बाइबल का अध्ययन कैसे करें?

चाहे आप कई वर्षों से विश्वासी हों या नये विश्वासी हों, हम सब के लिए एक प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है कि – बाइबल का अध्ययन कैसे करें? क्योंकि पवित्रशास्त्र की त्रुटिपूर्ण समझ हमें त्रुटिपूर्ण जीवन शैली की ओर अग्रसर करती है। वचन की सही समझ ही सही व भक्तिपूर्ण जीवन शैली की ओर ले जाती है। इसलिए एक ख्रीष्टीय के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम वचन को ठीक-ठीक काम में लाएँ। और वचन को ठीक-ठीक काम में लाने हेतु हमें व्याख्याशास्त्र के कुछ आधारभूत यंत्रों से परिचित होना और उनका उपयोग करना आवश्यक है। व्याख्याशास्त्र के आधारभूत यंत्र सन्दर्भ, अवलोकन, व्याख्या और लागूकरण हैं। आइए हम संक्षेप में इनके उपयोग के विषय में जानें:

खण्ड के सन्दर्भ पर ध्यान दें

सन्दर्भ का अर्थ है कि खण्ड की पृष्ठभूमि और परिस्थितियों के विषय में जाना जाए, जिस समय लेखक ने लिखा था। जब हम सन्दर्भ को समझने का प्रयास करते हैं, तो हमको निम्न प्रश्नों को पूछना चाहिए। उदाहरण के लिए मरकुस 4:35-41 देखें। 

यह खण्ड किस प्रकार की शैली के अन्तर्गत आता है? जैसे – इतिहास, बुद्धि, भजन, कविता, सुसमाचार, या फिर पत्रियाँ है। परन्तु यह स्थल सुसमाचार की शैली में आता है। इसका लेखक कौन है? – मरकुस है। क्यों लिखा गया है? मरकुस यह दिखाना चाहता है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है (मरकुस 1:1)। इसी प्रकार से हम अन्य प्रश्नों को खण्ड से पूछ सकते हैं। किसको लिखा है? खण्ड से पहले और बाद के सन्दर्भ में क्या चल रहा है? 

खण्ड का सही से अवलोकन करें

अवलोकन का अर्थ है उस खण्ड की सावधानीपूर्वक छान-बीन करना जिसे हम पढ़ते हैं। जब हम वचन का अवलोकन करते हैं तो हमको उस खण्ड से अच्छे प्रश्नों को पूछना होगा। और दोहराए गए वाक्यों या शब्दों पर ध्यान देना होगा। खण्ड के मुख्य विषय को समझने का प्रयास करें। कितने पात्र या लोग उस खण्ड में हैं? क्या कोई आश्चर्यचकित करने वाली बात है? उदाहरण के लिए – इस खण्ड का मुख्य विषय क्या है? यदि आप मरकुस 4:35-41 को पढ़ेंगे, आप पाएँगे कि यीशु ख्रीष्ट ही सब चीजों पर अधिकार रखते हैं। मुख्य पात्र कौन है? – तो यहाँ पर यीशु हैं और उसके चेले हैं, जो नाव में यात्रा कर रहे थे। इस प्रकार से हम अन्य प्रश्नों को ध्यान में रखकर खण्ड की अच्छे से छान-बीन कर सकते हैं।     

खण्ड के सही अर्थ को समझना  

अर्थ – उस मुख्य बिंदु या विचार को सन्दर्भित करता है जिसे मूल लेखक चाहता था कि उसके मूल श्रोता किसी विशेष विषय को समझें। खण्ड के अर्थ को समझने के लिए हमारे पास कुछ अच्छे प्रश्न होने चाहिए। जिसके आधार पर हम एक खण्ड के अर्थ को समझ सकते हैं। जैसे – यह खण्ड हमें परमेश्वर, यीशु ख्रीष्ट, मनुष्य, पाप, और उद्धार के विषय में क्या सिखाता है? यदि हम फिर से मरकुस 4:35-41 देखें, तो यह खण्ड हमको ख्रीष्ट के सामर्थ, ईश्वरत्व और उसके मनुष्यत्व के विषय में सिखाता है। जब यीशु ख्रीष्ट सो रहे थे, उसके मनुष्यत्व को दिखाता है। जब यीशु आँधी को शान्त कर रहे थे, यह उसके सामर्थ्य और ईश्वरत्व को दिखाता है। यह प्रदर्शित करता है कि यीशु सब कुछ का सृजनहार और सब कुछ पर उसका नियन्त्रण है। इन सब बातों के प्रतिउत्तर में उसके चेलों को ख्रीष्ट पर विश्वास करना चाहिए था और उसकी आराधना करनी चाहिए थी। परन्तु इसके विपरीत वे अत्यन्त भयभीत हो गए। और वे कहने लगे अन्ततः ये है कौन है कि जिसकी आज्ञा आँधी भी मानती है? (पद 41)। 

खण्ड को अपने जीवन में लागू करना

लागूकरण हमारे वचन का अध्ययन करने का एक मुख्य भाग है। लागूकरण का अर्थ है कि जो वचन को हमने पढ़ा है, उस खण्ड के प्रति क्या प्रतिउत्तर करें। यदि हम वचन का अध्ययन अच्छी रीति से करते हैं और लागू नहीं करते हैं, तो हमारे वचन पढ़ने और अध्ययन करने से कोई लाभ नहीं। इसलिए वचन पढ़ने, उसका अवलोकन करने, उसके अर्थ को समझने के पश्चात् लागूकरण पर अवश्य ही ध्यान दें। यह हमारे जीवन का मूल्याँकन करने में लाभदायक होता है। इसलिए जब भी हम लागूकरण करते हैं, सीधे-सीधे हम अपने ऊपर लागू नहीं कर सकते हैं, किन्तु हमको ध्यान रखना है कि हम जिस भी खण्ड का अध्ययन कर रहे हैं, तो लेखक अपने मूल श्रोता को क्या समझाना चाहता है? आज हम से क्रूस के मार्ग से होकर हमारे लिए क्या लागूकरण है। जिसमें होकर के हमको निम्न प्रश्नों को पूछ सकते हैं।

इस खण्ड में पाए जाने वाले सत्य परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध को कैसे प्रभावित करते हैं?

यह सत्यता दूसरों के लिए जीने और निवेश करने में कैसे प्रभावित करती है?

ये सत्य मुझे कैसे प्रभावित करते हैं? 

ये खण्ड मेरे किन पापों को उजागर करता है?

ये सत्य मुझे संसार, शरीर, और शैतान से कैसे सावधान होने के लिए चेतावनी देते हैं?

जो कुछ भी आपने उस खण्ड के द्वारा सीखा है, उसी के आधार पर प्रार्थना करें।

मैं आपको उत्साहित करना चाहूँगा कि जब भी आप बाइबल पढ़ते हैं तो इन चार बातों का ध्यान अवश्य रखें। ये बातें हमारी सहायता करेंगी खण्ड को सही रीति से समझने में और अपने जीवन में लागू करने में।

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भास्कर पॉल
भास्कर पॉल

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

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