विश्वास करते हैं वे शारीरिक रीति से इस पृथ्वी पर तो मरेंगे किन्तु अनन्त काल तक परमेश्वर की उपस्थिति में रहेंगे। इसलिए मृत्यु को स्मरण रखते हुए हम अनन्त काल के जीवन के लिए स्वयं को तैयार करें।