त्रिएकता और क्रिसमस

जब मैं इस लेख को शीर्षक देने के विषय में सोच रहा था, मैं सोच रहा था कि क्या मैं क्रिसमस और त्रिएकता लिखूँ या त्रिएकता और क्रिसमस लिखूँ या फिर यीशु ख्रीष्ट का जन्म और त्रिएकता लिखूँ अचनाक मेरे ध्यान में आया कि क्या अर्थ बनता है कि मैं पहिले क्या लिखूँ परन्तु फिर मैंने ध्यान दिया कि यदि त्रिएकता नहीं है, तो क्रिसमस नहीं है। इसलिए मैंने इस लेख का नाम त्रिएकता और क्रिसमस रखा है। 

क्रिसमस क्यों अस्तित्व में हैं। 

त्रिएक परमेश्वर के उमड़ते प्रेम और उनकी अगम्य् महिमा की प्रकटीकरण के लिए क्रिसमस अस्तित्व में है। क्योंकि त्रिएक परमेश्वर अनन्तकाल से एक दूसरे से प्रेम करते हैं और इसी प्रेम को सृष्टि को दिखाने के लिए त्रिएक परमेश्वर के द्वतीय व्यक्ति यीशु ख्रीष्ट संसार में आ गए।  

यूहन्ना इसलिए कह सकता है कि “परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौते पुत्र को दे दिया (यूहन्ना 3:16)।” “हम इसलिए प्रेम करते हैं, क्योंकि उसने पहिले हमसे प्रेम किया ( 1 यूहन्ना 4:19)”।

 इस संसार से प्रेम करना सिर्फ त्रिएक परमेश्वर की आपसी प्रेम ही आधार है, यहाँ तक कि इस संसार कि सृष्टि भी त्रिएक परमेश्वर की आपसी प्रेम का आधार है। यह क्रिसमस भी त्रिएक परमेश्वर की आपसी प्रेम और उनकी महिमा के कारण अस्तित्व में है। त्रिएक परमेश्वर के आपसी प्रेम के कारण ही यीशु ख्रीष्ट मनुष्य बन गए। यह यीशु ख्रीष्ट जो अनन्तकाल से हैं। अब अनन्तकाल तक मनुष्य के शरीर में रहने के लिए आ गए। अब वह हमारे जैसे शरीर में अनन्तकाल रहेंगे। यह यीशु ख्रीष्ट ने स्वयं निर्णय नहीं लिया की वह मानव के रूप में जन्म ले, परन्तु त्रिएक परमेश्वर ने अपनी महिमा और अपने प्रेम को दिखाने के लिए किया है। 

क्रिसमस में त्रिएक परमेश्वर की भूमिका।

इस से पहिले हम इस लेख में आगे बढ़े मैं आप को त्रिएकता की परिभाषा देना चाहता हूँ “परमेश्वर एक है, किन्तु उसका अस्तित्व तीन व्यक्ति: पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा में है।” मैं आपको उत्साहित करूँगा कि आप “हम त्रिएकता पर क्यों विश्वास करते हैं?” नामक लेख को अवश्य पढ़ें। 

परमेश्वर का वचन हमें दिखाता है कि कैसे त्रिएक परमेश्वर एक साथ क्रिसमस में सहभागी है। 

 आइए मेरे साथ लूका 1:27-35, के कुछ पदों पर विचार कीजिए। 

27 पद में स्वर्गदूत मरियम के पास एक सन्देश के साथ भेजा गया। मरियम के विषय में हमें बताया गया है कि वह कुँवारी है, उसकी मंगनी दाऊद के वंश यूसुफ से हुई है। 28 पद में हम देखते हैं कि स्वर्गदूत मरियम से कहता है कि “हे प्रभु की कृपापात्री सलाम, प्रभु तेरे साथ है। परन्तु 29 पद में देखते हैं कि मरियम अत्यन्त घबरा जाती है और सोच में पड़ जाती है कि यह किस प्रकार का अभिवादन है। हम पवित्रशास्त्र में देखते हैं कि जब जब परमेश्वर का दूत लोगों को दर्शन देता है लोग भयभीत हो जाते हैं। वे मुँह के बल गिर जाते हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि परमेश्वर पवित्र और महान है और वे अशुद्ध होंठ वाले और पापी मनुष्य है। इसलिए यहाँ पर मरियम भी घबरा जाती है। वह डर जाती है। 

परन्तु स्वर्गदूत 30 पद में स्वर्गदूत कहता है “मरियम, भयभीत न हो! क्योंकि तुझ पर परमेश्वर का अनुग्रह हुआ है। दूसरे शब्दों में मरियम परमेश्वर ने तूझे भली दृष्टि से देखा है। तुझे वह दिया जाएगा जिसके योग्य तू नहीं है। यह अनुग्रह जो मरियम पर होने वाला था, वह पूरे संसार पर होने वाला था। 

यह अनुग्रह क्या है? 31 पद – देख, तू गर्भवती होगी और एक पुत्र को जन्म देगी, और तू उसका नाम यीशु (परमेश्वर उद्धार करता है) रखना। 

30 पद में परमेश्वर पिता (त्रिएकता का प्रथम व्यक्ति) का अनुग्रह मरियम पर हुआ। अब 31 पद में परमेश्वर पुत्र  की जन्म की घोषणा हो रही है, जो त्रिएकता का द्वतीय व्यक्ति है। परमेश्वर पिता के अनुग्रह से मरियम का सौभाग्य हुआ है कि परमेश्वर पुत्र को अपने गर्भ में प्राप्त करें। यह कोई साधरण पुत्र नहीं है। इसका नाम ही यीशु है जिसका अर्थ है कि वह लोगों का उद्धार करेगा। वह उद्धारकर्ता होगा। वह परमेश्वर के लोगों को छुड़ाएगा। जैसे यहोवा उद्धारकर्ता है वैसे ही यह पुत्र भी उद्धारकर्ता है। 

सिर्फ इतना ही नहीं परन्तु इससे अधिक बढ़कर (32 पद) वह महान होगा, और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा (परमेश्वर पिता)। प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसे देगा (2 शमूएल 7:21, भजन 89:29)। यीशु ख्रीष्ट न ही सिर्फ ईश्वरीय रुप में महान हैं परन्तु मानवीय शरीर में ईश्वरीय राजा हैं। वे दाऊद के वंश के राजा हैं जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने की थी। (33 पद), और वह याकूब के घराने पर अनन्तकाल तक राज्य करेगा, और उसके राज्य का अन्त न होगा। 

यदि यह पुत्र कोई साधारण पुत्र होता तो वह अनन्तकाल तक राज्य नहीं कर सकता, क्योंकि वह समाप्त हो जाएगा, उसका अन्त है, यदि यह पुत्र कोई साधरण पुत्र होता तो अनन्तकाल तक राज्य नहीं कर सकता है। क्योंकि अनन्तकाल तक राज्य करने के लिए उसे स्वयं अनन्तकाल तक रहना अवश्य है। अनन्तकाल तक राज्य करने के लिए उसके पास स्थान होना चाहिए जहाँ पर उसकी प्रजा हो जिस पर वह राज्य करें। क्योंकि हम जानते हैं कि यह साधरण पुत्र नहीं इसलिए यह परमेश्वर है, यह परमेश्वर का पुत्र है, जो अनन्तकाल से है और अनन्तकाल तक रहेगा और अनन्तकाल तक अपने लोगों पर राज्य करेगा और उसके राज्य का अन्त न होगा।  

ध्यान देने की बात यह है कि मरियम यीशु ख्रीष्ट की इस महानता के विषय में विचलित नहीं हैं। वह इस प्रश्न को लेकर नहीं बैठी हैं कि कैसे एक मनुष्य अनन्तकाल तक राज्य करेगा, कैसे उसके राज्य का अन्त न होगा। कैसे वह परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा। क्योंकि शायद वह जानती है कि परमेश्वर ने प्रतिज्ञा किया है 

“क्योंकि हमारे लिए एक बालक उत्पन्न होगा, हमें एक पुत्र दिया जाएगा और प्रभुता उसके काँधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्त करनेवाला, परक्रामी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। उसकी प्रभुता की बढ़ती का और उसकी शान्ति का अन्त न होगा। वह दाऊद की राजगद्दी और उसके राज्य को उस समय से लेकर सर्वदा के लिए न्याय और धार्मिकता के द्वारा स्थिर किए और सम्भाले रहेगा” यशायाह 9:6-7।

“और उसको प्रभुता, महिमा और राज्य दिए जिस से देश देश और जाति जाति के भिन्न भिन्न भाषा बोलने वाले लोग उसकी महिमा सेवा करें। और उसका प्रभुत्व सनातकाल तक अटल है और उसका राज्य अविनाशी रहेगा” दानिय्येल 7:14। 

परन्तु फिर भी (34 पद) एक मानवीय बुद्धि और प्रकृति नियम के अनुसार मरियम के लिए अचम्भा को बात लगी की कैसे कुँवारी गर्भवती हो सकती है। मरियम का प्रश्न सही हैं कि यह कैसे हो सकता है। यह हम सब के लिए अचम्भे की बात है।

 इसका उत्तर हमें कोई और नहीं परन्तु (35) स्वर्गदूत देता है कि पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा और परमप्रधान का सामर्थ्य तुझ पर आच्छादित होगा। इसी कारण वह पवित्र जो उत्पन्न होगा, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा।

पवित्र आत्मा जो त्रिएक परमेश्वर का तृतीय व्यक्ति है। वह मरियम पर उतरेगा। जब वह उस पर उतरेगा तब मरियम भविष्यवाणी नहीं करेगी, वह न्याय की घोषणा नहीं, परन्तु वह परमप्रधान के पुत्र को अपने गर्भ में प्राप्त करेगी। पवित्र आत्मा यीशु ख्रीष्ट को शरीर धारण करने में सहायता करेगा। हम जानते हैं कि पवित्र आत्मा जीवन देने वाला है। वह रचना करता है। उसने परमेश्वर पिता के शब्दों को लेकर बड़े ही सामर्थ्य से सब कुछ की सृष्टि की है। और आज फिर वह एक असम्भव कार्य करने जा रहा है कि वह यीशु ख्रीष्ट को शरीर प्रदान करने जा रहा है। यीशु ख्रीष्ट की सृष्टि नहीं हो रही, क्योंकि वह अनन्तकाल से हैं परन्तु अब संसार में मानव देहधारण करके आ रहे हैं। मरियम पर परम प्रधान परमेश्वर अर्थात् परमेश्वर पिता की सामर्थ होगी। यह पुत्र पवित्र होगा। इस पर मानवीय पापमय स्वभाव का प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह पवित्र होगा। यह किसी मनुष्य के द्वारा उत्पन्न नहीं परन्तु परमेश्वर के आत्मा के द्वारा होगा। यह पुत्र पवित्र है, यह परमेश्वर के लिए अलग किया गया पुत्र है, इसलिए यह परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा। 

हमने अभी तक देखा कि कैसे त्रिएक परमेश्वर क्रिसमस में अपनी भूमिका को निभाते हैं। हमें उनकी भूमिका के लिए धन्यवाद देना है। यह तीन व्यक्ति एक साथ अपनी महिमा और प्रेम को दिखाने के लिए कार्य करते हैं। यह हमें उत्साहित करता है कि जब हम अलग अलग एक साथ कलीसिया में हैं तो इस त्रिएक परमेश्वर के कार्य को लोगों तक पहुँचाए। जिस से लोग परमेश्वर के प्रेम और उसकी महिमा को जान सकें। 

 क्योंकि क्रिसमस त्रिएक परमेश्वर के विषय में है, इसलिए आइए हम त्रिएक परमेश्वर की महिमा करें। त्रिएक परमेश्वर को धन्यवाद दें उसके महान अनुग्रह के लिए जो उसने हम पर किया है। इस त्रिएक परमेश्वर से प्रार्थना करें कि हम क्रिसमस के सही अर्थ को जानें। हम बाहर निकल के लोगों को त्रिएक परमेश्वर के उद्धार के कार्य को बता सकें। क्रिसमस हमारे नए कपड़े पहनने, केक खाने से भी बढ़कर, त्रिएक परमेश्वर के अनुग्रह को निहारने तथा उसकी महिमा में स्वर्गदूतों के साथ ऊँची आवाज़ में कहने के लिए है, “हे हमारे प्रभु यहोवा तू ही आदर और महिमा के योग्य है।

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डेविड
डेविड

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

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