हमें पवित्रता के लिए कैसे संघर्ष करना है
सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी बनो, जिसके बिना प्रभु को कोई भी नहीं देख पाएगा। (इब्रानियों 12:14)
एक ऐसी व्यावहारिक पवित्रता है जिसके बिना हम प्रभु को नहीं देखेंगे। बहुत से लोग ऐसे जीते हैं मानो कि यह बात सत्य ही नहीं है।
स्वयं को ख्रीष्टीय कहने वाले ऐसे लोग भी हैं जो इतना अपवित्र जीवन जीते हैं कि वे यीशु के भयानक शब्दों को सुनेंगे, “मैंने तुम को कभी नहीं जाना; हे कुकर्मियो, मुझ से दूर हटो” (मत्ती 7:23)। पौलुस स्वयं को ख्रीष्टीय कहने वाले विश्वासियों से कहता है, “यदि तुम शरीर के अनुसार जीवन बिता रहे हो तो तुम्हें अवश्य मरना है” (रोमियों 8:13)।
इसलिए, एक ऐसी पवित्रता है जिसके बिना कोई भी प्रभु को नहीं देखेगा। और भविष्य-के-अनुग्रह पर विश्वास के द्वारा पवित्रता के लिए संघर्ष करना सीखना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
पवित्रता की खोज करने का एक और मार्ग भी है जो स्वयं को हानि पहुँचाता है और मृत्यु की ओर ले जाता है। पौलुस हमें चेतावनी देता है कि हम परमेश्वर की सेवा उसके सामर्थकारी अनुग्रह को छोड़कर किसी और रीति से न करें। “मनुष्य के हाथों से [परमेश्वर] की सेवा-टहल [नहीं] होती है, मानो कि उसे किसी बात की आवश्यकता हो, क्योंकि वह स्वयं सब को जीवन, श्वास और सब कुछ प्रदान करता है” (प्रेरितों के काम 17:25)। परमेश्वर की सेवा करने का कोई भी प्रयास, जो उस सेवा कार्य में हमारे हृदय के प्रतिफल और हमारी सेवा के सामर्थ्य के रूप में परमेश्वर पर निर्भर न हो, उसे एक आवश्यकता में पड़े हुए झूठे ईश्वर के रूप में अपमानित करेगा।
पतरस परमेश्वर की ऐसी आत्मनिर्भर सेवा के स्थान पर एक सही रीति से सेवा करने का विकल्प देता है, “जो सेवा करे, उस सामर्थ्य से करे जो परमेश्वर देता है, जिस से सब बातों में यीशु ख्रीष्ट के द्वारा परमेश्वर की महिमा हो” (1 पतरस 4:11)। और पौलुस कहता है, “उन बातों को छोड़, मैं अन्य किसी बात को कहने का साहस नहीं करूँगा जो ख्रीष्ट ने मेरे द्वारा पूर्ण किया है” (रोमियों 15:18; 1 कुरिन्थियों 15:10 भी देखें)।
परमेश्वर द्वारा हमारे लिए ठहराए गए “हर भले कार्य” को करने के लिए हमें सशक्त बनाने हेतु पल-पल अनुग्रह आता है। “परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है, जिससे कि तुम सदैव सब बातों में परिपूर्ण रहो, और हर भले कार्य के लिए तुम्हारे पास भरपूरी से हो” (2 कुरिन्थियों 9:8)।
भले कार्यों को करने के लिए संघर्ष भविष्य-के-अनुग्रह की प्रतिज्ञाओं पर विश्वास करने का संघर्ष है।



