देने वाला महिमा प्राप्त करता है

January 26, 2025

देने वाला महिमा प्राप्त करता है

इसी उद्देश्य से हम सर्वदा तुम्हारे लिए प्रार्थना भी करते हैं कि हमारा परमेश्वर तुम्हें अपनी बुलाहट के योग्य समझे, तथा भलाई की हर एक इच्छा को और विश्वास के हर एक कार्य को सामर्थ्य सहित पूरा करे, जिससे कि हमारे परमेश्वर और प्रभु यीशु ख्रीष्ट के अनुग्रह के अनुसार हमारे प्रभु यीशु का नाम तुम में महिमा पाए, और तुम उसमें। (2 थिस्सलुनीकियों 1:11-12)

यह बहुत ही अच्छा समाचार है कि परमेश्वर अपने अनुग्रह के प्रयोग द्वारा ही अपनी महिमा  को बढ़ाता है। 

निश्चय ही, परमेश्वर अपने क्रोध को दिखाने के द्वारा महिमा प्राप्त करता है (रोमियों 9:22), परन्तु नया नियम बार-बार (और उदाहरण के लिए, पुराने नियम में, यशायाह 30:18) यह कहता है कि हमें परमेश्वर के अनुग्रह का अनुभव करना चाहिए जिससे कि परमेश्वर को महिमा  मिले। 

इस बात पर विचार करें कि 2 थिस्सलुनीकियों 1:11-12 की प्रार्थना में यह कैसे कार्य करता है।

पौलुस प्रार्थना करता है कि परमेश्वर हमारी भलाई की हर एक इच्छाओं को पूरा करे।

कैसे? वह प्रार्थना करता है कि वे “[परमेश्वर की] सामर्थ्य” के द्वारा पूर्ण हों। अर्थात्, कि वे विश्वास के [कार्य] हों।” 

क्यों? जिससे कि हमारे द्वारा यीशु को महिमा मिले।

इसका अर्थ यह है कि देने वाला महिमा प्राप्त करता है। परमेश्वर ने सामर्थ्य दिया है। परमेश्वर महिमा प्राप्त करता है। हमारे पास विश्वास है; परन्तु वह हमें सामर्थ्य देता है। हम सहायता प्राप्त करते हैं; वह महिमा प्राप्त करता है। यह वह बात है जो हमें नम्र और आनन्दित रखती है, और परमेश्वर को सर्वोच्च और महिमान्वित बनाए रखती है। 

इसके बाद पौलुस कहता है कि ख्रीष्ट का यह महिमान्वीकरण “हमारे परमेश्वर और प्रभु यीशु के अनुग्रह के अनुसार है।” 

पौलुस की इस प्रार्थना के प्रतिउत्तर में परमेश्वर का उत्तर अनुग्रह  है, कि हम भले कार्य हेतु परमेश्वर की सामर्थ्य पर भरोसा करने पाएँ। परमेश्वर की वह सामर्थ्य अनुग्रह ही तो है जो आपको अपने दृढ़ संकल्प को पूरा करने के लिए सक्षम बनाती है ।   

नए नियम में बार-बार कार्य करने की पद्धति यही है। अनुग्रहमयी रीति से सक्षम बनाने के लिए परमेश्वर पर भरोसा रखें, और जब हमें उससे सहायता मिलती है तो परमेश्वर महिमान्वित होता है। 

हम सहायता प्राप्त करते हैं। वह महिमा प्राप्त करता है। 

इसलिए, सुसमाचार केवल ख्रीष्टीय हृदय परिवर्तन ही नहीं, परन्तु ख्रीष्टीय जीवन भी है। 

साझा करें
जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

Articles: 407

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  1. देने वाला महिमा प्राप्त करता है (Current)

    जॉन पाइपर | January 26, 2025
  2. मृत्यु का पूर्वाभ्यास (Rehearsal)

    जॉन पाइपर | December 31, 2025
  3. तैयार और सशक्त किए गए

    जॉन पाइपर | December 30, 2025
  4. एक भयानक गन्तव्य

    जॉन पाइपर | December 29, 2025
  5. महिमा ही लक्ष्य है

    जॉन पाइपर | December 28, 2025
  6. आपका लक्ष्य क्या है?

    जॉन पाइपर | December 27, 2025
  7. आपदा के विषय में कैसे विचार करें

    जॉन पाइपर | December 26, 2025
  8. क्रिसमस के तीन उपहार

    जॉन पाइपर | December 25, 2025
  9. क्रिसमस के दो उद्देश्य

    जॉन पाइपर | December 24, 2025
  10. परमेश्वर का अवर्णनीय उपहार

    जॉन पाइपर | December 23, 2025
  11. कि तुम विश्वास करो

    जॉन पाइपर | December 22, 2025