मानव जाति में मृत्यु एक बड़ी समस्या है। सम्भवतः आप के मन में यह प्रश्न अवश्य आया होगा कि क्यों इस जीवितों की भूमि पर लोगों की मृत्यु हो जाती है? क्यों लोग सदैव के लिए जीवित नहीं रहते हैं? इस लेख में, मानव जाति की मृत्यु रूपी सबसे बड़ी समस्या और उसके कारण को जानेंगे और साथ ही हम जानेंगे कि कैसे शुभ शुक्रवार सबसे बड़ी समस्या (मृत्यु) का समाधान लेकर आता है।
आइए हम रोमियों 5:12-14 देखें और मृत्यु और उसके कारण के विषय में विचार करें – “अतः जिस प्रकार एक मनुष्य के द्वारा पाप ने जगत में प्रवेश किया तथा पाप के द्वारा मृत्यु ने, उसी प्रकार मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, क्योंकि सब ने पाप किया। परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि “क्योंकि व्यवस्था के दिए जाने तक पाप जगत में तो था; परन्तु जहाँ व्यवस्था नहीं वहाँ पाप की गणना नहीं होती है। मृत्यु ने आदम से लेकर मूसा तक शासन किया, यहां तक कि उन पर भी जिन्होंने आदम के अपराध के समान पाप नहीं किया था; आदम उसका प्रतीक था जो आने वाला था” (रोमियों 5:12-14)।
मनुष्यों पाप के कारण मृत्यु राज कर रही है। क्योंकि आदम की आज्ञा उल्लंघन के कारण पाप जगत में आया। पाप एक आदमी के द्वारा प्रवेश किया – वह आदम है। आदम मानव जाति के पतन के लिए उत्तरदायी है। क्योंकि वह समस्त मानवजाति के प्रतिनिधि थे। उन्होंने मनुष्य के रूप में जो किया, वह पूरी मानवता के लिए था।
आदम के द्वारा पाप आया, तो मृत्यु पाप के द्वारा संसार में प्रवेश कर गई और आदम के पाप के परिणामस्वरूप सभी मनुष्यों में फैल गई। मृत्यु क्या है? मृत्यु मनुष्य के पाप का दण्डात्मक परिणाम है। यह पाप का ईश्वरीय दण्ड है। रोमियों 6:23 हमें बताता है कि पाप की मज़दूरी मृत्यु है। आदम के पाप के कारण दो प्रकार की मृत्यु हुई, एक है शारीरिक मृत्यु, दूसरी है आत्मिक मृत्यु, जो परमेश्वर से अलग होकर, परमेश्वर के क्रोध और नरक में न्याय के अधीन है। प्रकाशितवाक्य 21:8 में इसे दूसरी मृत्यु कहा गया है।
मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई – सारी मानवता दो प्रकार की मृत्यु के अधीन है। आदम का पापी स्वभाव सभी मानव पीढ़ियों में हस्तान्तरित हो गया। पापी स्वभाव वंशानुगत रूप से विरासत में दे दिया गया, और मृत्यु सब में फैल गई। आदम के समय से आज तक मृतक व्यक्तियों की कब्रें पाप के प्रसार और शासन का स्पष्ट प्रमाण हैं।
आप में से कुछ लोग सोच सकते हैं, अच्छा, मैं तो पापी नहीं हूँ क्योंकि मैंने व्यक्तिगत रूप से कोई अनैतिक काम नहीं किया है, मैंने तो कोई भी परमेश्वर की व्यवस्था को नहीं तोड़ा। प्रिय पाठक, ध्यान दीजिए – परमेश्वर का वचन कहता है कि सभी मनुष्य पापी हैं, हम सभी ने आदम में पाप किया। कोई भी जन पाप से अछूता नहीं है। यहाँ तक कि नवजात शिशु (भजन 51:5) भी। क्योंकि सम्पूर्ण मानव जाति आदम में हैं। कोई भी पापरहित या धर्मी नहीं है। सभी मनुष्य पापी और पूर्ण रूप से भ्रष्ट हैं (रोमियों 3:10-12)।
पाप के कारण सम्पूर्ण मानव जाति परमेश्वर के साथ सम्बन्ध पुनःस्थापित करने में असक्षम है। हम और आप पापी हैं तथा व्यक्तिगत रूप से पाप करने के द्वारा, हमने यह प्रमाणित किया कि हम आदम में हैं। हम आदम के साथ खड़े हैं। इसलिए हम आदम नाई मृत्यु के अधीन हैं। मनुष्यों की मृत्यु यह प्रमाणित करती है कि सभी मनुष्य मृत्यु के अधीन हैं। पाप दोष को तथा पाप शारीरिक और अनन्त मृत्यु को उत्पन्न करता है।
सम्पूर्ण मानव जाति पूर्ण रूप से भ्रष्ट, पापी, परमेश्वर के न्यायदण्ड और मृत्यु के अधीन है। प्रभु यीशु ख्रीष्ट हमारे हृदय और मानवीय भ्रष्टता को मरकुस 7:21-22 में प्रकट करते हैं। और दिखाते हैं कि हम कैसे भ्रष्ट और पापी मनुष्य हैं – “…मनुष्य के मन से कुविचार, व्यभिचार, चोरी, हत्या, परस्त्रीगमन, लोभ, और दुष्टता के काम तथा छल, कामुकता, ईर्ष्या, निन्दा, अहंकार निकलती है।” ये पापी स्वभाव हम सब में पाया जाता है। जिसका परिणाम शारीरिक मृत्यु के साथ-साथ नरक में अनन्तकाल की मृत्यु भी है। इतिहास इस बात की पुष्टि करता है और प्रमाण देता है व्यवस्था के दिए जाने से पूर्व ही मनुष्य पाप के अधीन था और मृत्यु ने उन पर भी शासन किया जिन्होंने आदम की तरह पाप नहीं किया था।
मानव जाति की सबसे बड़ी समस्या पाप और मृत्यु से केवल परमेश्वर ही बचा सकता है। हमें पाप और मृत्यु के साम्राज्य से छुड़ाने के लिए आदम के प्रतीक या प्रारूप और दूसरा आदम (यीशु ख्रीष्ट) जो आने वाला था, आज से लगभग 2023 वर्ष पूर्व इस संसार में स्वर्ग का सिंहासन का छोड़कर पृथ्वी पर मनुष्य देहधारी होकर आ गया।
हमारे लिए सिद्ध पवित्र जीवन जिया। परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी रहा। यहाँ तक हमें मृत्यु और पाप से छुड़ाने के लिए और परमेश्वर पिता की इच्छा को पूर्ण करने के लिए क्रूस पर चढ़ गया और अपने आप को हमारे पापों की कीमत चुकाने के लिए बलिदान कर दिया। हमारे ही पापों के लिए वेधा गया, हमारे पापों कारण ही उसने यातना सही। जो मृत्यु दण्ड हमें मिलना चाहिए था, उसने समस्त मानव जाति के लिए अर्थात् उन लोगों के लिए जो उस पर विश्वास करेंगे, उनके पाप और दण्ड को लेकर क्रूस पर मर गया, जिससे कि अपनी एक मात्र मृत्यु के द्वारा एक ही बार सदाकाल के लिए हमारे मृत्यु दण्ड को चुका दे और हमारे पापों का प्रायश्चित कर दे। एक ही व्यक्ति-अन्तिम आदम अर्थात् यीशु ख्रीष्ट के आज्ञाकारी व सिद्ध जीवन तथा क्रूस पर हमारे लिए किए गए उद्धार के कार्य के द्वारा हम अनुग्रह और अनन्त जीवन को प्राप्त करेंगे (रोमियों 5:15-21)।
आदम की अनाज्ञाकारिता के द्वारा मनुष्य जाति में पाप और मृत्यु आई, परन्तु दूसरा आदम अर्थात् प्रभु यीशु ख्रीष्ट के सिद्ध व आज्ञाकारी जीवन तथा क्रूस पर किए गए महान बलिदान के कारण अनुग्रह, वरदान, धार्मिकता और अनन्त जीवन आया। इसलिए हम सब के लिए शुभ शुक्रवार शुभ है, क्योंकि हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्ट ने क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा सबसे बड़े शत्रु मृत्यु को पराजित कर अनन्त जीवन और अपनी धार्मिकता प्रदान की।
यदि आप प्रभु यीशु ख्रीष्ट में विश्वास करते हैं और अनुग्रह और जीवन को प्राप्त किया है तो आप यीशु को कृतज्ञता के भाव से उसे धन्यवाद और स्तुति की भेंट चढ़ाएं। यदि आप यीशु ख्रीष्ट पर विश्वास नहीं किया है तो मैं आप से अनुरोध करूँगा कि अनुग्रह और अनन्त जीवन को प्राप्ति हेतु हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्ट के जीवन और कार्य पर विश्वास कीजिए। क्रूस पर किए गए महान प्रायश्चित के बलिदान पर भरोसा कीजिए। क्योंकि पाप की मज़दूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु ख्रीष्ट में अनन्त जीवन है। (रोमियों 6:23)।