आप पाप के विरुद्ध युद्ध में विजय पा सकते हैं

यदि आप एक ख्रीष्टीय हैं, तो आप युद्ध के परिचित हैं। आपके घमण्ड के साथ युद्ध, आपके वासना के साथ युद्ध, आपके क्रोध के साथ युद्ध। घर में युद्ध, कार्य क्षेत्र पर युद्ध, उस समय युद्ध जब आप अकेले हैं। आपके मष्तिक में चलने वाला युद्ध, आपके हृदय में चलने वाला युद्ध, आपके मुख में चलने वाला युद्ध।

जब आप एक शत्रु को मारते हैं, तो दूसरा उसका स्थान ले लेता है। जब आप युद्ध करके एक बाधा पार करते हैं, तो उसके पीछे दस बाधाएँ आएँगी। एक घण्टे के लिए आपने सतर्कता छोड़ी, तो आप हार जाएँगे। दिन प्रति दिन, सप्ताह प्रति सप्ताह, महीने के बाद महीने, ऐसा लगता है कि इस युद्ध का कोई अन्त ही नहीं है।

सम्भवतः युद्ध के मध्य, जब ऐसा लगता है कि आपके भीतर के शत्रु प्रहार करते रहते हैं, तब आपने सोचा होगा कि, “क्या यह सामान्य है? क्या यह सच में  ख्रीष्टीय जीवन है — यह अन्तहीन थकावट, यह निरन्तर सतर्कता, मेरे भीतर इतना लगातार आत्म-त्याग?”

इन क्षणों में, हमारा सेनापति ख्रीष्ट तीन स्मरणयोग्य विचारों के साथ हमारे पास आता है: युद्ध सामान्य है, युद्ध जीतने के योग्य है, और युद्ध का अन्त होगा।

यह युद्ध सामान्य है

परमेश्वर द्वारा उद्धार किए जाने से पूर्व आप अपने हृदय की स्थिति के विषय में विचार कीजिए: आप अपने अपराधों और पापों में मरे हुए थे (इफिसियों 2:1), विभिन्न प्रकार की वासनाओं और अभिलाषाओं के दास थे (तीतुस 3:3), ख्रीष्ट के तेजोमय ज्योति को देख नहीं सकते थे (2 कुरिन्थियों 4:4), विनाश और क्लेश के मार्ग में चलते थे (रोमियों 3:16)। आपका हृदय परमेश्वर के शत्रु देश बाबेल के गढ़ के समान था। आप शान्ति को जानते तो थे, परन्तु यह परमेश्वर के शत्रुओं के साथ शान्ति थी।

परन्तु तब पवित्र आत्मा ने आपके हृदय के फाटकों को ढा दिया है और पाप को सिहांसन से हटाकर बाहर भेज दिया। अब, वह अपनी सेना को आपके जीवन के प्रत्येक कोने में ले जा रहा है। जब तक वह सभी शत्रुओं के चौकी को नाश नहीं कर देता, तब तक आप एक युद्ध करने वाले पुरुष या स्त्री होंगे (गलातियों 5:17)।

आश्चर्यचकित न हों यदि आप युद्ध की स्थिति में जागते हैं। आश्चर्यचकित न हों यदि कभी-कभी आपको भीतर मृत्यु का आभास करते हैं, जैसा कि उन सभी वस्तुओं को, जिनसे आपने प्रेम किया है, उन्हें कब्र में रखा जाना चाहिए। आश्चर्यचकित न हों यदि यदि आप अपने शरीर में उन अन्धकार के मांदे को पाते हैं जिनकी आपने कभी कल्पना ही नहीं की थी।

इसके स्थान पर, यह साहस रखें। यह युद्ध समान्य है। उस से भी अधिक, हमारे लिए यह युद्ध अनिवार्य है। युद्ध उन सभी लोगों के लिए एक आवश्यक चिन्ह है, जिन्होंने पाप और शैतान के विरुद्ध खुलकर विद्रोह की घोषणा की है। जैसा कि जे सी राएल लिखते हैं, “निस्सन्देह हम शैतान के मित्र नहीं हैं। इस संसार के राजाओं के समान, वह अपनी प्रजा के विरुद्ध युद्ध नहीं करता। हमारे मनों को यह तथ्य के कारण आशा से भर देना चाहिए कि वह हम पर आक्रमण करता है” (होलीनेस, 76)।

यह युद्ध जीतने योग्य है

युद्ध की पीड़ा में, आप अपनी सामर्थ्य से परे पूरी रीति बोझिल अनुभव कर सकते हैं, जैसे कि अब आपको निरन्तर पराजय का ही सामना करना पड़ रहा है। आपको ऐसे लग सकता है कि आप को हार मानना चाहिए।

यदि यह युद्ध हमारा होता तो हमारे पास इन भावनाओं के कारण आत्म-समर्पण करने का प्रत्येक कारण होता। अपने स्वयं की सामर्थ्य में, हम दानव से युद्ध करने वाले बच्चे के समान हैं। परन्तु अन्ततः यह युद्ध हमारा नहीं  है — यह तो हमारे कप्तान ख्रीष्ट का है। और यह बात युद्ध को जीतने योग्य बनाती है।

जब परमेश्वर ने आपका उद्धार किया, तो उसने रेडियो संचार को आपके बन्दीगृह कक्ष में नहीं भेजा जो आपको खड़े होने और युद्ध करने का आदेश देता है। नहीं, यीशु स्वयं ही आपके बन्दीगृह में आया, और आपके हाथ में तलवार रखकर कहा, “मेरे पीछे चलो। मेरे निकट रहो। मैं तुम्हें बाहर ले जाऊँगा।” इसलिए, जैसे कि रिचर्ड सिब्स (Richard Sibbes) लिखते हैं, “आइए हम इस बात पर अधिक ध्यान न दें कि हमारा शत्रु कौन है, परन्तु यह कि हमारा न्यायाधीश और कप्तान कौन है, न कि इस बात पर कि वे क्या धमकी देते हैं परन्तु इस बात पर कि यीशु क्या प्रतिज्ञा करता है” (द ब्रूज़्ड रीड (The Bruised Reed), 122)। और वह क्या प्रतिज्ञा करता है?

  • वह प्रत्येक संघर्ष में आपके साथ होगा (मत्ती 28:20)।
  • वह अपने धर्ममय दाहिने हाथ से आपको सम्भाले रहेगा (यशायाह 41:10)।
  • वह आपको पूर्णतः पवित्र करेगा (1 थिस्सलुनीकियों 5:23)।

ख्रीष्ट के निकट बने रहें, और पाप आप पर कोई प्रभुता नहीं कर पाएगा। ख्रीष्ट के प्रताप के सामने घमण्ड मुरझा जाता है। वासना उसकी सुन्दरता के आगे छिप जाती है। उसे देखते ही क्रोध काँप उठता है। सम्भवतः आप केवल थोड़ा ही प्रगति करें, और युद्ध पूरे जीवन में बना रहे, परन्तु यीशु की उपस्थिति और प्रतिज्ञाएँ आपके उन्नति को सुनिश्चित करती हैं। वह आपको घर पहुँचाने में अगुवाई करेगा।

इसलिए निराश न हों, भले ही आप आज जितना भी अस्थिर अनुभव करते हैं। युद्ध जीतने योग्य है। परमेश्वर की सहायता से, आप प्रतिरोध कर सकते  हैं। आप शत्रु से भूमि को पुनः प्राप्त कर सकते  हैं, और काँटेदार भूमि को उद्यानों में परिवर्तित कर सकते हैं। यीशु ने आज आपके सामने आने वाली प्रत्येक युद्ध के लिए अपनी सहायता की प्रतिज्ञा की है। क्या आप उस पर भरोसा करेंगे?

इस युद्ध का अन्त होगा

परमेश्वर ने आपको इसलिए नहीं बचाया है जिससे कि आप अनन्तकाल तक युद्ध लड़ते रहें। नए यरुशलेम की मार्गों पर सैनिकों की पंक्ति नहीं लगेगी। यह युद्ध जो कि अभी भीषण स्थिति में है, किन्तु यह तो केवल आपकी अनन्त शान्ति का प्रारम्भ मात्र ही है।

शीघ्र वह दिन आएगा, जब युद्ध का कोलाहल के स्थान पर हाल्लेलूयाह के गीत सुनाई देंगे। आपके भीतर का गृहयुद्ध, परमेश्वर के शासन में समाप्त हो जाएगा। कोई भी निरंकुश विचार आपको व्याकुल नहीं करेगा। कोई भी दुष्ट अभिलाषा आपको कष्ट न देगी, निरन्तर पीड़ा देने वाला प्रलोभन आपको पीड़ा नहीं देगी। 

“तुम्हारे थोड़ी देर यातना सहने के पश्चात् सारे अनुग्रह का परमेश्वर जिसने तुम्हें ख्रीष्ट में अपनी अनन्त महिमा के लिए बुलाया — वह स्वयं ही तुम्हें सिद्ध, दृढ़, बलवन्त और स्थिर करेगा” (1 पतरस 5:10)। यह पचास, साठ, या सत्तर वर्ष का युद्ध, भले ही यह अन्तहीन लगे, अनन्तकाल के दृष्टिकोण से केवल “थोड़ी देर” का है। थोड़ी देर तक लड़ते रहें, थोड़ी देर तक विरोध करते रहें, थोड़ी देर तक स्वयं का इनकार करते रहें और इसके पश्चात आप सर्वदा के लिए आनन्दित रहेंगे।

इसलिए हार मत मानिए। इस युद्ध का अन्त होगा। यीशु पहले ही निर्णायक विजय प्राप्त कर ली है (कुलुस्सियों 2:15)। शत्रु जानता है कि उसका समय कम है (प्रकाशितवाक्य 12:12)। इस युद्ध का परिणाम अनिश्चित नहीं  है। परमेश्वर शीघ्र ही आपके प्रत्येक शत्रु को अपने पैरों तले कुचलेगा (मीका 7:19; रोमियों 16:20)।

दिन प्रति दिन

यदि जीवन भर का युद्ध बोझिल लगता है, तो आज के युद्ध पर ध्यान दें। आज की असन्तुष्टि, आज की ईर्ष्या, आज की आत्म-दया को मारने के लिए परिश्रम करें। और इन सभी का सर्वनाश आज के अस्त्र-शस्त्र से करें — परमेश्वर की ओर से आज की प्रतिज्ञाएँ, आज के प्रार्थना के अवसर, युद्ध में आज के सहयोगी सैनिकों।

दिन प्रति दिन, आपका सेनापति आपको आपके शत्रुओं पर विजय पाने के लिए आवश्यक शक्ति प्रदान करेगा, और प्रत्येक पराजय के लिए आपको क्षमा प्रदान देगा। केवल लड़ना बन्द मत कीजिए। रिचर्ड सिब्स लिखते हैं, “यहाँ केवल वे ही लोग पराजित होते हैं जो लड़ते ही नहीं है”(द ब्रूज़्ड रीड (The Bruised Reed), 122)।

यह युद्ध सामान्य है, यह युद्ध जीतने योग्य है, और इस युद्ध का अन्त होगा। और इसके पश्चात अत्याधिक और निरन्तर बढ़ने वाला आनन्द प्राप्त होगा।

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स्कॉट हबर्ड
स्कॉट हबर्ड

स्कॉट हबर्ड desiringGod.org के एक सम्पादक, ऑल पीपल्स चर्च के एक पास्टर, और
बैतलहम कॉलेज ऐण्ड सेमिनरी के एक स्नातक हैं। वह और उसकी पत्नी बेथानी मिनियापोलिस में अपने दो बेटों के साथ रहते हैं।

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