आपके आश्वासन की नींव

परमेश्वर ने आरम्भ ही से तुम्हें चुन लिया है कि आत्मा द्वारा पवित्र बन कर और सत्य पर विश्वास करके उद्धार पाओ। (2 थिस्सलुनीकियों 2:13)

बाइबल हमारे चुनाव की बात करती है — परमेश्वर द्वारा हमारा चुना जाना — जगत की उत्पत्ति से पहले ख्रीष्ट में (इफिसियों 1:4)  इससे पहले कि हमने कुछ भला या बुरा किया था (रोमियों 9:11)। इसलिए, सटीक अर्थ में हमारा चुनाव अप्रतिबन्धित है। हमारे चुनाव का आधार न तो हमारा विश्वास है और न ही हमारी आज्ञाकारिता है। यह निःशुल्क है और इसके लिए हम पूर्णतः अयोग्य हैं।

दूसरी ओर, बाइबल के दर्जनों खण्ड बात करते हैं कि हमारा अन्तिम उद्धार (अनन्तकाल पूर्व में हमारे चुनाव के विपरीत) एक परिवर्तित हृदय और जीवन पर निर्भर हैं। इसलिए, यह प्रश्न उठता है कि, मैं इस बात को लेकर आश्वसत कैसे हो सकता हूँ कि मैं उस विश्वास और पवित्रता में बना रहूँगा जो अनन्त जीवन को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है?

इसका उत्तर यह है कि आश्वासन की जड़ हमारे चुनाव में पाई जाती है। दूसरा पतरस 1:10 कहता है, “अपने बुलाए जाने और चुने जाने  की निश्चयता के लिए और भी अधिक प्रयत्न करते जाओ, क्योंकि इन बातों के प्रयत्न में जब तक रहोगे, तुम कभी ठोकर न खाओगे।” मुझे बचाने के लिए परमेश्वर के समर्पण की नींव ईश्वरीय चुनाव है, इसीलिए चुनाव के अनुग्रह ने जिसे आरम्भ किया है, उसे पवित्रीकरण के अनुग्रह के द्वारा कार्यरत करने लिए परमेश्वर मुझ में कार्य करेगा।

यही नई वाचा का अर्थ है। जो कोई यीशु पर विश्वास करता है वह नई वाचा का एक सुरक्षित प्राप्तकर्ता है, क्योंकि यीशु ने लूका 22:20 में कहा, “यह प्याला जो तम्हारे लिए उण्डेला गया है मेरे लहू में एक नई वाचा है।” अर्थात्, मैं अपने लहू के द्वारा उन सब लोगों के लिए नई वाचा को सुरक्षित करता हूँ जो मेरे हैं।

नई वाचा में परमेश्वर केवल आज्ञाकारिता की आज्ञा ही नहीं देता है; वरन् वह उसे प्रदान भी करता है। “फिर तेरा परमेश्वर यहोवा तेरा तथा तेरी सन्तान के मन का ख़तना करेगा कि तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और अपने सारे प्राण से प्रेम करे जिस से तू जीवित रहे” (व्यवस्थाविवरण 30:6)। “मैं अपना आत्मा तुम में डालूँगा और तुम्हें अपनी विधियों पर चलाऊँगा” (यहेजकेल 36:27; तुलना करें 11:20 से)। ये नई वाचा की प्रतिज्ञाएँ हैं।

चुनाव परमेश्वर का अनन्त समर्पण है कि वह अपने लोगों के लिए इन प्रतिज्ञाओं को पूरी करेगा। इसलिए, चुनाव सुनिश्चित करता है कि परमेश्वर जिन लोगों को विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराता है, वह निस्सन्देह उन्हें महिमा भी देगा (रोमियों 8:30)। इसका अर्थ यह है कि वह बिना विफल हुए हम में उन सभी माँगों को पूरा करेगा जो महिमान्वीकरण के लिए आवश्यक हैं।

चुनाव इस कारण से आश्वासन के लिए अन्तिम आधार है, क्योंकि यह बचाने के लिए परमेश्वर का समर्पण है, इसलिए यह उद्धार हेतु आवश्यक सभी बातों को समर्थ बनाने के लिए भी परमेश्वर का समर्पण है।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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