संसार का सबसे उत्तम समाचार यह है कि परमेश्वर के साथ हमारा अलगाव समाप्त हो चुका है, और विश्व के न्यायाधीश के साथ हमारा मेल-मिलाप हो चुका है। परमेश्वर अब हमारे विरोध में नहीं किन्तु हमारे पक्ष में है। हमारे पक्ष में सर्वशक्तिशाली प्रेम का होना हमारे प्राण को सामर्थी रूप से दृढ़ बनाता है। जब विश्व का सबसे सामर्थ्यवान प्राणी आपके साथ हो तो जीवन पूर्णतः स्वतन्त्र तथा निर्भीक हो जाता है।
परन्तु पौलुस द्वारा दिया गया उद्धार का सन्देश उन लोगों के लिए अच्छा सन्देश नहीं है जो कुलुस्सियों 1:21 के रोगनिदान (diagnosis ) का तिरस्कार करते हैं। वह कहता है, तुम तो “अलग किए हुए और मन से बैरी थे।”
आप ऐसे कितने लोगों को जानते हैं जो यह कहते हैं कि “बिना परमेश्वर के अनुग्रह के, मैं मन से परमेश्वर का बैरी हूँ”? लोग विरले ही ऐसा कहते हैं कि “मैं परमेश्वर से घृणा करता हूँ।” तो फिर पौलुस के यह कहने का क्या अर्थ है कि ख्रीष्ट के लहू द्वारा उनका मेल-मिलाप होने से पहले लोग परमेश्वर के प्रति “मन से बैरी” हैं?
मेरे विचार से उसका अर्थ यह है कि यहाँ सच्चे परमेश्वर के प्रति वास्तव में बैर है, परन्तु लोग सच्चे परमेश्वर के विषय में सोचते नहीं हैं। वे कल्पना करते हैं कि परमेश्वर वैसा ही होगा जैसा उनको अच्छा लगे, जिसमें वे कदाचित् ही ऐसी किसी भी सम्भावना को सम्मिलित करते हैं कि वास्तव में परमेश्वर के सामने उनकी स्थिति ठीक नहीं है।
किन्तु उस परमेश्वर के विषय में विचार करें जो वास्तव में अस्तित्व में है—ऐसा परमेश्वर जो सब कुछ पर सम्प्रभु है, यहाँ तक अस्वस्थता और आपदाओं पर भी—पौलुस कहता है कि हम सब उसके प्रति बैरी थे। मन ही मन, हम उसके परम सामर्थ्य और अधिकार से घृणा करते थे।
हम सब का उद्धार इस अद्भुत सत्य के कारण ही है कि ख्रीष्ट की मृत्यु ने वह अनुग्रह प्राप्त किया है जिसके द्वारा परमेश्वर ने हमारे हृदयों को जीत लिया और हमें उस जन से प्रेम करने के योग्य बनाया जिससे हम कभी घृणा करते थे।
बहुत से लोग अभी भी सीख रहे हैं कि वे परमेश्वर के बैरी न हों। यह अच्छी बात है कि परमेश्वर महिमामय रीति से धीरजवन्त है।