परमेश्वर हमारे सम्पूर्ण जीवन से आराधना चाहता है

सामान्य रीति से जब लोग आराधना के विषय में सोचते हैं, तो वे अच्छे मसीही गीत, एवं अच्छे संगीत के विषय में सोचते हैं। इसीलिए, रविवार को आराधना की तैयारी में कलीसियाएं गीत और संगीत में बहुत मेहनत करती हैं। यह माना जाता है कि यदि गायक अच्छे हों, और वाद्य-यंत्र सही ताल-मेल से बजें, तो आराधना अच्छी है। यह सच है कि हम गीतों के द्वारा परमेश्वर की आराधना करते हैं, और वाद्य-यंत्र इसमें हमारी सहायता करते हैं। लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार, आराधना केवल गीत और संगीत तक ही सीमित नहीं है। इसके विपरीत, सच्ची आराधना हमारे पूरे जीवन में परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता है। आइए हम इस बात को पवित्रशास्त्र में देखें।

आराधना केवल गीत और संगीत तक ही सीमित नहीं है। इसके विपरीत, सच्ची आराधना हमारे पूरे जीवन में परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता है।

पुराने नियम में परमेश्वर ने इस्राएल को मिस्र के दासत्व से छुड़ाया ताकि वे “…यहोवा की उपासना करें ” (निर्गमन 9:1)। और जब परमेश्वर सीनै पर्वत पर अपने लोगों से मिला, तब उसने उनको अपनी व्यवस्था दी ताकि वे अपने सम्पूर्ण जीवन से उसको महिमा दें। इस व्यवस्था में, परमेश्वर ने उन्हें बताया कि उसकी आराधना के लिए वे एक मिलापवाला तम्बू बनाएं। इस तम्बू में, और बाद में सुलैमान द्वारा बनाए गए मन्दिर में, इस्राएल के लोगों ने बलिदान चढ़ाने के द्वारा परमेश्वर की अराधना की। लेकिन उस समय भी परमेश्वर केवल आराधना के बाहरी प्रकटीकरण को नहीं चाहता था, और इसी बात को समझते हुए दाऊद लिखता है “क्योंकि तू बलि से प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं उसे चढ़ाता; तू होमबलि से भी प्रसन्न नहीं होता। टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटेऔर पिसे हुए हृदय को तुच्छ नहीं जानता ” (भजन 51:16-17)।

यही कारण था कि जब उसके लोग पाप में जी रहे थे, तो परमेश्वर यशायाह के द्वारा इतना तक कहता है, “तुम्हारे बहुत से बलिदान मेरे किस काम के हैं?….अब से अपनी व्यर्थ भेंटें लाना छोड़ दो ” (यशायाह 1:11,13)। परमेश्वर उनसे ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि वे भेंट लाते और आराधना सम्बन्धी विधियों का पालन तो करते थे, लेकिन उनका हृदय और जीवन अधर्म से भरा हुआ था। उन्होंने पवित्र यहोवा को अपने जीवन में तुच्छ जाना और उसे त्याग दिया था। इसलिए परमेश्वर चाहता है कि आराधना करने से पहले वे अपने हृदय को शुद्ध करें, बुरे कामों को दूर करें, बुराई करना छोड़ दें, और भलाई करना सीखें (यशायाह 1:16)। 

लेकिन परमेश्वर केवल हमारे हृदयों को नहीं, परन्तु हृदय से आरम्भ होते हुए वह हमारे सम्पूर्ण जीवन की आज्ञाकारिता को चाहता है। इसलिए पौलुस लिखता है “हे भाइयों, मैं परमेश्वर की दया का स्मरण दिलाकर तुमसे आग्रह करता हूँ कि तुम अपने शरीरों को जीवित, पवित्र और ग्रहणयोग्य बलिदान कर के समर्पित कर दो। यही तुम्हारी आत्मिक आराधना है। इस संसार के अनुरूप न बनो, परन्तु अपने मन के नए हो जाने से तुम परिवर्तित हो जाओ कि परमेश्वर की भली, ग्रहणयोग्य और सिद्ध इच्छा को तुम अनुभव से मालूम करते रहो ” (रोमियों 12:1-2)। यहाँ पर बलिदान का अर्थ समर्पित करने से है। हमें परमेश्वर के सम्मुख स्वयं को सम्पूर्ण शक्ति से उसकी सेवा के लिए प्रस्तुत करना चाहिए। हमें परमेश्वर के सम्मुख पवित्र होना है, नहीं तो हमारा बलिदान उसको स्वीकार नहीं होगा। हमें अपने शरीर से परमेश्वर को प्रसन्न करने वाली भेंट चढ़ाना है। और जब हम रोमियों 12-16 को पढ़ते हैं, तो पौलुस अपने शरीरों को जीवित, पवित्र और ग्रहणयोग्य बलिदान कर के समर्पित करने के अर्थ को समझाता है। इसका लेना-देना हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से है, जैसे कलीसिया में सेवा करना, पहुनाई करना, सरकार के अधीन होना, आदि।

परमेश्वर चाहता है कि हम उसको हृदय से प्रेम करें, उसके प्रति आज्ञाकारी हों, और उसके लिए समर्पित होकर जीवन जिएं।

परमेश्वर चाहता है कि हम उसको हृदय से प्रेम करें, उसके प्रति आज्ञाकारी हों, और उसके लिए समर्पित होकर जीवन जिएं। परमेश्वर हमारे पूरे जीवन से अपनी महिमा चाहता है। इसलिए पौलुस विश्वासियों को परमेश्वर की महिमा हेतु जीने के लिए उत्साहित करता है: “अतः चाहे तुम खाओ या पीओ या जो कुछ भी करो, सब परमेश्वर की महिमा के लिए करो ” (1 कुरिन्थियों 10:31)।  

जब हम आराधना के बारे में सोचते हैं, तब हम इस बात पर कितना ध्यान देते हैं, कि परमेश्वर के सामने हमारे हृदय और हमारे जीवन कैसे हैं? क्या हम ज़ोर-ज़ोर से गीत गाने के साथ, अपने जीवन में गुप्त पाप तो नहीं छिपा रहे हैं? हमें याद रखना है कि परमेश्वर बदलता नहीं है, और वह अब भी पाप से घृणा करता है। तो क्यों न हम अपने पापों को मानें और परमेश्वर से क्षमा माँगें ताकि हमारी आराधना उसके सामने ग्रहणयोग्य हो।

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नीरज मैथ्यू
नीरज मैथ्यू

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

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