क्या करें, यदि आप निर्बलता का आभास करते हुए जागते हैं?

कभी-कभी ऐसी सुबह होती हैं जब मैं निर्बलता या असुरक्षा का आभास करते हुए जागता हूँ। यह आभास प्रायः अस्पष्ट होता है। कोई विशेष संकट नहीं दिखता है। और न ही कोई विशेष निर्बलता। केवल एक अस्पष्ट भावना उठती है कि कुछ तो बुरा होने वाला है जिसके लिए मैं उत्तरदायी होऊँगा। यह सामान्य रीति से अत्यधिक आलोचना होने के बाद होता है। ऐसे समयों मे जब अनेक अपेक्षाएँ होती हैं जिनके लिए समय सीमाएँ तय होती हैं और जो बहुत बड़ी तथा अधिक प्रतीत होती हैं। 

जब मैं बीते 50 वर्षों के ऐसे प्रातःकालीन समयों को पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो मैं आश्चर्यचकित होता हूँ कि कैसे प्रभु यीशु ने मेरे जीवन को बचाकर रखा है। और साथ ही मेरी सेवकाई को भी बचाकर रखा है। वैसे प्रभु की दया से अभी तक—तनाव से दूर भागने का प्रलोभन मुझ पर कभी हावी नहीं हुआ है। यह अद्भुत बात है। और इस बात के लिए मैं उसकी आराधना करता हूँ। 

जिस रीति से परमेश्वर अपने बच्चों को बनाए रखता है

परमेश्वर ने यह कैसे किया है? उसने यह नित्य प्रार्थना और विशिष्ट प्रतिज्ञाओं के माध्यम से किया। मैं स्पर्जन की इस बात से सहमत हूँ: मैं परमेश्वर की “इच्छा” और परमेश्वर के “कार्य” से प्रेम करता हूँ। 

मुझे भय के लकवे में डूबने देने, या हरी घास की मृगतृष्णा की ओर भागने देने के स्थान पर, उसने सहायता के लिए एक पुकार को जागृत किया और फिर एक ठोस प्रतिज्ञा के साथ उत्तर दिया। 

“मुझे भय में डूबने देने के स्थान पर, परमेश्वर ने सर्वदा मेरी पुकार का उत्तर ठोस प्रतिज्ञाओं के साथ दिया है।”

मेरे पास एक उदाहरण है जो अभी थोड़े ही दिन पहले का है। मैं भावनात्मक रीति से निर्बलता का आभास करके उठा। बड़ा ही निर्बल और असुरक्षित। मैंने प्रार्थना किया: “प्रभु मेरी सहायता कीजिए। मुझे यह भी नहीं पता है कि प्रार्थना कैसे करूँ।”

लगभग घण्टे भर बाद मैं ज़कर्याह की पुस्तक को पढ़ रहा था, और मैं उस सहायता को खोज रहा था जिसके लिए मैंने पुकारा था। सहायता मिली। भविष्यद्वक्ता ने स्वर्गदूत से यरूशलेम के विषय में एक बड़ा समाचार सुना: 

मनुष्यों और पशुओं की बहुतायत के कारण यरूशलेम शहरपनाह-रहित नगरों के समान बसेगा क्योंकि यहोवा की यह वाणी है कि मैं स्वयं उसके चारों ओर अग्नि की दीवार तथा उसके मध्य महिमा ठहरूँगा। (ज़कर्याह 2:4-5)

परमेश्वर के लोगों के लिए ऐसी समृद्धि और वृद्धि होगी कि यरूशलेम में अब समा भी नहीं पाएगी। “मनुष्यों और पशुओं की बहुतायत” इतनी होगी कि यरूशलेम उन बहुत से गाँवों के समान होगा जो पूरे देश में बिना नगरकोट (दीवार) के फैले हुए हैं। 

परन्तु नगरकोट (दीवार) का होना आवश्यक है। वे अवैध भीड़ और शत्रु सेनाओं के विरुद्ध सुरक्षा हैं। गाँव निर्बल, सामर्थ्यहीन और संवेदनशील हैं। समृद्धि होना अच्छी बात है, परन्तु सुरक्षा का क्या होगा? 

परमेश्वर निर्बलों की रक्षा करता है और अपने अभिलाषी को तृप्त करता है। 

इसके लिए परमेश्वर जकर्याह 2:5 में कहता है, “यहोवा की यह वाणी है कि मैं स्वयं उसके चारों ओर अग्नि की दीवार ठहरूँगा।” हाँ। केवल इतना ही पर्याप्त है। यही प्रतिज्ञा है। “मैं ठहरूँगा” यह प्रतिज्ञा परमेश्वर की है। केवल इसी की मुझे आवश्यकता है। और यदि यह यरूशलेम के असहाय गावों के लिए सत्य है, तो यह मेरे लिए अर्थात् परमेश्वर की सन्तान के लिए भी सत्य है। परमेश्वर मेरे चारों ओर “अग्नि की दीवार” होगा। हाँ। वह होगा। वह रहा है। और वह आगे भी होगा। 

“परमेश्वर हमें अपनी अग्नि की सुरक्षा देने में कभी सन्तुष्ट नहीं होता है; वह हमें अपनी उपस्थिति का सुख देगा।” 

और यह धीरे-धीरे उत्तम होता जाता है। सुरक्षा की उस अग्नि की दीवार के भीतर वह कहता है, “और मैं उसके मध्य महिमा ठहरूँगा।” परमेश्वर कभी भी हमें अपनी अग्नि की सुरक्षा देने में सन्तुष्ट नहीं होता है; वह हमें अपनी उपस्थिति का सुख देगा। 

यह मेरे लिए सुखद था। इस प्रतिज्ञा ने मुझे कई दिनों तक सम्भाला था। मैं इस प्रतिज्ञा को प्रचार मंच तक ले गया। मैंने इसके विषय में पारिवारिक संगति में बात की। मैंने इसका वर्णन अपने साथ कार्य करने वाले लोगों के मध्य में किया। मैंने इसे फोन कॉल और ईमेल के द्वारा भी लोगों को बताया। 

15 वर्ष की उम्र से जब मैंने पहली बार अपनी किंग जेम्स बाइबल में कुछ चिन्ह लगाना आरम्भ किया था, तब से प्रत्येक बार यह मेरा छुटकारा रहा है। परमेश्वर ने मुझे सहायता की पुकार और ठोस प्रतिज्ञाओं के माध्यम से बचाया है। इस बार उसने कहा, “मैं स्वयं उसके चारों ओर अग्नि की दीवार ठहरूँगा” तथा “मैं उसके मध्य महिमा ठहरूँगा”।

उसे पुकारिए। फिर उसके द्वारा नियुक्त प्रतिज्ञा के लिए बाइबल में खोजिए। हम निर्बल हैं । किन्तु वह नहीं। 

साझा करें
जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

Articles: 362

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *