महिमा ही लक्ष्य है

December 28, 2025

महिमा ही लक्ष्य है

उसी के द्वारा विश्वास से उस अनुग्रह में जिसमें हम स्थिर हैं, हमने प्रवेश पाया है, और परमेश्वर की महिमा की आशा में हम आनन्दित होते हैं। (रोमियों 5:2)

परमेश्वर की महिमा को देखना ही हमारी परम आशा है।“परमेश्वर की महिमा  की आशा में हम आनन्दित होते हैं” (रोमियों 5:2)। परमेश्वर “अपनी महिमा  की उपस्थिति में तुम्हें निर्दोष और आनन्दित करके खड़ा कर सकता है” (यहूदा 24)।

“वह अपनी महिमा  का धन दया के उन पात्रों पर प्रकट करेगा, जिन्हें उसने पहले से ही अपनी महिमा के लिए तैयार किया था” (रोमियों 9:23)। वह “तुम्हें अपने राज्य और महिमा  में बुलाता है” (1 थिस्सलुनीकियों 2:12)। “उस धन्य आशा की, अर्थात् अपने महान परमेश्वर यीशु ख्रीष्ट उद्धारकर्ता की महिमा  के प्रकट होने की प्रतीक्षा करते हैं” (तीतुस 2:13)।

यीशु, अपने सम्पूर्ण मनुष्यत्व और कार्य में परमेश्वर की महिमा का देहधारण और परम प्रकाशन है। “वह उसकी महिमा  का प्रकाश और उसके तत्व का प्रतिरूप है” (इब्रानियों 1:3)। यीशु ने यूहन्ना 17:24 में यह प्रार्थना की: “हे पिता, मैं चाहता हूँ कि जिन्हें . . . वे भी मेरे साथ रहें कि वे मेरी उस महिमा  को देख सकें।”

“इसलिए मैं जो तुम्हारा सह-प्राचीन हूँ, ख्रीष्ट के दुःखों का साक्षी हूँ और उस प्रकट होने वाली महिमा  का भी सहभागी हूँ, मैं तुम्हारे मध्य प्राचीनों को प्रोत्साहित करता हूँ” (1 पतरस 5:1)। “सृष्टि स्वयं भी विनाश के दासत्व से मुक्त होकर परमेश्वर की सन्तानों की महिमा  की स्वतन्त्रता प्राप्त करे” (रोमियों 8:21)।

“हम परमेश्वर के उस ज्ञान के रहस्य का वर्णन करते हैं अर्थात् उस गुप्त ज्ञान का जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा  के लिए ठहराया” (1 कुरिन्थियों 2:7)। “हमारा पलभर का यह हल्का-सा क्लेश एक ऐसी चिरस्थायी महिमा उत्पन्न कर रहा है जो अतुल्य है।” (2 कुरिन्थियों 4:17)। “जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा  भी दी है” (रोमियों 8:30)।

ख्रीष्ट के सुसमाचार के द्वारा परमेश्वर की महिमा को देखना और उसका भाग होना हमारी परम आशा है।

ऐसी आशा, जिसे हम वास्तव में जानते हैं और बहुमूल्य मानते हैं, वह हमारे वर्तमान मूल्यों और चुनावों और कार्यों पर एक विशाल और निर्णायक प्रभाव डालता है। 

परमेश्वर की महिमा को जानें। परमेश्वर की महिमा और ख्रीष्ट की महिमा का अध्ययन करें। संसार की महिमा का अध्ययन करें जो परमेश्वर की महिमा को प्रकट करती है, और सुसमाचार की महिमा का अध्ययन करें जो कि ख्रीष्ट की महिमा को प्रकट करती है।

परमेश्वर की महिमा को सब बातों में और सब बातों से बढ़कर संजोएँ।

अपने प्राण का अध्ययन करें। किन्तु उस झूठी महिमा का अध्ययन करें जिसके द्वारा आप बहकाए जाते हैं और इस बात का अध्ययन करें कि आप उन झूठी महिमाओं को क्यों सँजोते हैं जो परमेश्वर की महिमा नहीं है।
यह जानने के लिए अपने स्वयं के प्राण का अध्ययन करें कि आप 1 शमूएल 5:4 में दागोन देवता की मूर्ति के समान कैसे संसार की झूठी महिमाओं को ध्वस्त कर सकते हैं। परमेश्वर की महिमा से आपको विचलित करने वाली उन सभी झूठी महिमाओं को संसार के मन्दिरों की भूमि पर दयनीय टुकड़ों में बिखर जाने दें। इस सम्पूर्ण संसार से बढ़कर परमेश्वर की महिमा को संजोएँ।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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