उसके नाम के लिए एक प्रजा

May 10, 2025

उसके नाम के लिए एक प्रजा

“शमौन ने बताया है कि परमेश्वर ने अपने नाम के लिए बहुत दिनों पूर्व ग़ैरयहूदियों में से एक प्रजा को कैसे चुन लिया।” (प्रेरितों के काम 15:14)

कलीसिया को मिशन के लिए प्रेरित करने में, परमेश्वर के नाम के अर्थात् उसकी ख्याति के केन्द्रीय महत्व पर अत्यधिक बल देना लगभग असम्भव है।

जब प्रेरितों के काम 10 में अशुद्ध पशुओं के दर्शन के द्वारा, और परमेश्वर से यह सीख लेने के बाद कि उसको यहूदियों के साथ-साथ गैरयहूदियों के मध्य भी सुसमाचार प्रचार करना चाहिए, तो पतरस का संसार उथल-पुथल हो गया था, उसके बाद वह यरूशलेम को लौटा और उसने प्रेरितों को बताया कि यह सब कुछ परमेश्वर के जो अपने नाम के लिए धुन में है उसके कारण था। हम यह जानते हैं क्योंकि याकूब ने पतरस की बात को इस रीति से साराँशित किया: “भाइयो, मेरी सुनो! शमौन ने बताया है कि परमेश्वर ने अपने नाम के लिए बहुत दिनों पूर्व ग़ैरयहूदियों में से एक प्रजा को कैसे चुन लिया” (प्रेरितों के काम 15:13-14)। 

यह आश्चर्यजनक नहीं है कि पतरस ने कहा कि परमेश्वर का उद्देश्य था अपने नाम के लिए  एक प्रजा एकत्रित करना; क्योंकि प्रभु यीशु ने कुछ वर्ष पूर्व पतरस को एक अविस्मरणीय शिक्षा से प्रभावित किया था।

आपको स्मरण है कि, एक धनी युवक जब यीशु से विमुख हो गया और उसने यीशु के पीछे चलने से मना कर दिया, उसके बाद पतरस ने यीशु से कहा, “देख, हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे चल पड़े हैं [इस युवक के समान नहीं]। हमें क्या मिलेगा?” (मत्ती 19:27)। यीशु ने एक हल्की डाँट के साथ प्रत्युत्तर दिया, जिसका आशय था कि जब हम मनुष्य के पुत्र के नाम के लिए जीते हों तो यह कोई सर्वश्रेष्ठ बलिदान नहीं है। उसने कहा, “प्रत्येक जिसने मेरे नाम के लिए  घरों, या भाइयों, या बहिनों, या पिता या माता, या बच्चों, या खेतों को छोड़ दिया है, वह इस से कई गुना अधिक पाएगा और अनन्त जीवन का उत्तराधिकारी होगा” (मत्ती 19:29)।

सत्य स्पष्ट है: परमेश्वर सर्वसामर्थी आनन्द के साथ एक विश्वव्यापी उद्देश्य का पीछा कर रहा है कि वह प्रत्येक जाति, कुल, लोग और भाषा से अपने नाम के लिए  एक प्रजा को एकत्रित करे (प्रकाशितवाक्य 5:9; 7:9)। जातियों के मध्य अपने नाम की ख्याति के लिए उसके पास एक असीम धुन है।

इसलिए, जब हम अपने स्नेहों को उसके अनुरूप बनाते हैं, और, उसके नाम के लिए, अपनी सांसारिक प्रसिद्धि और सुख की खोज को त्याग देते हैं, और उसके वैश्विक उद्देश्य में जुड़ते हैं, तब, अपने नाम के लिए परमेश्वर का सार्वसामर्थी समर्पण हमारे सामने एक झण्डे के समान लहराता है, और हम नहीं हार सकते हैं, भले ही हमें अनेक क्लेशों के मध्य चलना पड़े (प्रेरितों के काम 14:22; रोमियों 8:35-39)।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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