अवसाद का सामना करने हेतु यीशु के छः उपाय

उसने अपने साथ पतरस और जब्दी के दो पुत्रों को लिया, और व्यथित तथा व्याकुल होने लगा। (मत्ती 26:37)

बाइबल हमें क्रूसीकरण से एक रात पहले यीशु के प्राण की एक अद्भुत झलक देती है। अवसाद या निराशा के साथ यीशु के महत्वपूर्ण युद्ध की रीति को देखें और इससे सीखें।

  1. उसने अपने साथ रहने के लिए कुछ घनिष्ठ मित्रों को चुना। “उसने अपने साथ पतरस और जब्दी के दो पुत्रों को लिया” (मत्ती 26:37)।
  2. उसने उनके सामने अपना प्राण खोल दिया। उसने उनसे कहा, “मेरा प्राण बहुत उदास है, यहाँ तक कि मैं मरने पर हूँ” (मत्ती 26:38)।
  3. उसने इस युद्ध में उनकी भागीदारी और मध्यस्थता की माँग की। “यहीं ठहरो और मेरे साथ जागते रहो” (मत्ती 26:38)।
  4. उसने प्रार्थना में अपने हृदय को पिता के सामने उण्डेल दिया। “हे मेरे पिता, यदि सम्भव हो तो यह प्याला मुझ से टल जाए” (मत्ती 26:39)।
  5. उसने परमेश्वर की सम्प्रभु बुद्धि में अपने प्राण को विश्राम दिया। “फिर भी मेरी नहीं, पर तेरी इच्छा पूरी हो” (मत्ती 26:39)।
  6. उसने अपनी दृष्टि उस महिमामय भविष्य-के-अनुग्रह पर लगाई जो क्रूस की दूसरी ओर उसके लिए प्रतीक्षा कर रहा था। “[उसने] उस आनन्द के लिए जो उसके सामने रखा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके क्रूस का दुःख सहा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर जा बैठा” (इब्रानियों 12:2)।

जब आपके जीवन में सहसा कुछ ऐसा हो जाता है जो आपके भविष्य को जोखिम में डाल दे तो इस बात को स्मरण करें: उस विस्फोट के कारण आपके हृदय मे उठने वाले प्रथम आघात तरंगें, जैसा कि यीशु ने भी गतसमनी में अनुभव किया था, पाप नहीं हैं। वास्तविक जोखिम तो उनके सामने झुक जाना है। हार मान जाना है। आत्मिक संघर्ष न करना है। और उस पापी आत्मसमर्पण की जड़ अविश्वास है — भविष्य-के-अनुग्रह पर विश्वास के लिए संघर्ष करने की असफलता। यह ख्रीष्ट में परमेश्वर हमारे लिए जो कुछ भी होने की प्रतिज्ञा करता है, उसको सँजोने की असफलता है।

गतसमनी में यीशु हमें एक दूसरा उपाय देता है। यह उपाय पीड़ा-मुक्त नहीं है, और न ही यह निष्क्रिय है। उसका अनुसरण करें। अपने विश्वसनीय आत्मिक मित्रों को खोजें। अपने प्राण को उनके सामने खोलें। उनसे कहें कि वे आपके साथ ठहरकर प्रार्थना करें। पिता के सामने अपने प्राण को उण्डेल दें। परमेश्वर की सम्प्रभु बुद्धि में विश्राम लें। और अपनी दृष्टि को परमेश्वर की बहमूल्य और अद्भुत प्रतिज्ञाओं में आपके सामने रखे गए आनन्द पर लगाएँ। 

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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