“हम तो अपने मन के राजा हैं।” यह कथन हममें से बहुत से लोगों ने या तो अपने जीवन में कहा है या फिर किसी से सुना है। परन्तु इस कथन का अर्थ क्या है। प्राय: लोग का अर्थ होता है कि वह अपना जीवन अपनी इच्छा अनुसार चलाते हैं। उनको किसी की सलाह या परामर्श की आवश्यकता नहीं है। एक रीति से वह स्वयं के मसीहा हैं।
यदि आप ख्रीष्टीय (मसीही) हैं तो मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि आपके मन का राजा कौन है? मेरी आशा है कि आप अवश्य ही कहेंगे कि मेरे मन का राजा यीशु मसीह हैं। परन्तु प्रश्न यह है कि आपको कैसे पता कि यीशु मसीह आपके मन का राजा है?
इस लेख में हम इस बात पर विचार करेंगे कि वचन यीशु मसीह के राजा होने पर क्या कहता है। हम वचन में से एक वाक्य पर ध्यान देंगे जो यीशु मसीह के के यरूशलेम विजय प्रवेश के समय लोगों ने उनके लिए कहे थे।
“…दाऊद की सन्तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशन्ना” (मत्ती 21:9)
“हमारे पिता दाऊद का राज्य जो आ रहा है; धन्य है: आकाश में होशन्ना” ((मत्ती 11:10))
इन दोनों पदों में एक मुख्य विचार है: ‘धन्य है वह जन, या राज्य जो प्रभु के नाम से आता है।’
प्रतिज्ञात राजा!! धन्य है वह जन, जो प्रभु के नाम से आता है। ये लोग यीशु मसीह से विनती कर रहे हैं कि हमें बचा लीजिए। साथ ही ये लोग इस बात को भी समझ गए हैं कि ये कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है। यह अवश्य ही प्रतिज्ञात ख्रीष्ट है, जो दाऊद के राज्य को लाने वाला था। जो अपने लोगों को छुटकारा प्रदान करेगा।
यह स्वयं परमेश्वर है। क्योंकि यह प्रभु अर्थात् यहोवा का नाम धारण किए हुए आ रहा है। क्योंकि जब भी हम पुराने नियम में प्रभु के ‘नाम’ का विचार सुनते हैं तो वह स्वयं परमेश्वर यहोवा की ओर इंगित करता है (भजन 8:1)।
किन्तु जो भीड़ उच्च स्वर से पुकार कर यीशु मसीह को राजा कर रही थी और छुटकारे की विनती कर रही थी, यही भीड़ उसी सप्ताह के शुक्रवार को कहेगी, “इसे क्रूस पर चढ़ाओ”। जिस भीड़ ने यीशु मसीह को राजा कहा था वह यीशु मसीह की रिहाई के स्थान पर, एक डाकू की रिहाई की माँग करती है। वह यीशु को एक घोर अपराधी घोषित कर देती है।
तो यीशु एक राजा है या डाकू है? आगे की घटना इसी बात का उत्तर देती है। वह राजा है और वह भिन्न प्रकार का राजा है। वह पीड़ित राजा है। जिस यीशु को अपराधी की भाँति क्रूस पर चढ़ा दिया गया, तीन दिन के बाद, वह क्रब का मुँह चीर कर बाहर आ गया। वह जीवित हो उठा और उसने मृत्यु पर विजय हासिल की। वह स्वर्ग और पृथ्वी का राजा है (मत्ती 28:19-20)। और एक दिन यही राजा हमारा और आपका न्याय करेगा। प्रत्येक घुटना झुकेगा और प्रत्येक जीभ अंगीकार करेगी की यीशु ही प्रभु है।
यदि आप इस राजा पर विश्वास करते हैं तो आप उसके राज्य में हैं और आप वहाँ उसके साथ होंगे और हम अनन्तकाल तक उसकी आराधना करेंगे। आइये इस राजा के आने तक, इससे लिपटे रहें क्योंकि उसने हमें पाप और मृत्यु से छुड़ाया है और अनन्त जीवन की आशा दी है।