हम एक ऐसे समाज में रहते है जिसमें क्षमा और प्रेम केवल एक शब्द मात्र ही रहे गए हैं और जिसका प्रभाव हम ख्रीष्टीय लोगों पर भी देखते हैं। हम इस बात से होकर जा भी रहे होंगे या तो अभी भी इससे प्रभावित होंगे!
यदि हम इस क्षेत्र में बढ़ना चाहते हैं, तो इस बात को जानना होगा कि अन्ततः क्षमा और प्रेम का आपस में क्या सम्बन्ध है? और इस बात को जानने के लिए हमें परमेश्वर के वचन को अपने जीवन में लागू करना होगा! क्योंकि यीशु ख्रीष्ट ने बोला कि यदि तुम मुझको प्रेम करते हो तो मेरी आज्ञा को मानोगे (यूहन्ना 14:15) तभी हम परिपक्वता की सीढी को चढ़ पाएँगे! प्रेम और क्षमा एक ख्रीष्टीय व्यक्ति के लिए क्यों इतना आवश्यक है? वह इस बात से ही पता चलता है कि बाइबल में 490 बार “क्षमा” शब्द आया है और वही 714 बार “प्रेम” शब्द बाइबल में आया है! इसको उदाहरण के रूप में ऐसे कह सकते हैं कि प्रेम बड़ा भाई और क्षमा उसका छोटा भाई है जो परमेश्वर के गुणों की पहचान है!
हमने कई बार लोगों को यह कहते सुना है कि “हाँ, पास्टर मैंने उसको क्षमा कर दिया है अब मेरे अन्दर उसके लिए पहले के जैसे प्रेम है, तो दूसरी ओर हम पाते हैं कि वह उसी व्यक्ति की मन लगाकर बुराई कर रहे हैं, इसलिए यीशु ख्रीष्ट ने कई जगह पर क्षमा और प्रेम करने को लेकर आज्ञा दी है न कि विनती की!
क्षमा करने को लेकर प्रभु यीशु ख्रीष्ट चेलों की प्रार्थना में कहते है कि ‘जिस प्रकार तुम दूसरो को क्षमा करोगे अर्थात् जिस मन से तुम दूसरों क्षमा करोगे, उसी मन के साथ परमेश्वर पिता हमारे अपराधों को क्षमा करेंगे! (मत्ती 6:12)
1 यूहन्ना 4:20 में यीशु ख्रीष्ट का प्रिय चेला पवित्र आत्मा की अगुआई में एक महत्वपूर्ण बात को बताता है कि हमारा परमेश्वर के प्रति प्रेम झूठा है। यदि हमने अपने भाई को या किसी को भी क्षमा नहीं किया है।
सम्पूर्ण बाइबल की शिक्षा को हम प्रेम शब्द में समेट सकते हैं क्योंकि यीशु ख्रीष्ट ने स्पष्ट कर दिया कि पूरी बाइबल की शिक्षा यह है कि अपने परमेश्वर से प्रेम और अपने पड़ोसी से प्रेम करना, यदि एक सच्चा ख्रीष्टीय इस बात को अपने जीवन में लागू करे तो उसको दूसरों को क्षमा करने की परिपक्वता में बढ़ने से कोई नही रोक सकता है!
इसलिए क्षमा किए बग़ैर हमें किसी को प्रेम करना अनहोना है! वही परमेश्वर के प्रेम से भरा दिल ही किसी भी जन को कभी भी क्षमा कर सकता है। हो सकता है थोड़ा समय लगे परन्तु एक सच्चा ख्रीष्टीय अवश्य ही इस बात से उभरकर क्षमा करेगा। हम क्षमा और प्रेम के सम्बन्ध को ऐसे समझ सकते है जैसे पति का अपनी पत्नी के साथ सम्बन्ध है और जैसे एक मित्र का अपने घनिष्ट मित्र के साथ सम्बन्ध है। वैसे ही क्षमा और प्रेम के बीच में घनिष्ट सम्बन्ध है! यीशु ख्रीष्ट इस बात में सबसे अच्छे उदाहरण हैं जब वह क्रूस पर थे, जिन्होंने उनको क्रूस पर चढ़ाया था उनके लिए यीशु ख्रीष्ट ने प्रार्थना किया था कि “हे पिता इनको क्षमा कर, क्योंकि यह नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।” वह उनको क्षमा इसलिए कर पाए क्योंकि प्रभु के मन में अपने सताने वालों के लिए प्रेम था। आइए क्यों न हम यीशु ख्रीष्ट के जैसे क्षमा और प्रेम करने वाले बनें, क्योंकि इन दोनों का ख्रीष्टीय लोगों के अन्दर होना उनको परिपक्व बनाता है।