विश्वास दोष-बोध, लोभ, और भय को निकाल देता है

इस आदेश का अभिप्राय यह है कि शुद्ध हृदय और अच्छे विवेक तथा निष्कपट विश्वास से प्रेम उत्पन्न हो। (1 तीमुथियुस 1:5)

पौलुस का लक्ष्य प्रेम है। और इस महान् प्रभाव का एक महत्वपूर्ण स्रोत निष्कपट विश्वास है। विश्वास इस कारण से प्रेम का एक अचूक स्रोत है क्योंकि परमेश्वर के अनुग्रह पर विश्वास हमारे हृदयों से उन पापी शक्तियों को निकाल देता है जो प्रेम में बाधा डालती हैं।

यदि हम दोष-बोध  का आभास करते हैं, हम स्व-केन्द्रित अवसाद और आत्मदया में पड़े रहते हैं और हम किसी और की आवश्यकता को देख भी नहीं पाते हैं, उनकी चिन्ता करना तो दूर की बात है। या हम अपने दोष-बोध को छिपाने के लिए पाखण्ड करते हैं, और इस प्रकार सम्बन्धों में सत्यनिष्ठा को नष्ट कर देते हैं जिससे सच्चा प्रेम करना असम्भव हो जाता है। या फिर हम अपना दोष घटाने के लिए अन्य लोगों की त्रुटियों के विषय में बात करते हैं, किन्तु प्रेम ऐसा नहीं करता है। इसलिए, यदि हमें प्रेम करना है तो दोष-बोध के विनाशकारी परिणामों पर हमें विजय प्राप्त करना होगा।

यही बात भय  के साथ भी है। यदि हम भयभीत होने का आभास करते हैं, तो हम कलीसिया में आए उस नए व्यक्ति से पहल करके बात नहीं करते हैं जिसको सम्भवतः स्वागत और प्रोत्साहन के शब्द की आवश्यकता हो। या हम अन्य देश में जाकर सुसमाचार का कार्य करने से पीछे हटेंगे, क्योंकि यह सुनने में जोखिम भरा लगता है। या हम धन को अत्यधिक बीमा योजनाओं में व्यर्थ कर सकते हैं, या फिर हर प्रकार के छोटे डरों में पड़े रह सकते हैं जो हमारे ध्यान को स्वयं की ओर ही खींचते हैं और हमें दूसरों की आवश्यकताओं के प्रति अन्धा बनाते हैं। ये सब प्रेम के विपरीत हैं।

यही बात लोभ  के साथ भी है। यदि हम लोभी  हैं तो सम्भवतः हम अपने धन को अनावश्यक वस्तुओं के लिए व्यय करते हैं — उस धन को जिसे सुसमाचार की वृद्धि के लिए होना चाहिए। अपनी बहमूल्य वस्तुओं और आर्थिक भविष्य को बचाए रखने के लिए, हम कुछ भी जोखिम नहीं उठाते हैं। हम लोगों से अधिक वस्तुओं को ध्यान देते हैं, या लोगों को हमारे भौतिक लाभ के लिए साधन के रूप में देखते हैं। और इस प्रकार से प्रेम नष्ट हो जाता है।

परन्तु भविष्य-के-अनुग्रह पर विश्वास हृदय से दोष-बोध और भय और लोभ को निकाल देने के द्वारा प्रेम उत्पन्न करता है।

यह दोष-बोध  को दूर करता है क्योंकि यह इस आशा को दृढ़ता से थामे रहता है कि ख्रीष्ट की मृत्यु अब और सर्वदा के लिए दोष-मुक्ति और धार्मिकता को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त है (इब्रानियों 10:14)।

यह भय  को दूर करता है क्योंकि यह इस प्रतिज्ञा पर निर्भर होता है, “मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूँ। . . . मैं तुझे दृढ़ करूँगा और निश्चय ही तेरी सहायता करूँगा, और अपने धर्ममय दाहिने हाथ से तुझे सम्भाले रहूँगा” (यशायाह 41:10)।

और यह लोभ  को दूर करता है क्योंकि इसको भरोसा है कि ख्रीष्ट इस जगत के सम्पूर्ण धन से भी मूल्यवान है (मत्ती 13:44)।

इसलिए जब पौलुस कहता है, “इस आदेश का अभिप्राय यह है कि . . . निष्कपट विश्वास से प्रेम उत्पन्न हो,” तो वह प्रेम के लिए बाधाओं को हटाने के लिए विश्वास के अद्भुत सामर्थ्य की बात कर रहा है। जब हम विश्वास का युद्ध लड़ते हैं — अर्थात् परमेश्वर की उन प्रतिज्ञाओं पर विश्वास करते हैं जो दोष-बोध और भय और लोभ को मारती हैं — तब हम प्रेम के लिए लड़ रहे होते हैं।

साझा करें
जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

Articles: 362

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *