सन्देह के भार को दूर करना

“अविश्वासी नहीं, परन्तु विश्वासी हो।” (यूहन्ना 20:27)

विश्वास की उस दौड़ में, जिसमें यीशु ने आपको दौड़ने के लिए बुलाया है (इब्रानियों 12:1), उसमें आप सन्देह के भार को साथ लेकर दौड़ ही नहीं सकते हैं। आपको इसे छोड़ना ही पड़ेगा। आज ही इसे छोड़ दें। 

किन्तु सबसे पहले, मुझे यह समझाने दें कि सन्देह से मेरा क्या तात्पर्य है। बाइबल में सन्देह अविश्वास का पर्यायवाची शब्द नहीं है — कम से कम पूर्ण अविश्वास नहीं है। यहूदी अगुवे जिन्होंने यीशु का विरोध किया था, वे पूर्ण रीति से अविश्वासी थे (यूहन्ना 10:26)। परन्तु वह व्यक्ति जिसने चिल्लाकर कहा था “मैं विश्वास करता हूँ; मेरे अविश्वास का उपचार कर” (मरकुस 9:24) वह पूर्ण अविश्वासी नहीं था, किन्तु वह एक सन्देह करने वाला व्यक्ति था। 

पतरस हमें सन्देह का एक चित्र देता है जब वह यीशु के साथ पानी पर चलता है और फिर डूबने लगता है। यीशु उससे कहता है, “हे अल्पविश्वासी, तू ने क्यों सन्देह किया?” (मत्ती 14:31)। 

अतः, सन्देह का अर्थ विश्वास की पूर्ण अनुपस्थिति नहीं है। यह विश्वास है जो ऐसे भार के तले दबा है जो हमें डूबोने की धमकी देते हैं। यही कारण है कि सन्देह करने वालों को जैसे कि मरकुस 9 में एक व्यक्ति को या पतरस को पानी पर या पुनरुत्थान के बाद थोमा को (यूहन्ना 20:27) दृढ़ता से किन्तु कोमल डाँट के साथ यीशु ने प्रतिउत्तर दिया और उन्हें अविश्वास करने से रोकने की बुलाहट दी, जबकि यहूदी अगुवों को उसने इसके लिए कटु फटकार लगायी (मत्ती 23:33)। 

इब्रानियों 12:1 के चित्रण की पुनः ध्यान देते हुए, क्या आप सन्देह के भार को साथ लेकर दौड़ रहें हैं?

मैंं अभी हाल ही में पापपूर्ण सन्देह के भार को पुनः अलग रख रहा हूँ। मुझे कुछ ऐसे सन्देह हैं जिन पर मैं वर्षों से विचार करता आया हूँ और ऐसा प्रतीत होता है कि बड़ी सरलता से उन्हीं सन्देहों में फँस जाने की मेरी प्रवृत्ति हो गई है। कभी-कभी मैं इसे तब तक जान नहीं पाता हूँ जब तक कि मैं अपनी आत्मा में थकावट की अनुभूति नहीं करता हूँ, जो कि परमेश्वर की गई प्रतिज्ञाओं पर सन्देह के कारण होता है और यह बात मेरे जीवन में सत्य है।जितना अधिक हम इन सन्देह युक्त भार को ढोते रहेंगे, उनकी शक्ति हमारे ऊपर उतनी ही प्रबल होती जाएगी। हम प्राय: सोचने के लिए प्रलोभित हो जाते हैं कि भार को ढोना अधिक “वास्तविक” और बौद्धिक रूप से दौड़ के लिए एक सम्मानजनक मार्ग है। परन्तु लम्बे समय तक इसको बनाए रखने पर वे इस सीमा तक भारी हो जाते हैं, कि हम यह सोचना आरम्भ कर देते हैं कि क्या पूरी दौड़ इसके योग्य है अथवा वास्तव में सच्ची है या नहीं। 

यदि वह आप हैं, तो उनके साथ किसी भी प्रकार से खिलवाड़ न करें। उन्हें छोड़ दें। 

परन्तु कैसे कोई सन्देह के भार को दूर कर सकता है? 

जो पहला कार्य हम करते हैं वह है पश्चात्ताप सन्देह के साथ, वासना या किसी अन्य अविश्वास के समान ही व्यवहार करना चाहिए जो हमारे विश्वास को संक्रमित करता है। इस सम्बन्ध में यीशु ने हमारे लिए यह कहा “मन फिराओ और सुसमाचार पर विश्वास करो” (मरकुस 1:15)। केवल यीशु को यह बताने में सन्तुष्ट न रहें कि आप कैसे संघर्ष कर रहे हैं। पश्चात्ताप कीजिए! सन्देह का नाम लें जो कि: परमेश्वर में विश्वास न करना है। पश्चात्ताप में पाप के भार के तन्त्र को तोड़ने की अद्भुत सामर्थ्य है। 

जो दूसरा कार्य हम करते हैं वह (जिसे यीशु ऊपर के पद में कहता है) विश्वास करना  है।  क्या आपको स्मरण है कि यीशु ने थोमा से क्या कहा? “अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो।” (यूहन्ना 20:27)। 

विश्वास करने को हम जितना कठिन सोचते हैं वह उतना कठिन नहीं किन्तु सरल है। मैंने अभी इस सच्चाई को पुनः समझा है। कुछ समय के लिए कुछ निश्चित सन्देह को, उन्हें पाप के विरुद्ध संघर्ष की श्रेणी में रखते हुए, सहन करने के बाद, मैंने उन्हें छोड़ दिया (अर्थात उन्हें दूर कर दिया)। और मैं (फिर से) आश्चर्यचकित था कि यह कितना सरल था। यह एक कठोर बौद्धिक अभ्यास नहीं था। यह केवल नीतिवचन 3:5–6 का पालन करना था। 

यदि आप सन्देह के साथ संघर्ष कर रहे हैं, तो यहाँ कुछ व्यावहारिक सहायता दी गईं हैं:

  • यूहन्ना के सुसमाचार से ओत-प्रोत हो जाएँ: “परन्तु ये जो लिखे गए हैं इसलिए लिखे गए कि तुम विश्वास करो कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र ख्रीष्ट है, और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ” (यूहन्ना 20:31)। पूरी पुस्तक विश्वास करने के विषय में है। 
  • कुछ घनिष्ट, विश्वसनीय मित्रों के साथ इसके विषय में बात कीजिए और उनसे अपने लिए प्रार्थना करने के लिए कहिए। परमेश्वर ने हमें दूसरों के विश्वास से प्रोत्साहित होने के लिए बनाया है ताकि दूसरे लोग हमारे पाप से लड़ने में हमारी सहायता करें जिससे हमारा घमण्ड टूटकर नम्र हो जाए। घमण्ड में न छिपें।
  • यदि आपको गहरे, हठी सन्देह से छुटकारा पाने में कठिनाई हो रही है, ऑस गिनिस की पुस्तक, “गॉड इन द डार्क” (God in the Dark) को पढ़ना आपकी सहायता कर सकता है। 
  • हडसन टेलर की पुस्तक “स्पिरिचुअल सीक्रेट” (Hudson Taylor’s Spiritual Secret) को पढ़ें (या पुनः पढ़ें)।  मैंने वर्षों पहले इसको पढ़ा था और अभी कुछ समय से इसकी ऑडियो पुस्तक सुन रहा हूँ और एक बच्चे के समान टेलर के यीशु पर नियमित विश्वास से प्रोत्साहित हुआ हूँ। यह विश्वास से जीने हेतु आपकी समझ में क्रान्तिकारी परिवर्तन ला सकती है।

यह सन्देह के भार को दूर करने का समय है। उन्हें आपके दौड़ में बाधा डालने की आवश्यकता नहीं है। आपका उद्धारकर्ता आपको उनसे मुक्त करने के लिए मरा और वह आपकी सहायता करने जा रहा है। उस पर विश्वास कीजिए। और उस पर अपनी दृष्टि लगाए रखकर विश्वास की दौड़ में नित्य दौड़ते रहिए (इब्रानियों 12:2)।

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जॉन ब्लूम
जॉन ब्लूम

शिक्षक और डिज़ायरिंग गॉड के सह-संस्थापक के रूप में सेवा करते हैं। वह तीन पुस्तकों अर्थात- Not by Sight, Things Not Seen, और Don’t Follow Your Heart के लेखक हैं। इनके पाँच बच्चे हैं और वे मिनियापुलिस में रहते हैं।

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