अब मृत्यु से भय नहीं रहा

August 2, 2025

अब मृत्यु से भय नहीं रहा

अतः जिस प्रकार बच्चे माँस और लहू में सहभागी हैं, तो वह आप भी उसी प्रकार उनमें सहभागी हो गया, कि मृत्यु के द्वारा उसको जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली है, अर्थात् शैतान को, शक्तिहीन कर दे, और उन्हें छुड़ा ले जो मृत्यु के भय से जीवन भर दासत्व में पड़े थे। (इब्रानियों 2:14-15)

ख्रीष्ट कैसे हमें मृत्यु के भय से छुड़ाकर इस रीति से स्वतन्त्र करता है कि हम प्रेमपूर्ण परित्याग के साथ जी सकें और “वस्तुओं और परिजनों को, और इस नश्वर जीवन को भी” छोड़ने के लिए तैयार हो सकें हैं?

अतः जिस प्रकार बच्चे माँस और लहू में सहभागी हैं . . .

शब्द “बच्चे” पिछले पद से लिया गया है और यह ख्रीष्ट, अर्थात् मसीहा की आत्मिक सन्तान की ओर संकेत करता है। ये “परमेश्वर की सन्तान” भी हैं। दूसरे शब्दों में, ख्रीष्ट को भेजने में परमेश्वर की दृष्टि में विशेषकर उसकी “सन्तान” का उद्धार है। “अतः बच्चे  माँस और लहू में सहभागी हैं . . . ।”

तो वह आप भी उसी प्रकार [माँस और लहू] में सहभागी हो गया . . .

परमेश्वर के पुत्र ने, जिसका अस्तित्व देहधारण से पूर्व सनातन वचन के रूप में था (यूहन्ना 1:1), माँस और लहू धारण किया, और उसने अपने परमेश्वरत्व को मनुष्यत्व पहनाया। वह पूर्ण रीति से मनुष्य बन गया और पूर्ण रीति से परमेश्वर बना रहा।

कि मृत्यु के द्वारा . . .

ख्रीष्ट का मनुष्य बनने का कारण ही मरना था। देहधारणपूर्व परमेश्वर के रूप में वह पापियों के लिए मर नहीं सकता था। परन्तु माँस और लहू में सहभागी होकर, वह ऐसा कर सकता था। उसका उद्देश्य मरना था। इसलिए, उसे नश्वर मनुष्य के रूप में जन्म लेना ही था।

कि . . .  उसको जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली है, अर्थात् शैतान को, शक्तिहीन कर दे . . .

मरने के द्वारा, ख्रीष्ट ने शैतान को निष्प्रभावी बना दिया। कैसे? हमारे सारे पाप को ढाँपने के द्वारा (इब्रानियों 10:12)। इसका अर्थ है कि परमेश्वर के सामने हम पर आरोप लगाने के लिए कोई वैध आधार नहीं है। “परमेश्वर के चुने हुओं पर कौन दोष लगाएगा? परमेश्वर ही है जो धर्मी ठहराता है” (रोमियों 8:33)। वह किस आधार पर धर्मी ठहराता है? ख्रीष्ट के लहू के द्वारा (इब्रानियों 9:14; रोमियों 5:9)।

हमारे विरुद्ध शैतान का सबसे प्रभावशाली हथियार हमारा स्वयं का पाप है। यदि यीशु की मृत्यु इसे हटा देती है तो शैतान का प्रमुख हथियार उसके हाथ से छीन लिया गया है। उस अर्थ में वह शक्तिहीन ठहराया जाता है।

और उन्हें छुड़ा ले जो मृत्यु के भय से जीवन भर दासत्व में पड़े थे।

इसलिए, हम मृत्यु के भय से स्वतन्त्र हैं। परमेश्वर ने हमें धर्मी ठहराया है। हमारे सामने केवल भविष्य-का-अनुग्रह है। शैतान उस आज्ञप्ति को नहीं उलट सकता है। और परमेश्वर का उद्देश्य है कि हमारी अन्तिम सुरक्षा हमारे जीवनों पर अभी प्रभाव डाले। उसका उद्देश्य है कि वह सुखान्त वर्तमान के दासत्व और भय को हटा दे।

साझा करें
जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

Articles: 407

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  1. अब मृत्यु से भय नहीं रहा (Current)

    जॉन पाइपर | August 2, 2025
  2. मृत्यु का पूर्वाभ्यास (Rehearsal)

    जॉन पाइपर | December 31, 2025
  3. तैयार और सशक्त किए गए

    जॉन पाइपर | December 30, 2025
  4. एक भयानक गन्तव्य

    जॉन पाइपर | December 29, 2025
  5. महिमा ही लक्ष्य है

    जॉन पाइपर | December 28, 2025
  6. आपका लक्ष्य क्या है?

    जॉन पाइपर | December 27, 2025
  7. आपदा के विषय में कैसे विचार करें

    जॉन पाइपर | December 26, 2025
  8. क्रिसमस के तीन उपहार

    जॉन पाइपर | December 25, 2025
  9. क्रिसमस के दो उद्देश्य

    जॉन पाइपर | December 24, 2025
  10. परमेश्वर का अवर्णनीय उपहार

    जॉन पाइपर | December 23, 2025
  11. कि तुम विश्वास करो

    जॉन पाइपर | December 22, 2025