हम बाइबल पर क्यों भरोसा कर सकते हैं ?

मसीही जीवन, पवित्र बाइबल की 66 पुस्तकों पर आधारित है। ये 66 पुस्तकें लगभग 40 लेखकों द्वारा लगभग 1600 वर्षों के समय काल के दौरान लिखी गईं हैं, जिनमें से अन्तिम पुस्तक आज से लगभग 1900 वर्ष पहले लिखी गई थी। आज विश्व भर में लाखों लोग बाइबल को अपने जीवन का आधार मानते हैं, लेकिन क्या उनका ऐसा करना सही है? क्या हम बाइबल पर भरोसा कर सकते हैं कि यह परमेश्वर का वचन है? इस प्रश्न के उत्तर के रूप में हम छ: बातों को देखेंगे, जो बाइबल के प्रति हमारे भरोसे को दृढ़ करेंगी।

1. बाइबल स्वयं ही अपनी सच्चाई का दावा करती है।
सर्वप्रथम, बाइबल स्वयं दावा करती है कि वह परमेश्वर का वचन है। उदाहरण के लिए, प्रेरित पौलुस तीमुथियुस को लिखता है कि, “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र  (बाइबल )परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है ” (2 तीमुथियुस 3:16क)। और यीशु का शिष्य पतरस लिखता है, “पवित्रशास्त्र  की कोई भी भविष्यवाणी व्यक्तिगत विचारधारा का विषय नहीं है, परन्तु लोग पवित्र आत्मा की प्रेरणा द्वारा परमेश्वर की ओर से बोलते थे। ” 2 पतरस 1:20क, 21ख)। इसके साथ ही परमेश्वर ने स्वयं अपने वचन को मनुष्यों द्वारा लिखवाया, और इस बात को हम यिर्मयाह 32:2 में स्पष्ट देख सकते हैं: “यहोवा का वचन जो यिर्मयाह के पास पहुँचा वह यह है: इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है कि जो वचन मैंने तुझ से कहे उन सब को एक पुस्तक में लिख ले ” (यिर्मयाह 32:2)। यदि बाइबल यह दावा नहीं करती कि वह परमेश्वर का वचन है, तो शायद हम उस पर विश्वास न करते, परन्तु यह दावा करती है कि यह परमेश्वर का वचन है इसलिए हमें इसे गंभीरता से लेना है।

यदि बाइबल यह दावा नहीं करती कि वह परमेश्वर का वचन है, तो शायद हम उस पर विश्वास न करते, परन्तु यह दावा करती है कि यह परमेश्वर का वचन है इसलिए हमें इसे गंभीरता से लेना है।

2. बाइबल की अनेक भविष्यवाणियाँ पूरी हुई हैं।
बाइबल की स्वयं के विषय में साक्षियों के साथ-साथ, बाइबल में अनेक पूर्ण हुईं भविष्यवाणियाँ भी हमारे विश्वास को दृढ़ करती हैं। उदाहरण के लिए, यिर्मयाह 25:11-12 में परमेश्वर कहता है कि सत्तर वर्षों के लिए उसके लोग बेबीलोन के दासत्व में होंगे और फिर लौटेंगे। और जब हम एज्रा 1:1-4 को पढ़ते हैं, तो हम देखते हैं कि यह भविष्यवाणी वास्तव में पूरी हुई। बाइबल की भविष्यवाणियां न केवल इस्राएल से जुड़ी हुई हैं, परन्तु ये विश्व के इतिहास से भी जुड़ी हुई हैं। दानिय्येल 2:36-45 में दानिय्येल, बेबीलोन के राजा द्वारा देखे गए स्वप्न तथा उसके अर्थ को बताता है जिसको हम बेबीलोन, फारस, यूनान तथा रोम के राज्यों के उदय तथा विनाश में पूरा होते हुए देख सकते हैं। इसके साथ, यीशु मसीह के बारे में अनेक भविष्यवाणियां भी पूरी हुईं हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हम यशायाह 53 में दुख उठाने वाले दास की भविष्यवाणी में देखते हैं, जो स्पष्ट रीति से यीशु मसीह के दुख उठाने और मृत्यु के बारे में है। ये सब पूर्ण हुई भविष्यवाणियाँ बाइबल पर हमारे विश्वास को बढ़ाने में सहायता करती हैं।

3. बाइबल में कोई भी विरोधाभास नहीं है।
हमने आरम्भ में इस बात को कहा था कि बाइबल लगभग 40 लेखकों के द्वारा लगभग 1600 वर्षों के समय काल में लिखी गई है। यद्यपि इसके बहुत से लेखक आपस में कभी नहीं मिले, फिर भी उनकी बात एक दूसरे की बात को कभी भी नहीं काटती है अर्थात्, बाइबल में कोई विरोधाभास नहीं है। हो सकता है कि कुछ खण्डों में हमें विरोधाभास लगे, परन्तु यदि हम उन खण्डों को उनके पूर्ण सन्दर्भ में पढ़ेंगे तो हम पाएंगे कि वे वास्तव में एक दूसरे से पूर्णतः मेल खाते हैं।

बाइबल में कोई विरोधाभास नहीं है। हो सकता है कि कुछ खण्डों में हमें विरोधाभास लगे, परन्तु यदि हम उन खण्डों को उनके पूर्ण सन्दर्भ में पढ़ेंगे तो हम पाएंगे कि वे वास्तव में एक दूसरे से पूर्णतः मेल खाते हैं।

उदाहरण के लिए, कोई कह सकता है कि पौलुस रोमियों 4:2-3 में कहता है कि इब्राहिम विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराया गया,  परन्तु याकूब 2:21-22 में याकूब लिखता है कि इब्राहिम कार्यों के कारण धर्मी ठहराया गया। यहाँ विरोधाभास प्रतीत होता है, लेकिन यदि हम ध्यान दें तो, पौलुस और याकूब अलग-अलग सन्दर्भों में बात कर रहे हैं। पौलुस इस बात को कह रहा है कि मनुष्य का उद्धार कार्यों से नहीं, लेकिन विश्वास से होता है, लेकिन याकूब कह रहा है कि एक उद्धार पाए हुए व्यक्ति के जीवन में कार्य अवश्य होने चाहिए। अतः हम देखते हैं कि इन दोनों खण्डों में कोई विरोधाभास नहीं है, और ऐसा ही हम अन्य खण्डों में भी पाते हैं जहां हमें लगता है कि विरोधाभास है।

4. बाइबल के विषय में पुरातात्त्विक प्रमाण उसकी विश्वसनीयता का समर्थन करते हैं।
बाइबल की विश्वसनीयता इस बात से भी प्रमाणित होती है कि यद्यपि इसमें वर्णित नाम, जगह, घटनाएँ कई हज़ारों वर्ष पुराने हैं, वे फिर भी वास्तविक हैं। इस बात की पुष्टि पुरातात्त्विक प्रमाण स्वयं करते हैं। उदाहरण के लिए, जल प्रलय की घटना की पुष्टि के प्रमाण में हमें सुमेरियन साहित्य से एक लेख मिलता है जिसमें उत्पत्ति 6-8 अध्याय में वर्णित जल प्रलय की घटना का उल्लेख है1। इसके साथ-साथ, पुरात्त्विक खुदाई में हिजकिय्याह राजा के द्वारा खुदवाई गई सुरंग मिली है, जिसका वर्णन 2 इतिहास 32:30 में किया गया है।2 और, यीशु के समय के मन्दिर की टूटी हुई दीवार आज भी यरूशलेम में है। इसके साथ में, बाइबल जब यीशु के जन्म के समय के बारे में वर्णन करती है कि यहूदिया में हेरोदेस राजा था (मत्ती 2:1) और रोम में औगुस्तुस कैसर सम्राट था (लूका 2:1), ये बातें इतिहास से मेल खाती हैं। हम बाइबल पर विश्वास कर सकते हैं क्योंकि पिछले दो हज़ार वर्षों में इतिहास से सम्बन्धित ऐसी कोई भी खोज या पुरातात्त्विक प्रमाण नहीं आया है जो यह दिखाता है कि बाइबल में वर्णित एक भी जगह या जन का नाम गलत है।

बाइबल की विश्वसनीयता इस बात से भी प्रमाणित होती है कि यद्यपि इसमें वर्णित नाम, जगह, घटनाएँ कई हज़ारों वर्ष पुराने हैं, वे फिर भी वास्तविक हैं।

5. बाइबल की अनेक प्राचीन पाण्डुलिपियाँ हैं।
बाइबल मूलतः इब्रानी, आरामी (पुराना नियम की 39 पुस्तकें) एवं यूनानी (नया नियम के 27 पुस्तकें) भाषा में लिखी गईं। बाइबल की जितनी प्राचीन पाण्डुलिपियां आज उपस्थित हैं, उतनी अन्य किसी भी प्राचीन लेख की पाण्डुलिपियां नहीं पाई जाती हैं। 1947 ईस्वी से पहले यद्यपि हमारे पास पुराने नियम की पाण्डुलिपियाँ पर्याप्त मात्रा में थी फिर भी सबसे पुरानी पाण्डुलिपि 900 ई. के समय की ही थी। परन्तु 1947 ई. में मृत सागर की कुमरान गुफा में पाई गईं पुराने नियम की पाण्डुलिपियाँ 68 ई. से भी पहले की हैं और हमारी वर्तमान बाइबल से पूर्णतः मेल खाती हैं। ये प्रमाण पुराने नियम की जड़ों को और अधिक दृढ़ता प्रदान करती हैं, क्योंकि हमारे पास वही पुराना नियम है जो यीशु मसीह के समय में था। इस गुफा में पुराने नियम की समस्त (ऐस्तर की पुस्तक को छोड़कर) पुस्तकों की पाण्डुलिपियाँ मिली हैं। इन पाण्डुलिपियों की कुल संख्या लगभग 223 से अधिक है।3

जहां तक नए नियम की बात है, हमारे पास यूनानी भाषा में 5000 से अधिक प्रतिलिपि तथा इसके टुकड़े प्राप्त हैं और चौथी शताब्दी से नये नियम की दो पूर्ण यूनानी पाण्डुलिपियाँ (कॉडेक्स वेटिकनस  एवं कॉडेक्स सिनेटिकस 4) प्राप्त हैं। इसके साथ ही साथ 10,000 से अधिक लतीनी भाषा में तथा लगभग 9300 पाण्डुलियाँ अन्य 13 भाषाओं में प्राप्त हैं। इन सब पाण्डुलिपियों की वैज्ञानिक शोध के द्वारा जाँच की गई है। इससे यह बात स्पष्ट है कि हमारे हाथों में जो बाइबल है, वह पूर्ण रीति से विश्वसनीय है और सभी भाषाओं में अनुवादित बाइबल पूर्णतः इन पाण्डुलिपियों से मेल खाती है।

6. बाइबल ने इतिहास में असंख्य लोगों के जीवनों को बदला है।
पुरातत्विक प्रमाणों तथा अनेक पाण्डुलिपियों के प्रमाणों से भी बढ़कर बाइबल इसलिए विश्वसनीय है क्योंकि इसने असंख्य जीवनों को बदला है। इसने बहुत से पत्थरों को हीरा बना दिया है। बाइबल के कारण ही, पौलुस जैसा हत्यारा व कलीसिया को सताने वाला, मसीहियत को फैलाने वाला तथा मसीह के लिए दुख उठाने वाला बन गया (गलातियों 1:11-24)। बाइबल के कारण ही चोर तथा वासना से लिप्त ऑगस्टीन यीशु मसीह का सच्चा अनुयायी बन गया और हिप्पो शहर में रहते हुए उसने सुसमाचार के लिए सम्पूर्ण जीवन को समर्पित कर दिया।5 और यह बात आज भी जारी है। बाइबल ने मेरे जीवन को भी बदल दिया और बाइबल में प्रकट प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार के द्वारा परमेश्वर ने मुझ पापी को नया जीवन दिया। बाइबल की शिक्षाएं आज तक मेरे स्वभाव को बदल रही हैं-मैं पाप के प्रभाव से छूटता जा रहा हूँ और परमेश्वर के स्वरूप में बढ़ रहा हूँ। यदि आप मसीही हैं तो आप भी इस बात के गवाह हैं कि बाइबल ने आपके जीवन को बदला है।

परमेश्वर का धन्यवाद हो कि उसने बाइबल के द्वारा अपने आप को प्रकट किया, कि हम बाइबल पर विश्वास कर सकते हैं। बाइबल की विश्वसनीयता का महत्व केवल सैद्धांतिक ही नहीं, लेकिन व्यवहारिक भी है। बाइबल पर भरोसा किया जा सकता है, इसलिए यह उचित है कि हम मसीही इसे पढ़ें, इस पर मनन करें, और इसकी बातों को मानें और विश्वास करें कि यह परमेश्वर का वचन है। और जैसे-जैसे हम ऐसा करते जाएंगे, यह हमारे जीवनों को बदलती रहेगी। बाइबल की विश्वसनीयता के कारण, हम इसे अपने मित्रों को पढ़ने के लिए दे सकते हैं। हम भरोसा कर सकते हैं कि परमेश्वर उसके द्वारा उनके जीवनों को भी बदल सकता है। यदि आप अभी भी इन सब बातों से प्रभावित नहीं हैं, तो मेरा आप से निवेदन है कि बाइबल को पढ़िए, और अनुभव कीजिए क्योंकि यह वास्तव में भरोसे के योग्य है।


1 ऐन्ड्रू ई हिल और जॉन एच वॉलटन, अ सर्वे ऑफ द ओल्ड टेस्टामेन्ट (पुराने नियम का सर्वेक्षण)83।
2 ऐन्ड्रू ई हिल और जॉन एच वॉलटन, अ सर्वे ऑफ द ओल्ड टेस्टामेन्ट (पुराने नियम का सर्वेक्षण) 314।
3 जॉश मक्डॉवेल, नवीन प्रमाण जो आपका फैसला माँगता है!, 140।
4 आप इस लिंक के द्वारा कॉडेक्स सिनेटिकस की मूल पाण्डुलिपि देख सकते हैं। http://codexsinaiticus.org/en/manuscript.aspx?book=33&lid=en&side=r&zoomSlider=0
5 ऑगस्टीन, ऑगस्टीन का अंगीकार, अध्याय 5।

Photo by Aaron Burden on Unsplash

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विवेक जॉन
विवेक जॉन

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

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