सब बातों के पीछे

May 13, 2025

सब बातों के पीछे

उसने हमें अपनी इच्छा के भले अभिप्राय के अनुसार पहिले से ही अपने लिए यीशु ख्रीष्ट के द्वारा लेपालक पुत्र होने के लिए ठहराया। (इफिसियों 1:5)

चार्ल्स स्पर्जन का अनुभव किसी साधारण ख्रीष्टीय की क्षमता से परे नहीं है।

स्पर्जन, जो 1834 से 1892 तक जीवित रहे, जॉर्ज म्यूलर और हडसन टेलर के साथी और मित्र थे। उन्होंने लन्दन में मेट्रोपोलिटन टैबर्नैकल में अपने समय के सबसे प्रसिद्ध पास्टर के रूप में तीस से अधिक वर्षों के लिए सेवा की।

उनका प्रचार इतनी सामर्थी था कि हर सप्ताह लोगों का हृदय-परिवर्तित ख्रीष्ट के प्रति होता था। उनके सन्देश आज भी छापे जाते हैं और बहुत से लोग उसको एक आदर्श प्राणों को बचाने वाले के रूप में देखते हैं।

वह एक अनुभव को स्मरण करते हैं जब वे सोलह वर्ष के थे, जिसने उनके जीवन के शेष दिनों के लिए उनके जीवन और उनकी सेवा को आकार दिया।

जब मैं ख्रीष्ट के पास आ रहा था, मैं सोचता था कि मैं सब कुछ स्वयं कर रहा था, और यद्यपि मैंने उत्सकता से प्रभु की खोज की, मुझे यह नहीं पता था कि प्रभु मुझे खोज रहा था। मैं नहीं सोचता हूँ कि नया हृदय-परिवर्तित जन पहले इसके विषय में जानता है।

मैं उस दिन और घड़ी को स्मरण कर सकता हूँ जब मैंने सबसे पहले उन सत्यों को [सम्प्रभु, प्रबल अनुग्रह के सिद्धान्त को] अपने मन में ग्रहण किया — जब वे, जैसा कि जॉन बनयन कहते हैं, एक गर्म लोहे के द्वारा मेरे हृदय में दागे गए, और मैं स्मरण कर सकता हूँ कि कैसे मुझे ऐसा लगा जैसे मैं बड़ा हो गया था, अचानक से, एक शिशु से एक पुरुष के रूप में — कि मैंने पवित्रशास्त्र के ज्ञान में प्रगति की थी, परमेश्वर के सत्य के उस संकेत को, एक ही बार सदा के लिए, प्राप्त करने के द्वारा।

सप्ताह की एक रात, जब मैं परमेश्वर के भवन में बैठा हुआ था, मैं प्रचारक के सन्देश के विषय में बहुत कुछ नहीं सोच रहा था, क्योंकि मैंने उस पर विश्वास नहीं किया।

इस विचार ने मुझे प्रभावित किया, तुम एक ख्रीष्टीय कैसे बने? मैंने प्रभु की खोज की। परन्तु तुम परमेश्वर की खोज कैसे करने लगे?  एक क्षण के लिए यह सत्य मेरे मस्तिष्क में से होकर निकला — मैं उसे तब तक नहीं खोज पाता जब तक उसने पहले मेरे मस्तिष्क पर ऐसा कोई प्रभाव नहीं डाला होता, जिसके कारण मैं उसकी खोज करता। मैंने सोचा कि मैंने प्रार्थना की, पर तब मैंने स्वयं से पूछा, मैंने क्यों प्रार्थना की? मैं पवित्रशास्त्र पढ़ने के द्वारा प्रार्थना करने के लिए प्रेरित हुआ। मैंने पवित्रशास्त्र क्यों पढ़ा? मैंने ही पढ़ा, परन्तु इसके लिए किसने मुझे प्रेरित किया?

तब, एक क्षण में, मैंने देखा कि परमेश्वर इन सब बातों के पीछे था, और कि वह मेरे विश्वास का निर्माता था, और इस प्रकार से अनुग्रह का सम्पूर्ण सिद्धान्त मेरे सामने खुल गया, और उस दिन से मैं उस सिद्धान्त से नहीं भटका हूँ, और मेरी इच्छा है कि मैं इसको अपना नित्य अंगीकार बनाऊँ, “मैं अपने परिवर्तन का पूरा श्रेय परमेश्वर को देता हूँ।”

और आप? क्या आप अपने परिवर्तन का पूरा श्रेय परमेश्वर को देते हैं? क्या वह ही सब बातों के पीछे है? क्या यह आपको प्रेरित करता है उसके सम्प्रभु, प्रबल अनुग्रह की महिमा की स्तुति करने के लिए?

साझा करें
जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

Articles: 407

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  1. सब बातों के पीछे (Current)

    जॉन पाइपर | May 13, 2025
  2. मृत्यु का पूर्वाभ्यास (Rehearsal)

    जॉन पाइपर | December 31, 2025
  3. तैयार और सशक्त किए गए

    जॉन पाइपर | December 30, 2025
  4. एक भयानक गन्तव्य

    जॉन पाइपर | December 29, 2025
  5. महिमा ही लक्ष्य है

    जॉन पाइपर | December 28, 2025
  6. आपका लक्ष्य क्या है?

    जॉन पाइपर | December 27, 2025
  7. आपदा के विषय में कैसे विचार करें

    जॉन पाइपर | December 26, 2025
  8. क्रिसमस के तीन उपहार

    जॉन पाइपर | December 25, 2025
  9. क्रिसमस के दो उद्देश्य

    जॉन पाइपर | December 24, 2025
  10. परमेश्वर का अवर्णनीय उपहार

    जॉन पाइपर | December 23, 2025
  11. कि तुम विश्वास करो

    जॉन पाइपर | December 22, 2025