
सताव हमारा अन्त नहीं है।
बहुत सारे ख्रीष्टीय हुए हैं, जिनको केवल इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया, क्योंकि वे
इस संसार में जिनका भी जन्म हुआ है, उन सब की मृत्यु हो गई। चाहे वे कोई भी राजनीतिज्ञ, महान विद्वान, बड़ा खिलाड़ी, सबसे धनी व्यक्ति, महापुरुष हों, सबका एक दिन अन्त हो गया। कोई भी नहीं है जो अब तक जीवित हो।
किन्तु इतिहास में एकमात्र जन यीशु ख्रीष्ट ही है जो मरने के बाद जी उठा और जीवित है। कब्र में उसका अन्त नहीं हो गया वरन् वह जी उठने के द्वारा प्रकट करता है कि वह अनोखा है। आइये विचार करें कि कैसे यीशु मरने के बाद भी जी उठा और आज भी जीवित है!
यीशु परमेश्वर का पुत्र है। यीशु त्रिएकता का द्वितीय जन है। जिसका कोई आरम्भ और अन्त नहीं है। जिसको किसी ने बनाया नहीं है। यीशु ख्रीष्ट का आरम्भ तब नहीं हुआ जब वे देह में बालक के रुप में जन्मे, वरन् उससे पहले वह त्रिएकता में अनादिकाल से है। यीशु ने देहधारण किया और हमारे मध्य आ गए (1 यूहन्ना 1:1-2)। वह देह में सौ प्रतिशत मनुष्य और सौ प्रतिशत परमेश्वर है। यीशु मनुष्यत्व में तो मरे किन्तु ईश्वरत्व में वह नहीं मर सकते। वह देह में मरे और जी उठे क्योंकि परमेश्वर पिता ने अपनी सामर्थ्य से उन्हें जीवित कर दिया।
यीशु के पास मृत्यु पर अधिकार है। यीशु ही प्रथम, अन्तिम और जीवित हैं। वह मर गया था और अब वह युगानुयुग जीवित है। मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ उसके पास है। (प्रकाशित 1:17-18) यीशु ही पुनरुत्थान और जीवन है। यीशु जो कहता है उसे करता है। उसने मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के द्वारा दिखा दिया कि वह पुनरुत्थान है। उसमें जीवन है। उसे जीवन देने और लेने का अधिकार है। वह अपने प्राण देता है और जीवित होने का अधिकार उसके पास है।
अत: आज जब हम इस ख्रीष्ट के विषय में विचार करते हैं तो यह बात हमें आश्वासन देता है कि यीशु जीवित है, वह मृत्यु पर विजयी हुआ है। उस पर विश्वास करने वाले भी एक दिन मृतकों में से जिलाए जाएँगे। कोई और मृत्यु पर विजयी नहीं हुआ है इसलिए मृत्यु के बाद का जीवन यीशु के अलावा कोई और नहीं दे सकता है।
बहुत सारे ख्रीष्टीय हुए हैं, जिनको केवल इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया, क्योंकि वे
“भले ही तुम्हें अभी कुछ समय के लिए विभिन्न परीक्षाओं द्वारा दुख उठाना पड़ा हो कि
हम सब के सामने जो प्रश्न है, वह यह है कि: क्या हम उन “बहुतों” में
यदि मैं आपसे पूछूँ कि “सताव के मध्य में प्रार्थना की क्या भूमिका है?” आपका क्या
क्या आपने कभी सोचा है कि उस समय परमेश्वर क्या कर रहा होता है जब आपको
यदि आप इस प्रकार के और भी संसाधन पाना चाहते हैं तो अभी सब्सक्राइब करें
"*" आवश्यक फ़ील्ड इंगित करता है