परमेश्वर क्यों हम पर कोविड-19 जैसी महामारी को आने देता है?

आज सम्पूर्ण विश्व कोविड-19 अर्थात् कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी से त्रस्त है। हमारा भारत देश इसकी घोर चपेट में है, प्रत्येक राज्य में लॉकडाउन किया जा रहा है, ताकि कोरोना संक्रमण पर रोकथाम किया जा सके। फिर भी देश में लाखों लोग मृत्यु के मुंह में समाए जा रहे हैं। लोग अपने प्रियजनों को खो रहे हैं। विश्वासी और अविश्वासी सब लोग एक ही प्रश्न पूछ रहे हैं कि अंततोगत्वा (आखिरकार), परमेश्वर ने क्यों हम पर कोविड-19 की महामारी को आने दिया? हो सकता है कि आपने भी इस प्रश्न को पूछा हो और इसके उत्तर को खोज रहे हों। तो आइए हम 4 कारणों या उद्देश्यों पर विचार करें कि परमेश्वर ने क्यों हम पर कोरोना वायरस की महामारी को आने दिया है:

1. जीवन और मृत्यु पर अपनी सम्प्रभुता को प्रदर्शित करने के लिए
हमारा परमेश्वर सृष्टिकर्ता परमेश्वर है। उसने सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की है। उसने ही हमें और आपको बनाया है, वही हमें जीवन देता है, वह समस्त चीजों को सम्भाले हुए है (भजन 100:3, यशायाह 43:7, कुलुस्सियों 1:16-17, प्रकाशितवाक्य 4:11)। वह हमारे जीवन पर और सम्पूर्ण सृष्टि पर सम्प्रभु परमेश्वर है। क्योंकि वह सब कुछ का सृष्टिकर्ता परमेश्वर है इसलिए उसके पास सम्पूर्ण सृष्टि पर अधिकार है।

जीवन देने और जीवन को ले लेने का अधिकार तो केवल बाइबल के परमेश्वर ही के पास है, जिसने हमें बनाया है, वही सब कुछ पर अधिकार रखता है।

इस महामारी को परमेश्वर ने हमारे ऊपर इसलिए आने दिया ताकि हम आत्मनिर्भर लोगों और देशों को दर्पण दिखाए कि जीवन और मृत्यु का अधिकार केवल परमेश्वर के पास है। जीवन और मृत्यु का अधिकार विज्ञान, आधुनिक तकनीकी, चिकित्सकों के पास नहीं है। परन्तु जीवन देने और जीवन को ले लेने का अधिकार तो केवल बाइबल के परमेश्वर ही के पास है, जिसने हमें बनाया है, वही सब कुछ पर अधिकार रखता है। “यहोवा मारता और जिलाता है, वही अधोलोक में पहुंचाता है और ऊपर भी उठाता है”(1 शमूएल 2:6 अय्यूब 1:21)। परमेश्वर विभिन्न प्रकार की महामारियों के द्वारा हम मनुष्यों की नश्वरता को तथा वास्तविक स्थिति को दिखाता है। अपनी सम्प्रभुता को मनुष्यों के जीवन पर भयंकर आपदाओं के द्वारा दृष्टिगोचर करता है।

इस महामारी से घबराने की आवश्यकता नहीं है, बस एक बात स्मरण रखें कि प्रभु के पास “मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां ” हैं (प्रकाशितवाक्य 1:18)। यदि हमारा प्रभु पृथ्वी पर जीवन देता है, तो हम जीते हैं, और यदि वह हमें अपने घर बुला ले, तो कोई भी हमें रोक नहीं सकता है। एक प्रभु के सेवक जे. सी. राइल ने कहा कि, “संसार की समस्त शक्तियां मेरे जीवन को तब तक नहीं छीन सकती, जब तक कि परमेश्वर अनुमति न दे। पृथ्वी के सारे चिकित्सक इसे जीवित नहीं रख सकते, जब परमेश्वर मुझे बुला ले।” इसलिए सम्प्रभु परमेश्वर पर ही भरोसा करें।

2. लोगों को अपने निकट लाने के लिए
परमेश्वर विपत्तियों को हमारे ऊपर इसलिए भी आने देते हैं कि हम भौतिक चीजों से हटकर उत्सुकता के साथ परमेश्वर को खोजें। परमेश्वर सब कुछ को अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए और हमारी भलाई के लिए निर्धारित करता है। क्योंकि परमेश्वर ने ही सब कुछ  को बनाया है, और चाहे वह स्वर्ग की हो या पृथ्वी की। वही स्वर्ग और पृथ्वी का प्रभु है। वही जीवन और श्वास और सब कुछ को प्रदान करने वाला है। उसने समस्त बातों को निर्धारित और निश्चित कर दिया है ताकि मनुष्य परमेश्वर को ढूंढें, हो सकता है कि वे उसे टटोल कर पाएं, यद्यपि वह हम से किसी से दूर नहीं (प्रेरितों के काम 17:24-26)।

परमेश्वर समस्त सृष्टि, समस्त विपत्ति पर सम्प्रभु है। वह विपत्तियों को अनुमति देता है, ताकि हम मनुष्य इस बात को समझ जाएं कि बिना परमेश्वर के अनुग्रह व दया के हम असहाय व निर्बल हैं। प्राय: विपत्तियां या महामारियाँ परमेश्वर की महानता को दिखाती हैं तो दूसरी ओर मनुष्य की वास्तविकता को दिखाती हैं, कि हम क्षणिक व नश्वर हैं। हम नियंत्रण में नहीं हैं, केवल प्रभु जी ही नियंत्रण में हैं। वही चीजों को नियंत्रित करते हैं।

परमेश्वर इन विपत्तियों को आने की अनुमति देते हैं अपने उद्देश्यों को और योजनाओं को पूर्ण करने के लिए। परमेश्वर इन महामारियों के द्वारा हमें नम्र बनाते हैं, कि हम सब कुछ से पराजित होकर अन्ततः प्रभु के पास जाएं, क्योंकि वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है, जो आकाश और पृथ्वी का सृजनहार है, इसलिए आइए हम उस पर भरोसा रखें, सहायता के लिए उसे पुकारें।

परमेश्वर इन महामारियों के द्वारा हमें नम्र बनाते हैं, कि हम सब कुछ से पराजित होकर अन्ततः प्रभु के पास जाएं, क्योंकि वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है, जो आकाश और पृथ्वी का सृजनहार है,

3. उद्धारकर्ता की आवश्यकता को दिखाने के लिए
इस पतित संसार में सबसे बड़ी महामारी कोरोना वायरस नहीं है, परन्तु पाप की महामारी है, जो अनन्तकाल तक के लिए मृत्यु को प्रदान करती है। आज इस प्राणघातक महामारी से सम्पूर्ण मानवता संक्रमित है। कोरोना रूपी संसारिक और शारीरिक महामारी तो केवल हमारे शरीर को नाश कर रही है, परन्तु पाप रूपी महामारी मनुष्य की आत्मा और शरीर दोनों को नाश करती है। इसका परिणाम नरक में, परमेश्वर के प्रचण्ड और पवित्र प्रकोप के अधीन अनन्तकाल तक भोगना पड़ता है। परमेश्वर का धन्यवाद हो कि उसने इस बड़ी महामारी के परिणाम और प्रभाव से बचने के लिए एक उपाय को ख्रीष्ट यीशु के रूप में दे दिया है। हमारे पापों की कीमत को चुकाने के लिए क्रूस पर बहाया गया ख्रीष्ट का लहू ही पाप की महामारी के संक्रमण से, उसके परिणाम और प्रभाव से अनन्तकाल तक बचाता है।

परमेश्वर हमारे ऊपर विपत्तियों को इसलिए आने देते हैं क्योंकि हम पापी हैं जो पाप से शापित सृष्टि में रहते हैं। जहां पर सम्पूर्ण सृष्टि पाप के प्रभाव से और उसके शाप से लिप्त है। रोमियों 8:22 पद हमें स्पष्ट रूप से बताता है कि “सम्पूर्ण सृष्टि मिलकर प्रसव-पीड़ा से अभी तक कराहती और तड़पती है” ये महामारियाँ हमें दिखाती हैं कि एक यीशु ख्रीष्ट जो उद्धारकर्ता है उसकी आवश्यकता है। हमें और इस सम्पूर्ण सृष्टि को विनाश के दासत्व से मुक्त होने की आवश्यकता है। “सृष्टि स्वयं भी विनाश के दासत्व से मुक्त होकर परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतन्त्रता प्राप्त करने की आवश्यकता है”(रोमियों 8:21)। केवल जब ख्रीष्ट पुनः आएंगे तो इसे नई सृष्टि बना देंगे।

इसलिए, प्रिय भाई-बहनो, प्रभु यीशु ख्रीष्ट पर उद्धार को पाने के लिए, पापों की क्षमा हेतु विश्वास कीजिए। क्योंकि ख्रीष्ट हमारे पापों के लिए मारा गया, गाड़ा गया और मृतकों में से जी उठा। यीशु ख्रीष्ट में हमारे पास जीवित आशा है। जो लोग जी उठे उद्धारकर्ता और सर्वोच्च प्रभु में विश्वास करते हैं, उनके लिए सब बातें मिलकर भलाई को उत्पन्न करती हैं क्योंकि वचन कहता है कि “… जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं उनके लिए वह सब बातों के द्वार भलाई को उत्पन्न करता है”(रोमियों 8:28)। 

4. स्वर्गीय वस्तुओं पर हमारे मन को केन्द्रित करने के लिए
परमेश्वर विपत्तियों को हमारे ऊपर इसलिए भी आने देते हैं ताकि हमें यह स्मरण दिलाए कि हम एक अस्थायी, अनिश्चितताओं के संसार में रहते हैं। सामान्य और स्वाभाविक रूप से हम अपनी सुरक्षा इस संसार में खोजने लगते हैं, हम भूल जाते हैं कि परमेश्वर के बिना हमें वास्तविक सुरक्षा नहीं मिल सकती है। हम इस संसार के धन, संसार की वस्तुओं, संसार की सुविधाओं, भौतिक सामर्थ, भौतिक तकनीकी आदि के नशे में चूर हो जाते हैं, और इन्हीं बातों में मन लगाने लगते हैं, फिर उन्हीं के लिए जीवन व्यतीत करने लगते हैं। इसलिए सम्प्रभु परमेश्वर हमारे ऊपर विपत्तियों को आने देते हैं ताकि वह उन विपत्तियों के द्वारा हमारे मन को, हमारी दृष्टि को स्वर्गीय वस्तुओं की ओर केन्द्रित करे, जो स्थायी हैं, जो आत्मिक हैं, जो अनन्तकाल तक की हैं, जो ख्रीष्ट यीशु में हमें अनन्त काल के लिए सुरक्षा प्रदान करती हैं, उन आत्मिक व स्वर्गीय बातों पर मन लगाएं। 

इसलिए प्रभु इन विपत्तियों के द्वारा हमें निर्देश देते हैं कि “उन वस्तुओं की खोज में लगे रहो जो स्वर्ग की हैं, जहां यीशु विद्यमान है, परमेश्वर की दाहिनी ओर विराजमान है, अपना मन पृथ्वी पर की नहीं, परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर लगाओ”(कुलिस्सियों 3:1-2)। हम पतित और अस्थायी संसार से हटकर अपनी आंखें स्वर्गीय वस्तुओं पर लगाएं। हम विभि्न्न प्रकार की बाधाओं को दूर करते हुए ख्रीष्ट पर दृष्टि लगाए रहें और अपने विश्वास रूपी दौड़ को पूर्ण करें चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो, चाहे हमारे ऊपर दु:ख आए, चाहे हमारे ऊपर सताव आए, चाहे हमारे ऊपर महामारी आए। इन सब के मध्य में मुख्य बात यह है कि हम “विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर अपनी दृष्टि लगाए रहें”( इब्रानियों 12:1-2)।  

साझा करें
रोहित मसीह
रोहित मसीह

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

Articles: 36

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *