परमेश्वर हमारे बहानों को क्षमा नहीं करता है 

हम में से मात्र कुछ ही लोग, अपने जीवन के बढ़ते वर्षों में कभी न कभी, नकली क्षमा की श्रेष्ठ कला सीखने में असफल होते हैं।  

उदाहरण के लिए, हमने किसी मित्र से बिना-सोचे समझे कोई शब्द बोल दिया है। विवेक हमारे कन्धों पर अपराधबोध की चक्की का पाट रखता है, किन्तु अभिमान आगे लड़खड़ाता है, और घुटने टेकने से मना कर देता है । हम दोनों पक्षों को सन्तुष्ट करने के लिए एक मार्ग ढूँढते हैं।

“यदि मैंने आपको चोट पहुँचाया है, तो मुझे क्षमा कीजिए,” हम कहते हैं, और कुशलता पूर्वक संकेत करते हैं कि वास्तविक समस्या हमारे मित्र की अतिसंवेदनशील भावनाओं के साथ है। या सम्भवत: हम जोड़ते हैं, “इस सप्ताह में कार्य पर बहुत व्यस्थ रहा हूँ,” या “मैं सदा रात के इस समय चिड़चिड़ा हो जाता हूँ” — इस प्रकार के कथन जो हमारे दोष को हम से बाहर कहीं अलग स्थान निर्धारित करते हैं। जब तक हमारी बात पूरी होती है, हमने क्षमा  शब्द को इस प्रकार सजा दिया है, कि यह अर्थ निकालता है हमसे क्षमा माँगी जानी चाहिए।   

यद्यपि परमेश्वर के अनुग्रह का सुसमाचार इस प्रकार की ढोंग के साथ युद्ध करता है, ख्रीष्टीय अपनी क्षमा याचना और अंगीकार को प्रतिबन्ध के साथ सजाने के आकर्षण से अछूते नहीं हैं। सी. एस. लुईस लिखते हैं, “जिसे हम “परमेश्वर से क्षमा माँगना” कहते हैं, वह प्राय: वास्तव में परमेश्वर से हमारे बहाने स्वीकार करने के लिए कहना होता है” (पुस्तक “ऑन फॉरगिवनेस,” (On Forgiveness) 179 से )। 

निस्सन्देह, समस्या यह है कि परमेश्वर हमारे बहाने क्षमा नहीं करता है। वह प्रतिबन्धों को क्षमा नहीं करता है। वह इन कथनों जैसे “परन्तु” तथा “मैं केवल” को क्षमा नहीं करता है। किन्तु वह पापों  को क्षमा करता है।

मेरे पापों को क्षमा कीजिए या क्षमा करें?

हम सबसे अधिक नकली अंगीकार देखते हैं उत्तरदायित्व समूहों में , बाइबल अध्ययन में, या जहाँ भी हम अन्य लोगों के सामने अपने पापों का अंगीकार करते हैं। भले ही हम किसी ऐसे व्यक्ति के सामने अंगीकार कर रहे हों, जिसके प्रति हमने पाप किया है, या किसी ऐसे जन के सामने जो हमें विश्वास की लड़ाई में हमारी सहायता करता है, किन्तु यह प्रश्न बना रहता है: क्या हम अपने पापों को किसी और की आँखों के सामने रख सकते हैं, उनकी सारी भयावह कुरूपता में, उनमें से कुछ भाग को बहाने के आवरण के नीचे छिपाने के प्रयास किए बिना?

मैं प्राय: यह पाता हूँ कि जब मैं दूसरों के सामने बैठता हूँ तो पारदर्शी, निर्बल, और वास्तविक होने की मेरी भव्य महत्वाकाँक्षाएँ बहुत कम भव्य लगती हैं। मैं अपने व्यक्तिगत शान्त मनन के समय में पढ़ता हूँ, “धन्य हैं वे जो मन के दीन हैं”(मत्ती 5:3) और यह प्रार्थना करता हूँ कि, “परमेश्वर, मैं ऐसा ही बनना चाहता हूँ।” किन्तु तब मुझे यह पता चलता है कि, दूसरों की संगति में, मुझे आत्मिक रूप से अच्छा दिखना अच्छा लगता हूँ — या कम से कम इतना बुरा नहीं जितना कि मैं वास्तव में हूँ। सम्भवतः मैं अभावग्रस्त हूँ, परन्तु मुझे सहायता की आवश्यकता भी नहीं है। मैं ऐसा व्यवहार करता हूँ जैसे कि “धन्य हैं वे जो मन के दीन हैं” का वास्तविक अर्थ है “धन्य हैं वे जिन्हें थोड़ी सी सहायता की आवश्यकता है।”

और इसलिए, मैं प्राय: स्वयं को अपने पाप के अंगीकार में विभिन्न प्रकार के बहानों के साथ शोभित करने के लिए प्रलोभित होते हुए पाता हूँ, कई बार लघुकारी परिस्थितियों और प्रयोक्ति के द्वारा।

बहाने, बहाने

कभी-कभी, हम पापों-अंगीकार के अन्त में एक ऐसी लघुकारी परिस्थिति को जोड़ते हुए करते हैं जो हमारे कार्य के लिए बहाना है। इस प्रकार हम अपने दोष-बोध के केन्द्र को अपने भीतर से  से हटा देते और बड़ी ही सूक्ष्म रीति से स्वयं को मात्र परिस्थितियों के प्रभाव में आए हुए व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

लघुकारी परिस्थिति: “मुझे आपसे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था; कुछ दिनों से बच्चे  मुझे पागल किए जा रहे हैं।”

पाप-अंगीकार: “मैं आप पर इसलिए झिड़का क्योंकि मैं अधीर और क्रोधित था। मैं ग्लानि से भरपूर हूँ। क्या आप मुझे क्षमा करेंगे?”

लघुकारी परिस्थिति: “अच्छा होता कि मैं पूरा दिन टी.वी देखने में नहीं बिताया होता, परन्तु कार्य करते हुए पूरा सप्ताह भी हो गया है; मुझे किसी रीति से विश्राम करने की आवश्यकता थी।”

पाप-अंगीकार: मैंने उन बोझों के लिए परमेश्वर पर भरोसा रखने के स्थान पर, मैंने उस तनाव से बचने के लिए मनोरंजन का उपयोग किया।”

लघुकारी परिस्थिति:  “मैं कड़वाहट से नहीं भरना चाहता हूँ, परन्तु उसने जो कार्य किया किया था उससे मैं अभी उबर नहीं सकता।”

पाप-अंगीकार: “मैं अपने हृदय में कड़वाहट को अभी तक बनाए रखा हूँ, क्योंकि अपने भीतर मैंने यह विश्वास नहीं किया है कि परमेश्वर एक उत्तम शरण स्थान है।”

अन्य समयों में, हम कठोर शब्दों के स्थान पर कोमल शब्दों के उपयोग के साथ पाप-अंगीकार के धार को मन्द कर देते हैं। हम विशिष्ट पापों के नामों को विस्तृत, ख्रीष्टिय-सुनने वाले वाक्याँश के साथ आदान-प्रदान करते हैं जो दूसरों को बहुत निकटता से देखने से रोकते हैं।

प्रयोक्ति: “मैं ठोकर खा गया।”

पाप-अंगीकार: “अपने हृदय में वासना करने के द्वारा मैं ख्रीष्ट से दूर चला गया।”

प्रयोक्ति: “सन्तुष्ट होने में मैं संघर्ष कर रहा हूँ।” 

पाप-अंगीकार: “मैंने इस व्यक्ति के सम्बन्ध को लेकर ईर्ष्या किया है और इसके लिए उससे घृणा किया।” 

प्रयोक्ति: “मैं और अधिक दयालु हो सकता था।” 

पाप-अंगीकार: “मैंने अपना नियंत्रण खो दिया और अपने बच्चों पर झपटा।” 

यह सच है कि, पाप के अंगीकार में कभी-कभी अतिरिक्त जानकारी आवश्यक होती है। हमारे मित्र और परिवार परमेश्वर के जैसे सर्वज्ञानी नहीं हैं, इसलिए घटना से सम्बन्धित कुछ बातों को जानना स्थिति को स्पष्ट करने में सहायता कर सकती है। परन्तु हम में से बहुत, “स्पष्टीकरण” की हमारी उत्सुकता में, अपने पाप को किसी क्षमा योग्य बात में परिवर्तित कर देते हैं।

जब हम अपने अंगीकारों को इस प्रकार के भाषा से मिला देते हैं, तो हम अपने पापों से अंगीकार नहीं कर रहे हैं, और न ही हम वास्तव में क्षमा की इच्छा रख रहे हैं। हम बहाने प्रस्तुत कर रहे हैं, और हम चाहते है कि कोई हमें समझे।

भजनकार के समान अंगीकार करें

भजनकार पापों का अंंगीकार इस रीति से नहीं करते थे। जब इन पवित्र पुरुषों ने अपने पापों को सार्वजनिक रीति से अंगीकार किया, तब उन्होंने ऐसी भाषा का उपयोग किया जो हमारे कुछ समूहों को चौंका देंगा।

वह पिछला समय कब था जब आप अपने कमरे में साथ रहने वाले साथी की ओर मुड़े और आसाफ के समान पाप-अंगीकार किया, “तब मैं निर्बुद्धि और नासमझ था, मैं तो तेरे सम्मुख जानवर ही था” (भजन 73:22)? या कब आपने अपने उत्तरदायित्व सहयोगियों को देखा और, दाऊद के साथ, विलाप किया है कि आपके पाप “आपके सिर के बालों से भी कहीं बढ़कर थे” (भजन संहिता 40:12)? या कब आपने अपने पति या पत्नी के साथ ऊँचे स्वर से प्रार्थना करते हुए परमेश्वर से कहा है, “हे यहोवा, अपने नाम के निमित्त मेरा अधर्म, जो बड़ा हैं, क्षमा कर” (भजन 25:11)?

इनमें से प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहाने तैयार थे यदि वे उनका उपयोग करना चाहते थे।  आसाफ कह सकता था  कि “परन्तु दुष्ट लोग तो समृद्ध हो रहे हैं!” (भजन 73:4–12)। दाऊद स्वीकार कर सकता था कि “मैं गड्ढे में बहुत देर से पड़ा हुआ हूँ,” (भजन 40:1–2)। वह इस बात को जोड़ सकता था कि  “मैं अपने उपर शत्रुओं के घमण्ड पर बहुत थक चुका हूँ,” (भजन 25:2)। 

परन्तु उन्होंने नहीं किया। भजनकारों को अपने पापों को सच्चाई से अंगीकार करने की सामर्थ्य कहाँ से प्राप्त हुई? वे कैसे दूसरों की उपस्थिति में परमेश्वर से कह सके कि “मैंने तेरे सम्मुख अपना अपराध मान लिया और अपना अधर्म नहीं छिपाया” (भजन 32:5)?

क्योंकि उन्होंने स्वयं की प्रतिष्ठाओं से बढ़कर परमेश्वर के अनुग्रह से प्रेम किया। वे अनुग्रह  के वश में आ गए थे। और यह दासत्व इतना सुखद था कि वे एक बहाने के साथ भागने का सपना देखने का प्रयास नहीं कर रहे थे।

हमारा एकमात्र शरण स्थान

भजनकारों ने सीख लिया, जैसा कि चार्ल्स स्पर्जन ने कहा कि, “जब हम अपने पापों के साथ कड़ाई से व्यवहार करते हैं, तब परमेश्वर हमारे साथ नम्रता से व्यवहार करेगा।” यदि हमारे पास कठोर प्रभु होता, तो अपने पापों के लिए बहाने देने का हमारा प्रयास समझे जा सकते थे, परन्तु हमारा प्रभु यीशु ख्रीष्ट ऐसा नहीं है। वह अपने दाहिने हाथ में “अनुग्रह की प्रचुरता” को थामे रहता है (रोमियों 5:17), तथा उन सभी पर उसे उण्डेलने के लिए सदैव तैयार रहता है जो बिना किसी बहाने के अपने पापों को मान लेते हैं (1 यूहन्ना 1:9)।

जब हम अपने अधर्म को ढाँपने को अस्वीकार करते है (भजन 32:5), तो ख्रीष्ट स्वयं अपने स्वयं के लहू से इसे ढाँपता है (भजन 32:1)। और इससे बढ़कर: वह हमें अपने धार्मिकता के ढाल में छिपाता है; वह हमें दोष लगाने वाले की निन्दा से बचाए रखता है; वह हमें छुटकारे के गीतों से घेरे रहता है (भजन 32:7)। स्वयं को बहानों की सुन्दरता से ढंक कर अन्त में अपने आप को अकेला पाने से कई गुणा उत्तम है अनुग्रह का निर्धन ऋणी होते हुए ख्रीष्ट से जुड़ा हुआ होना।

इसलिए आप अपने साथ रहनेवाले साथी, अपने कुछ निकटतम मित्रों, अपने जीवनसाथी, या कोई अन्य भरोसेमन्द विश्वास पात्र को खोजें, और ख्रीष्ट की अनुग्रह में पूर्णता से विश्राम करने का साहस करें। अवश्य ही, उपयोगी जानकारी प्रदान करें, किन्तु प्रत्येक बहाने को दूर करें। और, जब आप समाप्त कर चुके हैं, जानिए कि यीशु आपके अक्षम्य पाप के साथ क्या करता है: वह उसे गाड़ देता है। वह उसे समुद्र की गहराईयों में डाल देता है। वह इसे मिटा देता है। वह आपको क्षमा  करता है।  

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स्कॉट हबर्ड
स्कॉट हबर्ड

स्कॉट हबर्ड desiringGod.org के एक सम्पादक, ऑल पीपल्स चर्च के एक पास्टर, और
बैतलहम कॉलेज ऐण्ड सेमिनरी के एक स्नातक हैं। वह और उसकी पत्नी बेथानी मिनियापोलिस में अपने दो बेटों के साथ रहते हैं।

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