जो धनवान होना चाहते हैं, वे प्रलोभन, फन्दे में, और अनेक मूर्खतापूर्ण और हानिकारक लालसाओं में पड़ जाते हैं जो मनुष्य को पतन तथा विनाश के गर्त में गिरा देती हैं। (1 तीमुथियुस 6:9)
लालच प्राण को सर्वदा के लिए नरक में नाश कर सकता है।
पौलुस तीन पद आगे 1 तीमुथियुस 6:12 में जो कहता है उस कारण मैं निश्चित हूँ कि यह विनाश कोई अस्थायी आर्थिक असफलता नहीं, वरन् नरक में अन्तिम विनाश है। 1 तीमुथियुस 6:12 में पौलुस कहता है कि विश्वास की अच्छी कुश्ती लड़ने के द्वारा लालच का प्रतिरोध किया जाना चाहिए। फिर वह कहता है, “अनन्त जीवन को पकड़े रह जिसके लिए तू बुलाया गया था और जिसकी उत्तम साक्षी तू ने दी थी।” लालच से भागने और भविष्य-के-अनुग्रह पर विश्वास के द्वारा सन्तुष्टि के लिए संघर्ष करने में जो दाँव पर लगा है वह है अनन्त जीवन ।
इसलिए जब पौलुस 1 तीमुथियुस 6:9 में कहता है कि धनवान होने की इच्छा लोगों को विनाश के गर्त में ले जाती है, तो वह यह नहीं कह रहा है कि लालच आपके विवाह या आपके व्यवसाय को बिगाड़ेगा (जो वह निश्चित रूप से कर सकता है!)। वह कह रहा है कि लालच आपके अनन्तकाल को बिगाड़ सकता है। या फिर जैसा कि 1 तीमुथियुस 6:10 के अन्त में वह कहता है “कुछ लोगों ने इसकी लालसा में विश्वास से भटक कर अपने आप को अनेक दुखों से छलनी बना डाला है” (अक्षरशः “अपने आप को अनेक दुखों पर बेध डाला है”)।
परमेश्वर ने बाइबल में दयापूर्वक हमें इस बात को चिताने का अत्यधिक प्रयास किया है कि लालच की मूर्तिपूजा से कुछ भी लाभ नहीं है। यह तो पूर्ण रीति से व्यर्थ मार्ग है। यह एक धोखा है और एक घातक जाल है।
अतः आपके लिए मेरे शब्द 1 तीमुथियुस 6:11 के ही शब्द हैं: “इन बातों से भाग।” जब आप लालच को आते हुए देखें (टीवी के विज्ञापन पर या इन्टरनेट पर या पड़ोसी के घर में), तो उससे इस रीति से भागें, मानो आप चिड़ियाघर से छूटे हुए दहाड़ते भूखे सिंह से भाग रहे हों। “अनन्त जीवन को पकड़े रहें।”