क्रिसमस मिशन्स के लिए एक प्रतिरूप है। मिशन्स क्रिसमस का एक दर्पण है। जैसा मैं, वैसे ही आप।
उदाहरण के लिए, संकट। ख्रीष्ट अपनों के पास आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। वैसे ही आप के साथ भी होगा। उन्होंने उसके विरुद्ध षडयन्त्र रचा। आप के साथ भी ऐसा होगा। उसका कोई स्थायी घर नहीं था। आप के साथ भी ऐसा होगा। उन्होंने उसके विरुद्ध झूठे आरोप लगाए। आप के साथ भी ऐसा होगा। उन्होंने उसे कोड़े मारे और उसका ठट्ठा उड़ाया। आप के साथ भी ऐसा होगा। तीन वर्ष की सेवा के पश्चात उसकी मृत्यु हो गई। आप के साथ भी ऐसा होगा।
परन्तु इन सब से भी निकृष्ट एक संकट है जिस से यीशु बच गया। आप के साथ भी ऐसा होगा!
16 वीं शताब्दी के मध्य में, मिशनरी फ्रांसिस ज़ेवियर (1506-1552) ने, चीन देश में अपनी मिशनरी यात्रा के समय जिन विपत्तियों का सामना किया था उनके विषय में मलक्का (आज मलेशिया का एक भाग) के फादर पेरेज़ को, लिखा। उन्होंने कहा, “सभी संकटों से बड़ा संकट परमेश्वर की दया में भरोसे और निश्चयता को खोना होगा . . . उस पर भरोसा न करना किसी भी शारीरिक हानि की तुलना में, जिसे परमेश्वर के सभी शत्रु मिलकर हम पर ला सकते हैं, कहीं अधिक भयानक बात होगी, क्योंकि बिना परमेश्वर की अनुमति के शैतान और उनके मानव सेवक हमारे मार्ग में थोड़ी सी भी बाधा नहीं डाल सकते हैं।”5
सबसे बड़ा संकट जिसका सामना एक सुसमाचार प्रचारक कर सकता है वह मृत्यु नहीं है, वरन् परमेश्वर की दया पर भरोसा न करना है। यदि यह संकट टल जाता है, तो अन्य सभी संकटों का डंक टूट जाता है।
अन्त में परमेश्वर प्रत्येक कटार को हमारे हाथ में एक राजदण्ड बनाता है। जैसा कि जे. डब्ल्यू. एलेक्ज़ैन्डर का कहना है, “वर्तमान श्रम के प्रत्येक पल को अनुग्रह के साथ करोड़ों युगों की महिमा के द्वारा चुकाया जाएगा।”6
ख्रीष्ट इस संकट से बच गया—परमेश्वर पर भरोसा न करने का संकट। इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान् किया है! जैसे वह, वैसे ही आप।
इस ख्रीष्ट आगमन पर स्मरण रखें कि क्रिसमस मिशन्स के लिए एक प्रतिरूप है। जैसा मैं, वैसे ही आप। और उस मिशन का अर्थ है संकट। और परमेश्वर की दया पर भरोसा न रखना सबसे बड़ा संकट है। आप इस संकट में गिरे तो सब कुछ खो जाएगा। यदि आप इस पर विजय प्राप्त कर लेंगे तो करोड़ों युगों तक कुछ भी आप की हानि नहीं कर पाएगा।