अपने आँसुओं से बातें करें

April 13, 2025

अपने आँसुओं से बातें करें

जो आँसू बहाते हुए बोते हैं, वे जयजयकार करते हुए काटेंगे। जो बीज लेकर बोने के लिए रोता हुआ चला जाता है, वह निश्चय ही अपनी पूलियां लिए हुए जयजयकार के साथ लौट आएगा। (भजन 126:5–6)

बीज बोना कोई दुःख की बात नहीं है। इसमें कटाई से अधिक काम नहीं होता है। ये दिन तो सुन्दर हो सकते हैं। अच्छी उपज की महान् आशा भी रखी जा सकती है।

फिर भी यह भजन “आँसू बहाते हुए” बीज बोने की बात करता है। यहाँ लिखा है कि कोई “बीज लेकर बोने के लिए रोता हुआ चला जाता है।” तो फिर, वे क्यों रो रहे हैं?

मेरा विचार है कि इसका कारण यह नहीं है कि बोना एक दुःख भरा कार्य है, अथवा बोना एक कठिन कार्य है। मेरा विचार है कि इस प्रकार के कारणों का बोने से कोई लेना-देना नहीं है। बोना तो मात्र एक साधारण कार्य है जिसे किया जाना होता है। चाहे हमारे जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ हों जो हमें रुला रही हों।  

फसल इस बात की प्रतीक्षा नहीं करेगी कि हम अपने क्लेश को समाप्त कर लें या अपनी सभी समस्याओं का समाधान निकाल लें। यदि हमें भविष्य के लिए पर्याप्त भोजन चाहिए, तो हमें बाहर जाना होगा और बीज बोना होगा, चाहे हम रो रहे हों या न रो रहे हों।

यदि आप ऐसा करते हैं, तो भजन में दी गयी प्रतिज्ञा यह है कि आप, “जयजयकार करते हुए काटेंगे।” आप “अपनी पूलियाँ लिए हुए जयजयकार के साथ लौट आएँगे।” इस कारण नहीं कि बोते समय बहाए गए आँसू कटनी के समय के आनन्द को उत्पन्न करते हैं, परन्तु इसलिए कि मात्र बोने की प्रक्रिया ही कटनी को लेकर आती है, और आप को इस बात को तब भी स्मरण रखना है, जब आप के आँसू आप को प्रलोभित करते हैं कि आप बोने के कार्य को त्याग दें।

तो, जो शिक्षा हमें यहाँ पर मिलती है वह यह है कि जब सरल, सीधे कार्य करने होते हैं, और आप दुःख से भरे होते हैं, और आप के आँसू सरलता से बहने लगते हैं, तो आगे बढ़िए और उन कार्यों को आँसू बहाते हुए करिए। यथार्थवादी बनिए। अपने आँसुओं से कहिये, “आँसुओं, मैं तुम्हें समझता हूँ। तुम चाहते हो कि मैं अपने जीवन में सब कुछ त्याग दूँ। परन्तु एक खेत है जिसे बोया जाना है (जैसे कि: बर्तनों को धोना, गाड़ी को ठीक करना, प्रचार का लिखा जाना)।”

इसके बाद परमेश्वर के वचन के आधार पर यह कहिये, “आँसुओं, मै जानता हूँ कि तुम सदैव बने नहीं रहोगे। यह तथ्य कि मैं अपने कार्य को करता हूँ (आँसू और अन्य परिस्थितियों के मध्य भी) अन्त में आशीषों की उपज को लायेगा। इसलिए, बहो यदि तुम्हें बहना ही है। परन्तु मेरा विश्वास है — यद्यपि मैं इसे अभी पूर्णतः देख नहीं पा रहा हूँ या इसका आभास नहीं कर पा रहा हूँ — मेरा विश्वास है कि मेरे द्वारा किया गया यह बोने का साधारण कार्य उपज की पूलियों को ले कर आएगा। और मेरे आँसू आनन्द में परिवर्तित हो जाएँगे।   

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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