हमारा दन्तहीन शत्रु

जब तुम अपने अपराधों और शरीर की खत़ना-रहित दशा में मृतक थे, तब उसने ख्रीष्ट के साथ तुम्हें भी जीवित किया। उसने हमारे सब अपराधों को क्षमा किया। और विधियों का वह अभिलेख जो हमारे नाम पर हमारे विरुद्ध था, मिटा डाला, और उसे क्रूस पर कीलों से जड़ कर हमारे सामने से हटा दिया। जब उसने प्रधानों और अधिकारियों को उसके द्वारा निरस्त्र कर दिया, तब उन पर विजय प्राप्त करके उनका खुल्लम-खुल्ला तमाशा बनाया। (कुलुस्सियों 3:13-15)

ख्रीष्ट के साथ मिलन विश्वासियों के लिए एक बड़ा परिवर्तन इस कारण लाता है क्योंकि ख्रीष्ट ने कलवरी पर शैतान के ऊपर एक निर्णायक विजय प्राप्त की है। उसने शैतान को संसार से हटाया नहीं है, परन्तु उसने उसे इस स्तर तक निरस्त्र कर दिया है कि उसके हाथ से नरक में दण्ड का शस्त्र भी छीन लिया गया है।  

वह विश्वासियों पर क्षमा न पाए हुए पाप का दोष नहीं लगा सकता है। एक मात्र वही एक दोष है जो हमें नाश कर सकता है। और इसलिए, वह हमें सम्पूर्णता से नष्ट नहीं कर सकता है। वह हमें शारीरिक और भावनात्मक रीति से चोट पहुँचा सकता है — यहाँ तक कि हमें घात भी सकता है। वह हमें प्रलोभित कर सकता है और दूसरों को हमारे विरुद्ध भड़का सकता है। परन्तु वह हमें नष्ट नहीं कर सकता है।  

कुलुस्सियों 2:13-15 के अनुसार जो निर्णायक विजय है वह इस तथ्य के कारण है कि “ऋण का अभिलेख जो हमारे विरुद्ध था” क्रूस पर जड़ दिया गया है। शैतान ने उस अभिलेख को हमारे विरुद्ध में मुख्य आरोप बनाया था। अब उसके पास ऐसा कोई भी आरोप नहीं है जो कि स्वर्ग के न्यायालय में टिक सके। वह कार्य जिसे करने के लिये वह सबसे अधिक लालायित रहता है अब उसे भी करने में वह असहाय है: अर्थात् हमें नरक में दण्डित करना। वह यह नहीं कर सकता है। क्योंकि ख्रीष्ट ने हमारे नरक के दण्ड को सह लिया। अब शैतान निरस्त्र है। 

इसे कहने का एक और ढंग इब्रानियों 2:14-15 में पाया जाता है: “[ख्रीष्ट मनुष्य बन गया] कि मृत्यु के द्वारा उसको जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली है, अर्थात् शैतान को, शक्तिहीन कर दे, और उन्हें छुड़ा ले जो मृत्यु के भय से जीवन भर दास्तव में पड़े थे।” 

मृत्यु अभी भी हमारी शत्रु है। परन्तु अब इसके दाँतों को तोड़ दिया गया है। सर्प के विष को बाहर निकाल दिया गया है। प्राणघातक डंक चला गया है। मृत्यु का डंक पाप था। और पाप की नरक में दण्ड देने की शक्ति व्यवस्था की माँग में थी। परन्तु ख्रीष्ट का धन्यवाद हो जिसने व्यवस्था की माँग को पूरा कर दिया। “हे मृत्यु, तेरी विजय कहाँ है? हे मृत्यु, तेरा डंक कहाँ?” (1 कुरिन्थियों 15:55)। 

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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