अधिकांश ख्रीष्टीय परमेश्वर की आराधना करने के लिए रविवार के दिन एकत्रित होते हैं। परन्तु कुछ लोग यह कहते हैं कि सब्त के दिन अर्थात् शनिवार के दिन आराधना करना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर ने पुराने नियम में सब्त के दिन आराधना करने के लिए लोगों को आज्ञा दी थी (निर्गमन 20:8-9)। परन्तु इस लेख में विशेष रीति से हम देखेंगे कि नई वाचा के अन्तर्गत विश्वासी लोग परमेश्वर की आराधना रविवार के दिन क्यों करते हैं?
पुरानी वाचा में सब्त का दिन
पुरानी वाचा के अनुसार, शनिवार का दिन आराधना का विशेष दिन था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि परमेश्वर ने छ: दिन में संसार की सृष्टि की और सातवें दिन परमेश्वर ने अपने कार्यों से विश्राम किया (उत्पत्ति 2:2)। परमेश्वर ने अपने लोगों के लिए इस दिन को विश्राम दिन करके ठहराया, जिससे कि वे भी सप्ताह के छह दिन अपने सारे कार्य समाप्त करके सातवें दिन अपने सब कार्यों से विश्राम करें और परमेश्वर की आराधना करें। यही सातवाँ दिन सब्त का दिन कहलाया।
परमेश्वर ने इस्राएलियों को मिस्र की बन्धुवाई से छुड़ाने के बाद यह आज्ञा दी –“तू विश्राम दिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना। छह दिन तक तू परिश्रम करके अपना सब काम कर लेना, परन्तु सातवाँ दिन तेरे परमेश्वर यहोवा का विश्रामदिन है” (निर्गमन 20:8-10)। परमेश्वर ने इस्राएलियों को सब्त को मानने के लिए आज्ञा दी जिससे कि वे मिस्र से परमेश्वर के छुटकारे को याद रख सकें (व्यवस्थाविवरण 5:15)।
नई वाचा के अन्तर्गत, यीशु ख्रीष्ट हमारा सब्त है, उसमें ही हमारा विश्राम पाया जाता है। यीशु ख्रीष्ट कहते हैं कि “सब्त मनुष्यों के लिए बनाया गया है, न कि मनुष्य सब्त के लिए। इसलिए मनुष्य का पुत्र सब्त का भी स्वामी है”(मरकुस 2:27-28)। प्रभु यीशु ख्रीष्ट सच्चा सब्त है, वह सम्पूर्ण व्यवस्था को पूरा करते हैं। इसलिए हम जो ख्रीष्ट में हैं, वे व्यवस्था के अधीन नहीं, परन्तु अनुग्रह के अधीन हैं। सब्त के दिन आराधना करने का विचार पुरानी वाचा के अन्तर्गत पाया जाता है। लेकिन जब हम नये नियम में आते हैं, तो यीशु ख्रीष्ट के आने के बाद सब्त की आवश्यकता समाप्त हो गई, क्योंकि यीशु ख्रीष्ट स्वयं सब्त के प्रभु हैं। इसलिए हम इस लेख के द्वारा कुल तीन कारणों को देखेंगे कि ख्रीष्टीय लोग रविवार के दिन क्यों आराधना के लिए एकत्रित होते हैं।
1. क्योंकि यीशु ख्रीष्ट सप्ताह के पहले दिन जी उठे थे
नये नियम में यीशु ख्रीष्ट सप्ताह के पहले दिन जी उठे (मत्ती 28:1,मरकुस 16:1, यूहन्ना 24:1)। यीशु ख्रीष्ट के जी उठने के बाद स्थिति बदल जाती है। जिस व्यवस्था में सब्त के दिन को पवित्र मानने की आज्ञा दी गई थी उसे यीशु ख्रीष्ट ने स्वयं में पूर्ण कर दिया। यही कारण था कि इस बात का आनन्द मनाने के लिए और यीशु ख्रीष्ट के पुनरुत्थान को स्मरण रखने के लिए ख्रीष्ट के शिष्य रविवार के दिन एकत्रित हुए।
पुनरुत्थान का दिन ख्रीष्टियों के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिन हमें स्मरण दिलाता है कि हम भी एक दिन मृतकों में से जी उठेंगे और अन्ततः हम अपने कार्यों से विश्राम पाएंगे। हमारा वास्तविक विश्राम यीशु ख्रीष्ट में पाया जाता है, क्योंकि मत्ती 11:28 में यीशु ख्रीष्ट कहते हैं कि“हे सब थके और बोझ से दबे लोगो, मेरे पास आओ मैं तुम्हें विश्राम दूँगा । इसलिए अब हम सब्त के दिन आराधना करने के लिए बाध्य नहीं है।
2. क्योंकि सम्पूर्ण कलीसियाई इतिहास में रविवार को आराधना की गई है
यीशु ख्रीष्ट के जी उठने के तत्पश्चात् नये नियम की कलीसिया इस बात को समझ गई कि अब सब्त का दिन उनके ऊपर लागू नहीं होता है। साथ ही साथ उनके लिए यह रविवार का दिन विशेष बन गया, क्योंकि यीशु ख्रीष्ट सप्ताह के पहले दिन जी भी उठे। इस बात का वर्णन हम प्रेरितों के काम की पुस्तक में पाते हैं कि प्रेरित पौलुस त्रोआस में विश्वासियों के साथ सप्ताह के पहले दिन रोटी तोड़ने के लिए एकत्रित होता है (प्रेरितों के काम 20:7-12)।
सबसे बड़ी बात यह है कि नये नियम की कलीसिया के अधिकांश ख्रीष्टीय यहूदी पृष्ठभूमि से थे जो यीशु ख्रीष्ट के जी उठने से पहले सब्त अर्थात शनिवार के दिन आराधना करते थे। परन्तु जब उन्होंने यीशु ख्रीष्ट पर विश्वास किया। इसके पश्चात उन्होंने रविवार के दिन आराधना करना आरम्भ किया।
पहली शताब्दी से लेकर आज तक अलग-अलग देशों में ख्रीष्टीय लोग रविवार के दिन आराधना करते आ रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि रविवार के दिन ख्रीष्टीय लोग इसलिए आराधना करते हैं क्योंकि कॉन्स्टेंटाइन (Constantine) जो लगभग 324 ईस्वी में रोमी राज्य का सम्राट था उसने रविवार के दिन छुट्टी का दिन निर्धारित किया था लेकिन इस तर्क का कोई लिखित प्रमाण नहीं है, क्योंकि कॉन्स्टेंटाइन राजा से पहले ही ख्रीष्टीय लोग रविवार के दिन आराधना करते आ रहे हैं।
3. क्योंकि रविवार के दिन अधिकांश देशों में अवकाश रहता है
तीसरा और अन्तिम कारण यह है कि अधिकांश ख्रीष्टीय रविवार के दिन आराधना करने के लिए इसलिए एकत्रित होते हैं, क्योंकि इस दिन हमारे देश तथा अन्य देशों में अवकाश का प्रावधान है। कलीसिया ख्रीष्ट की देह है और परमेश्वर का परिवार है। हम ख्रीष्टियों के लिए दिन महत्वपूर्ण नहीं है, परन्तु परमेश्वर के चुने हुए लोग महत्वपूर्ण हैं। रविवार के दिन अवकाश होने के कारण कलीसिया स्वत्रन्त होकर मिल सकती है, इसलिए यह एक व्यावहारिक कारण है कि हम रविवार के दिन परमेश्वर की आराधना करने के लिए एकत्रित होते हैं।
कुछ देशों में सप्ताह के अन्य दिन अवकाश होता है जैसे, उदाहरण के लिए मध्य-पूर्व के देशों में शुक्रवार के दिन आराधना होती है तथा नेपाल देश में शनिवार के दिन आराधना होती है, क्योंकि इन देशों में इस निर्धारित दिन राष्ट्रीय स्तर पर अवकाश होता है इसलिए यहाँ के ख्रीष्टीय शनिवार के दिन आराधना के लिए मिलते हैं। इसी प्रकार हमारे भारत देश में, रविवार के दिन अवकाश होता है इसलिए हम रविवार के दिन कलीसियाई रीति से आराधना करने के लिए इकट्ठा होते हैं।
जैसा हमने देखा कि पुरानी वाचा के अन्तर्गत परमेश्वर ने अपने लोगों को आराधना करने के लिए सप्ताह के सातवें दिन को निर्धारित किया था। लेकिन नये नियम में यीशु ख्रीष्ट के आने के बाद स्थिति बदल गई। यीशु ख्रीष्ट हमारा सच्चा सब्त है। प्रभु यीशु ख्रीष्ट सप्ताह के पहले दिन अर्थात रविवार के दिन जी उठे और यह दिन हमारे लिए आराधना करने का विशेष दिन बन गया। और इसी कारण यीशु ख्रीष्ट के शिष्य, नये नियम की कलीसिया तथा कलीसियाई इतिहास में ख्रीष्टीय लोग रविवार के दिन आराधना करते आ रहे हैं।