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अपने नगर की भलाई के लिए प्रयास करें

“सेनाओं का यहोवा इस्राएल का परमेश्वर यों कहता है, हे सब बन्दियो, जिन्हें मैंने यरूशलेम से बेबीलोन का बन्दी बना कर भेजा है, घर बनाकर उन में रहने लगो, बारियाँ लगाकर उनके फल खाओ। . . . और जिस नगर में मैंने तुमको बन्दी बनाकर भेजा है उसकी कुशलता का प्रयास करो और यहोवा से उसके लिए प्रार्थना करो, क्योंकि उसकी कुशलता में ही तुम्हारी कुशलता होगी” (यिर्मयाह 29:4-5, 7)

यदि वह बात बेबीलोन में परमेश्वर के बन्दियों के लिए सत्य थी, तो यह ख्रीष्टीय बन्दियों के लिए और अधिक सत्य होगी जो इस “बेबीलोन-रूपी” संसार में हैं। तो हमें क्या करना चाहिए?

हमें उन साधारण कार्यों को करना चाहिए जिनको किया जाना चाहिए: घर बनाना; उनमें रहना; बारियाँ लगाना। यह आपको दूषित नहीं करता है यदि आप सब कुछ को वास्तविक राजा के लिए करें और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों के समान केवल दिखाने के लिए न करें।

जिस स्थान में परमेश्वर ने आपको भेजा है, उसकी भले के लिए प्रयास करें। ऐसा सोचें कि आप परमेश्वर द्वारा उसकी महिमा के लिए वहाँ भेजे  गए हैं। क्योंकि आपको इस कार्य के लिए भेजा भी गया है।

अपने नगर के लिए प्रार्थना करें। विनती करें कि आपके नगर के लिए भले कार्य किये जाएँ। विनती करें कि वे परमेश्वर की सामर्थ्य से और उसकी महिमा के लिए हों। उस सर्वश्रेष्ठ भलाई को कभी न भूलें जिसकी आवश्यकता आपके नगर को भौतिक समृद्धि से हज़ार गुना अधिक है। ख्रीष्टीय लोग हर प्रकार की पीड़ा की चिन्ता करते हैं — विशेषकर अनन्तकाल की पीड़ा की। यह वह सबसे बड़ा जोखिम है जिसका सामना प्रत्येक नगर करता है।

परन्तु न तो परमेश्वर और न ही उसके लोग नगर के स्वास्थ्य और सुरक्षा और समृद्धि के प्रति उदासीन हैं। हम सब इन बातों को चाहते हैं, और यीशु ने कहा, “तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर” (मत्ती 22:39)। वास्तव में, यिर्मयाह में प्रभु कहता है कि नगर से प्रेम करना मानो स्वयं से प्रेम करने का ही एक ढंग है। “उसकी कुशलता में ही तुम्हारी कुशलता होगी।”

इसका अर्थ यह नहीं है कि हम अपने बन्धुवाई में होने के भाव को त्याग दें। पतरस कहता है कि ख्रीष्टिय लोग “परदेशी और यात्री” हैं (1 पतरस 2:11) और पौलुस कहता है कि, “हमारी नागरिकता स्वर्ग की है” (फिलिप्पियों 3:20)। वास्तव में, हम इस संसार के लिए सर्वाधिक भलाई तब करेंगे जब हम उसके धोखा देने वाले आकर्षणों से अपनी स्वतन्त्रता बनाए रखेंगे। हम अपने नगर की सर्वश्रेष्ठ रीति से सेवा करेंगे जब हम “आने वाले नगर” (इब्रानियों 13:14) से अपने नैतिक मूल्यों को सीखेंगे। हम अपने नगर की सर्वाधिक भलाई तब करेंगे जब हम उसके नागरिकों में से अधिक से अधिक लोगों को “ऊपर की यरूशलेम” के नागरिक होने के लिए बुलाएँगे (गलातियों 4:26)।

इसलिए, आइए हम जीएँ — आइए हम इतनी भलाई करें (1 पतरस 2:12) — कि यहाँ के निवासी हमारे राजा से मिलने की इच्छा रखें।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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