जब तर्कशक्ति विद्रोह की सेवक हो जाए 

June 10, 2025

जब तर्कशक्ति विद्रोह की सेवक हो जाए 

आलसी मनुष्य कहता है, “बाहर शेर खड़ा है, गलियों में तो मैं मारा जाऊँगा !” (नीतिवचन 22:13)

मैंने यह अपेक्षा नहीं की थी कि नीतिवचन यह कहेगा। मैं तो अपेक्षा करता कि वह यह कहता, “कायर मनुष्य कहता है, ‘बाहर शेर खड़ा है, गलियों में तो मैं मारा जाऊँगा!’” परन्तु यह “आलसी मनुष्य” कहता है, न कि “कायर मनुष्य।” इसलिए यहाँ नियन्त्रित करने वाली भावना आलस्य है, डर नहीं।

परन्तु आलस्य का गलियों में शेर के खड़े होने के जोखिम से क्या सम्बन्ध है? हम ऐसा नहीं कहा करते हैं, “यह मनुष्य अपना कार्य करने के लिए बहुत आलसी है क्योंकि बाहर एक शेर खड़ा है।”

बात यह है कि आलसी मनुष्य कार्य न करने को उचित ठहराने के लिए काल्पनिक परिस्थितियों का निर्माण करता है और इस प्रकार वह ध्यान को अपने आलस्य के अवगुण से हटाकर शेरों के होने के जोखिम पर लगाता है। कोई भी उसको केवल इस कारण से कि वह आलसी है दिन भर घर पर रहने की स्वीकृति नहीं देगा। परन्तु वे उसे छूट दे सकते हैं यदि गली में शेर खड़ा हो।

इससे हमें एक बड़ी बाइबलीय सीख लेनी चाहिए कि हमारे हृदय अपनी इच्छाओं को सही ठहराने के लिए हमारे मस्तिष्कों का उपयोग करते हैं। अर्थात्, हमारी सबसे गहरी इच्छाएँ हमारे मस्तिष्कों के सचेतन कार्य करने से पहले होती हैं और वे मस्तिष्क को इस रीति से बातों को समझने के लिए प्रभावित करती हैं जो उन इच्छाओं को सही ठहराए, भले ही वे त्रुटिपूर्ण हों।

आलसी मनुष्य यही कर रहा है। उसकी इच्छा है कि वह घर में रहे और कार्य न करे। घर में रहने के लिए कोई अच्छा कारण नहीं है। इसलिए, वह क्या करता है? क्या वह अपनी बुरी इच्छा — अर्थात् अपने आलस्य पर प्रबल होता है? नहीं, वह अपनी इच्छा को उचित ठहराने के लिए अपने मस्तिष्क में कृत्रिम  परिस्थितियों को बनाता है।

यीशु ने कहा, “ज्योति जगत में आ चुकी है, परन्तु मनुष्यों ने ज्योति की अपेक्षा अन्धकार को अधिक प्रिय जाना, क्योंकि उनके कार्य बुरे थे” (यूहन्ना 3:19)। हम अन्धकार से इसलिए प्रेम करते हैं जिससे कि हम गुप्त में वही करते रहें जो हम चाहते हैं। इस स्थिति में, मस्तिष्क अन्धकार का निर्माणशाला बन जाता है — अर्ध-सत्यों, द्वि-अर्थता, कुतर्क, छल, और झूठ के एक झरने के समान — जिससे कि हृदय की बुरी इच्छाएँ प्रकट होने और नाश होने से बची रहें।

इस बात पर ध्यान दें और बुद्धिमान बनें।

साझा करें
जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

Articles: 407

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  1. जब तर्कशक्ति विद्रोह की सेवक हो जाए  (Current)

    जॉन पाइपर | June 10, 2025
  2. मृत्यु का पूर्वाभ्यास (Rehearsal)

    जॉन पाइपर | December 31, 2025
  3. तैयार और सशक्त किए गए

    जॉन पाइपर | December 30, 2025
  4. एक भयानक गन्तव्य

    जॉन पाइपर | December 29, 2025
  5. महिमा ही लक्ष्य है

    जॉन पाइपर | December 28, 2025
  6. आपका लक्ष्य क्या है?

    जॉन पाइपर | December 27, 2025
  7. आपदा के विषय में कैसे विचार करें

    जॉन पाइपर | December 26, 2025
  8. क्रिसमस के तीन उपहार

    जॉन पाइपर | December 25, 2025
  9. क्रिसमस के दो उद्देश्य

    जॉन पाइपर | December 24, 2025
  10. परमेश्वर का अवर्णनीय उपहार

    जॉन पाइपर | December 23, 2025
  11. कि तुम विश्वास करो

    जॉन पाइपर | December 22, 2025