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अनुग्रह के विभिन्न काल

हम सर्वदा तुम्हारे लिए प्रार्थना भी करते हैं कि हमारा परमेश्वर तुम्हें अपनी बुलाहट के योग्य समझे, तथा भलाई की हर एक इच्छा को और विश्वास के हर एक कार्य को सामर्थ्य सहित पूरा करे, जिससे कि हमारे परमेश्वर और हमारे प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह के अनुसार हमारे प्रभु यीशु का नाम तुम में महिमा पाए, और तुम उसमें। (2 थिस्सलुनीकियों 1:11-12)

अनुग्रह केवल तब ही हमारी भलाई करने के लिए परमेश्वर की प्रवृत्ति नहीं है, जब हम इसके योग्य नहीं होते हैं — और हम इसे “वह कृपा जिसके हम योग्य नहीं हैं” कहते हैं; परमेश्वर का अनुग्रह परमेश्वर की वह सामर्थ्य  भी है जो हमारे जीवनों में कार्य करती है और हमारे भीतर और हमारे लिए भली बातों को उत्पन्न करती है — और हम इसके भी योग्य नहीं हैं।

पौलुस ने पद 11 में कहा है कि हम “उसकी सामर्थ्य से” भलाई के लिए अपनी इच्छाओ (संकल्पों) की पूर्ति करते हैं। और फिर वह पद 12 के अन्त में जोड़ता है, “हमारे परमेश्वर और प्रभु यीशु ख्रीष्ट के अनुग्रह के अनुसार।” वह सामर्थ्य जो वास्तव में हमारे जीवन में इस कारण कार्य करती है कि ख्रीष्ट को ऊँचा उठाने वाली आज्ञाकारिता सम्भव हो सके, वह तो परमेश्वर के अनुग्रह का ही विस्तार है।

आप इसे 1 कुरिन्थियों 15:10 में भी देख सकते हैं: 

फिर भी परमेश्वर के अनुग्रह से मैं अब जो हूँ सो हूँ। मेरे प्रति उसका अनुग्रह व्यर्थ नहीं ठहरा, परन्तु मैंने उन सब से बढ़कर परिश्रम किया, फिर भी मैंने नहीं, परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह ने मेरे साथ मिलकर किया। 

अत: अनुग्रह एक सक्रिय, वर्तमान, परिवर्तनकारी, आज्ञापालन-के-लिए- सक्षम बनाने वाली सामर्थ्य है।

इसलिए यह अनुग्रह जो किसी एक क्षण में परमेश्वर के पास से सामर्थ्य के साथ आपके पास आता है, यह अतीत और भविष्य दोनों का अनुग्रह है। इसने आपके लिए या आप में पहले से ही कुछ किया है, और इस कारण यह अतीत का है। और यह आपके लिए या आपके भीतर कुछ करने वाला है इसलिए यह भविष्य का है —पाँच सेकण्ड पश्चात् वाला भविष्य भी और पचास लाख वर्ष पश्चात् वाला भविष्य भी।

परमेश्वर का अनुग्रह भविष्य से हमारी ओर आने वाली असीम अनुग्रह की नदी से उमड़ता हुआ आता है, जो वर्तमान में कभी कम न होने वाले अनुग्रह के झरने से नित्य बहता रहता है, और जो अतीत-के -अनुग्रह के सदा-बढ़ते हुए जलाशय में बना रहता है। अगले पाँच मिनट में, आप भविष्य से आपकी ओर बहने वाले उस स्थायी अनुग्रह को प्राप्त करेंगे जो आपको सम्भालता है, और आप अतीत के पुनः एक और पाँच मिनट के अनुग्रह को इकट्ठा कर लेंगे।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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