यहोवा मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है – मैं किस से डरूँ ?
यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ है – मैं किस से भयभीत होऊँ ? (भजन संहिता 27:1)
यदि किसी के पास भय करने का कोई कारण था, तो वह दाऊद के पास था। जब वह पड़ोसी देशों के विरुद्ध युद्ध में नहीं था, तो वह अपने ही लोगों के द्वारा घात किया जा रहा था। उसका जीवन लगभग सदैव संकट में था। भजन संहिता उसके भय की साक्षियों से भरे हुए हैं जिनका उसने दिन प्रतिदिन एक के बाद एक सामना किया।
किन्तु यहाँ तक कि सभी ओर बुराई होने के बाद भी, वह भजन 27:1 में कह सका कि, “यहोवा मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है — मैं किस से डरूँ? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ है — मैं किस से भयभीत होऊँ?” शाऊल या विदेशी सेना या उसके अपने ही विद्रोही साथी सैनिकों के विषय में हम क्या कहें? किन्तु वास्तिविक प्रश्न तो यह होना चाहिए कि, अंततः उसे किससे भयभीत नहीं होना चाहिए?
जैसे-तैसे दाऊद बिना भय खाए पराजय और मृत्यु का सीधे सामना करने में सक्षम था। वह अपनी परिस्थितियों से ऊपर उठकर देख रहा था — कुछ बातें अपनी परिस्थितियों से परे — कुछ ऐसा जिसने उसे उस समय में भी सान्तवना और भरोसा दिया जब वह सम्भवत: सब कुछ खोने पर था। उसने जोखिमों के पार एक ऐसे परमेश्वर को देखा जिसने उसे सुरक्षित रखने और छुड़ाने की प्रतिज्ञा की थी।
आपका सबसे बड़ा भय क्या है?
अपने पापों की क्षमा के लिए यीशु ख्रीष्ट में एक विश्वासी होने का अर्थ है परमेश्वर के प्रकोप और विनाश से बचाया जाना।
परमेश्वर हमें सुसमाचार के द्वारा जो प्रदान करता है उसे वर्णन करने के लिए सम्भवतः सुरक्षा ही सर्वाधिक प्रचलित रीति है। अंततोगत्वा, “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, कि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए” (यूहन्ना 3:16)।
यद्धपि अनन्त काल के लिए हम यीशु में सुरक्षित अवश्य हैं, किन्तु इस जीवन में भय अभी भी ख्रीष्ट में हमारे सांत्वना और भरोसे की भावना को धुंधला कर देता है। निश्चय ही, ये छोटे डर हैं, किन्तु यह उन्हें किसी भी रीति से कम वास्तविक, मूर्त और सन्निकट नहीं बनाता है। हम वास्तव में उनका आभास करते हैं। हम दूसरों को निराश कर सकते हैं या उनके द्वारा विफल किये जा सकते हैं। तो फिर क्या होगा यदि मेरे बच्चे को कुछ हो जाएगा या मैं उनका पालन-पोषण ठीक रीति से नहीं कर पाऊँगा? हम अपना काम-काज खो सकते हैं और व्ययों का भुगतान करने में असमर्थ हो सकते हैं। हम भयभीत होते हैं कि हम जीवन साथी खो देंगे या, सम्भवतः इससे भी बुरा, कि हम कभी कोई जीवन साथी पाऐंगे ही नहीं। हम मृत्यु से डरते हैं और उन सभी विभिन्न रीतियों से जिनसे वह आती है। हम भय खाने के विभन्न कारणों से घिरे हुए हैं — वास्तविक कारणों से।
हमें किससे डरना चाहिए?
परन्तु भजन 27:1 का तर्क सुझाव देता है कि ये सभी जोखिम इस बात के प्रकाश में कुछ नहीं हैं कि हमारे लिए परमेश्वर कौन है। सबसे बड़ी भयावहता जिसका हम कभी सामना कर सकते हैं वह यह है कि हमारे पाप से भरे जीवनों को पवित्र परमेश्वर के समक्ष प्रस्तुत किया जाना। “उनसे न डरो जो शरीर को घात करते हैं पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, वरन उस से डरो जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है” (मत्ती 10:28)।
मसीह में विश्वास के द्वारा, यद्यपि, उस संकट को सदा के लिए दूर कर दिया गया है। विश्वासी होने के नाते हमारे लिए, सबसे बड़े, डरावने, सबसे अधिक भयभीत करने वाले, सबसे लम्बे समय तक चलने वाले आतंक को दूर कर दिया गया है और नष्ट कर दिया गया है। वह संकट टल गया है। वह विपत्ति बीत चुकी है। वह दोष हटा दिया गया है। वह मृत्युदण्ड निरस्त कर दिया गया है। सम्पूर्ण जगत का परमेश्वर सन्तुष्ट हुआ है और उचित ठहरा दिया गया है। इसलिए हमें अब और अधिक डरने की आवश्यकता नहीं है।
हमारे उड़ने के डर के विषय में एक उदाहरण
एक विमान सेवा आपके गन्तव्य तक की यात्रा के समय आपकी सुरक्षा का उत्तरदायित्व लेती है। जब आप एकबार अपना टिकट मोल ले लेते हैं, उनके विमान में चढ़ जाते हैं, और आप अपनी कुर्सी की पेटी बाँध लेते हैं, तो वे आपकी सुरक्षा का उत्तरदायित्व ले लेते हैं। अब, उड़ान में हजारों बातें अभी भी आपके साथ हो सकती हैं। आप अपनी पैन्ट पर कॉफी गिरा सकते हैं और उन पर दाग लगा सकते हैं। आप किसी पुस्तक को पढ़ते समय अपने आप को पन्ने की धार से काट सकते हैं। आप शौचालय में प्रवेश करते समय अपने आप को चोटिल कर सकते हैं। किन्तु ये जोखिम हवा में 30,000 फीट की ऊँचाई पर पूर्ण रीति से सुरक्षित होने और तीन घंटे में 2,000 मील की सुरक्षित यात्रा करने और बिना हानि उठाए सकुशल होने की तुलना में कुछ भी नहीं है। यदि हम गिरी हुई कॉफी के विषय में असंतोष प्रकट करने के प्रलोभन में फंस जाते हैं — और हम सब ऐसा करते हैं — तो हमने हवाई यात्रा की सुरक्षा के चमत्कार के कारण जो अचंभा हुआ है उसको खो दिया है।
इस जीवन के प्रत्येक डर के साथ भी ऐसा ही है, यहाँ तक कि सबसे भयावह और कष्टदायी डर के साथ भी। जिन लोगों ने अत्यधिक पीड़ा या हानि का अनुभव किया है, वे कह सकते हैं कि यह कहना तो सरल है, परन्तु यह वास्तविकता में कदाचित ही सच है। किन्तु बाइबल अच्छा समाचार लाती है कि यदि हम सच में पाप में हमारी हताशा की गहराई और क्रूस के माध्यम से हमारे प्रति परमेश्वर के छुड़ाने वाले प्रेम की ऊंचाइयों को जानते हैं, तो हमें कभी भी किसी बात से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। यह खड़े होने के लिए एक ठोस और सुरक्षित स्थान है जब आपकी परिस्थितियाँ थोड़ी भी सुरक्षित प्रतीत नहीं होती हैं।
भय की कोई बात नहीं
हम किससे डरें? किसी से नहीं। परमेश्वर हमारी ज्योति और उद्धार बन गया है। जिसने हमें दाम देकर छुड़ाया है वह निश्चय ही हमें बचाएगा और छुड़ाएगा। हम किस से डरें? किसी से नहीं। हमें अनन्तकाल के जीवन की प्रतिज्ञा की गई है जो सदैव बढ़ती हुई प्रसन्नता से भरा हुआ है और प्रत्येक पाप और पाप के परिणाम से शुद्ध किया गया है। हम इस निराशा भरे संसार में कुछ समय के लिए भयंकर बातों को सहन करेंगे, परन्तु यह मात्र कुछ समय के लिए है। और हम यहाँ किसी भी मात्रा में कराहने और कष्ट का अनुभव करने के लिए तैयार हैं जिससे कि हम उसका पूर्णता के साथ अनुभव कर सकें जो हमारे लिए वहाँ पर उसके साथ प्रतीक्षा कर रहा है।