परमेश्वर अपने प्रेम को हमारे प्रति इस प्रकार प्रदर्शित करता है कि जब हम पापी ही थे ख्रीष्ट हमारे लिए मरा। (रोमियों 5:8)
ध्यान दें कि “प्रदर्शित करता है” को वर्तमान काल में लिखा गया है और “मरा” को भूत काल में लिखा गया है। “परमेश्वर अपने प्रेम को हमारे प्रति इस प्रकार प्रदर्शित करता है कि जब हम पापी ही थे ख्रीष्ट हमारे लिए मरा ।”
वर्तमान काल का अर्थ है कि यह प्रदर्शन एक ऐसा कार्य है जो आज भी होता रहता है। और कल भी होता रहेगा।
भूत काल में “मरा” का अर्थ है कि ख्रीष्ट की मृत्यु एक बार सब के लिए हो गयी है और दोहराई नहीं जाएगी। “ख्रीष्ट भी सब के पापों के लिए एक ही बार मर गया, अर्थात् अधर्मियों के लिए धर्मी जिस से वह हमें परमेश्वर के समीप ले आए” (1 पतरस 3:18)। क्या ख्रीष्ट की मृत्यु, जब वह हुई, परमेश्वर के प्रेम का प्रदर्शन नहीं था? और क्या यह प्रदर्शन भूत काल में नहीं हुआ?
मैं सोचता हूँ कि इसको समझने की कुँजी कुछ पद पहले दी गई है। पौलुस ने अभी कहा कि “क्लेश में धैर्य उत्पन्न होता है, तथा धैर्य से खरा चरित्र, और खरे चरित्र से आशा उत्पन्न होती है; आशा से लज्जा नहीं होती” (रोमियों 5:3-5)।
दूसरे शब्दों में, परमेश्वर हमारे जीवन में जो भी लाता है, उसका लक्ष्य आशा है। वह चाहता है कि हम सभी क्लेशों में दृढ़तापूर्वक आशापूर्ण हों।
परन्तु हम कैसे हो सकते हैं?
पौलुस अगले वाक्य में उत्तर देता है: “क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है, उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में उण्डेला गया है” (रोमियों 5:5)। परमेश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में उण्डेला गया है। इस क्रिया के काल का अर्थ है कि परमेश्वर का प्रेम भूत काल में हमारे हृदयों में उण्डेला गया था (हमारे हृदय-परिवर्तन के समय) और वह अभी भी उपस्थित और क्रियाशील है।
परमेश्वर ने हमारे पापों के लिए मरने हेतु अपने पुत्र को देने के द्वारा अपने प्रेम को भूत काल में अवश्य दिखाया (रोमियों 5:8)। परन्तु वह जानता है कि यदि हम में धैर्य और खरा चरित्र और आशा होनी चाहिए, तो इस भूत काल के प्रेम को एक वर्तमान की वास्तविकता के रूप में (आज और कल) अनुभव किया जाना चाहिए।
इसलिए, उसने उसे न केवल कलवरी पर प्रदर्शित किया; वरन् वह अब हमारे हृदयों में आत्मा के द्वारा उसे प्रदर्शित करता रहता है। यह इसे हमारे हृदयों की आँखों को खोलने के द्वारा करता है जिससे कि हम क्रूस की महिमा को और उस आश्वासन को चख सकें और देख सकें कि ख्रीष्ट यीशु में परमेश्वर के प्रेम से हमें कुछ भी अलग नहीं कर सकता है (रोमियों 8:38-39)।