यीशु अपनी भेड़ों को बनाए रखता है

“शमौन, हे शमौन, देख! शैतान ने तुम लोगों को गेहूँ के समान फटकने के लिए आज्ञा माँग ली है, परन्तु मैंने तेरे लिए प्रार्थना की है कि तेरा विश्वास चला न जाए। अतः जब तू फिरे तो अपने भाइयों को स्थिर करना।” (लूका 22:31-32)

यद्यपि यीशु को तीन बार नकारने के द्वारा पतरस सच में अपने विश्वास में बुरी रीति से विफल हो गया था, परन्तु यीशु की प्रार्थना ने उसे पूर्णतः नाश होने से बचाये रखा। उसको फूट-फूटकर रोना पड़ा और वह ऐसे आनन्द और साहस में पुनःस्थापित हुआ जिसको पिन्तेकुस्त के दिन पतरस के सन्देश में स्पष्टता से देखा जा सकता था। यीशु आज उसी प्रकार से हमारे लिए विनती कर रहा है कि हमारा विश्वास विफल न हो जाए। पौलुस इस बात को रोमियों 8:34 में कहता है।

यीशु ने प्रतिज्ञा की कि उसकी भेड़ों को बनाए रखा जाएगा और कि वे कभी नाश नहीं होंगे। “मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ सुनती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे चलती हैं। मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ। वे कभी नाश न होंगी, और उन्हें मेरे हाथों से कोई भी छीन नहीं सकता” (यूहन्ना 10:27-28)।

इसका कारण यह है कि परमेश्वर भेड़ों के विश्वास को बनाए रखने के लिए कार्य करता है। “जिसने तुम में भला कार्य आरम्भ किया है, वही उसे ख्रीष्ट यीशु के दिन तक पूर्ण भी करेगा” (फिलिप्पियों 1:6)।

विश्वास की लड़ाई को लड़ने के लिए हमें अकेले नहीं छोड़ दिया गया है। “स्वयं परमेश्वर अपनी सुइच्छा के लिए तुम्हारी इच्छा और कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए तुम में सक्रिय है” (फिलिप्पियों 2:13)।

आपके पास परमेश्वर के वचन का आश्वासन है कि यदि आप उसकी सन्तान हैं, वह “तुम्हें सब भले गुणों से परिपूर्ण करे[गा], जिस से तुम उसकी इच्छा पूरी करो, और जो कुछ उसकी दृष्टि में प्रिय है, वह यीशु ख्रीष्ट के द्वारा हमारे अन्दर पूरा करे[गा]” (इब्रानियों 13:21)।

विश्वास और आनन्द में हमारा बना रहना अन्ततः और निर्णायक रीति से परमेश्वर के हाथों में है। हाँ, हमें लड़ना है। परन्तु ये लड़ाई ही परमेश्वर का वह कार्य है जो वो हम में करता है। और वह निश्चित रीति से ऐसा करेगा, जैसा कि रोमियों 8:30 में लिखा गया है, “जिन्हें धर्मी ठहराया, [उसने] उन्हें महिमा भी दी है।” परमेश्वर की धर्मी ठहराई गई सन्तानों का महिमान्विकरण इतना निश्चित है मानो कि वह हो चुका है।

जिनको वह विश्वास में लेकर आया है और धर्मी ठहराया है वह उनमें से किसी एक को भी नहीं खोएगा।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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