Profit Gain AI Profit Method AI Crypto Core Profit

हम सब ‘क्रोध’ से भली-भॉति परिचित हैं। जब किसी व्यक्ति को किसी बात पर क्रोध आ जाता है, तो उसका प्रभाव इतना भयंकर होता है कि वह व्यक्ति अपने जीवन को प्रभावित करता है, और साथ ही साथ उसके सम्पर्क में आने वालों का भी जीवन कष्टमय हो जाता है। कुछ लोग इसके ज्यादा शिकार हैं, और क्रोधित होना उनके पापमय स्वभाव को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है। बहुत सारे लोग क्रोध को बाहर नहीं दिखाते हैं, तथा कुछ लोग कुछ ज्यादा ही उग्र हो जाते हैं। किन्तु कभी न कभी, किसी बात पर, किन्ही कारणों से हम क्रोधित होते हैं।

क्रोध का क्या कारण है: क्रोध हमारे हृदय की वास्तविकता को प्रकट करता है। जब व्यक्ति क्रोध में होता है तो वह आत्मसंयम को खोने के द्वारा लोगों को चोट पहुँचाता है। बाद में भले ही व्यक्ति इस बात को लेकर खेदित होता है। परन्तु एक बुद्धिमान व्यक्ति स्वयं पर नियन्त्रण रखेगा, चाहे वह क्रोध में भी क्यो न हो! मनुष्य के जीवन से सम्बन्धित सभी समस्याओं के स्रोत के बारे में पवित्रशास्त्र स्पष्ट उत्तर देता है। मनुष्य के जीवन में होनें वाले पापों को हृदय नियन्त्रित करता है। हम सब पाप में ही जन्म लेते हैंं। परमेश्वर का वचन स्पष्ट करता है कि मनुष्य ने परमेश्वर के विरूद्ध पाप किया है इस कारण हम सब पापी हैं। हमारे हृदय से पाप निकलता है इसीलिए क्रोध जैसे प्रभाव को भी हम अपने जीवन में देखते हैं। जब क्रोध घमण्ड से प्रेरित होता है तो यह पाप करने की ओर बढ़ता है। (याकूब 1:20) मनुष्य के मुँह से निकले हुए शब्द महत्व रखते हैं किन्तु जब ये शब्द क्रोध से भरे होते हैं तो यह उसके समान होती है जैसे कि सर्पों का विष मुँह में भरा हो (रोमियो 3:13-14)। कई बार हम अपने क्रोध का कारण, किसी अन्य व्यक्ति, परिस्थिति को बताते हैं किन्तु वास्तव में हमारे अन्दर का पाप दिखता है, जो वास्तव में हमारे हृदय में है। हो सकता हो कि हम कलीसिया में जब आते हैं तो क्रोध न दिखाते हों, किन्तु जब आप अपने परिवार में हैं, तब अपनी पत्नी, बच्चों के साथ प्रतिदिन का व्यवहार प्रकट करता है कि आप क्रोध करते हैं या नहीं! 

क्रोध भयंकर परिणाम लेकर आता है: पाप से प्रभावित क्रोध कभी भी परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला परिणाम नहीं लाता है। कुछ लोगों के अन्दर क्रोध का प्रभाव इतना अधिक होता है कि वे प्रत्येक स्थान पर अपनी मूर्खता को क्रोध द्वारा प्रदर्शित करते रहते हैं। मनुष्य के क्रोध की वजह से मनुष्य स्वयं में बहुत ही परेशान होता है। व्यक्ति का क्रोध के कारण मानसिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ता है। वह इस स्थिति में अन्य लोगों के जीवन पर प्रभाव डालता है। अपने क्रोध को काबू में न कर पानें की स्थिति में व्यक्ति दूसरों पर अपने क्रोध के कारण चोट पहुँचाता (शब्दों एवं कार्यों से) है। इसका प्रभाव उसके व्यक्तिगत जीवन, परिवारिक जीवन एवं कलीसियाई जीवन तथा कार्य-स्थल पर भी पड़ता है। लोगों के साथ सम्बन्धों में भी इसका भयंकर प्रभाव पड़ता है और लोग व्यक्ति से दूर भागने लगते हैं। आत्मसंयम की कमी होने के कारण व्यक्ति अपनी भावनाओं को नियन्त्रित नहीं कर पाता है। और यह स्पष्ट होता है कि उसके जीवन में पवित्र आत्मा के फल प्रदर्शित नहीं होते हैं! 

क्रोध पर विजय सम्भव है: यदि हम और आप क्रोध से संघर्ष कर रहे हैं, तो अभी भी हमारे पास समय है। हम स्वयं को जाँचते हुए इन बातों को लागू करें।

यीशु की ओर दृष्टि करें: हम क्रोध से प्राय: संघर्ष करते हैं तो परमेश्वर की सहायता माँगे। वह आपकी अगुवाई करेगा कि आपको यीशु ख्रीष्ट की समानता में बना सके। क्योंकि यीशु ख्रीष्ट नें हमारे सब पापों से छुड़ाने के लिए क्रूस पर हमारे बदले में बलिदान हुए हैं। वह हमारे क्रोध से छुटकारा दिलाने के लिए पर्याप्त है। हम उस पर निर्भर रहेंगे और वह हमें धीरे धीरे अपने स्वभाव में बदलेगा। 

पश्चाताप करिए: जब आप क्रोधित होते हैं और कुछ गलत कर बैठते हैं तो आपको आवश्यकता है कि आप परमेश्वर से क्षमा माँगे और उस व्यक्ति से क्षमा माँगे जिस पर आपने क्रोध का व्यवहार दिखाया है। एक ख्रीष्टीय के तौर पर हमें अपने जीवन में आत्मा का फल प्रदर्शित करना है किन्तु जब हम क्रोध प्रकट करते हैं तो हम ख्रीष्ट को सही रीति से प्रदर्शित करने में असफल होते हैं। हम बहाना बनाकर या दूसरों पर दोष लगाकर पाप को छोटा नहीं कर सकते हैं। वास्तव में यदि हम क्रोध से संघर्ष करते हैं तो हमें पश्चाताप करने की आवश्यकता है। 

वचन से स्वयं को भरें: परमेश्वर के वचन का अध्ययन करें। क्योंकि यह आपको जीवन जीनें में अगुवाई करेगा। इसलिए स्वयं को वचन से भरिए। यदि आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो आपके पास अभी भी आशा है। परमेश्वर आपके इस स्वभाव को बदलने में सहायता करेगा। हमें परमेश्वर के वचन की आवश्यकता है, जिससे कि हम स्वयं की स्थिति को पहचान सकें और अपने जीवन में पवित्र आत्मा के द्वारा पाप के स्वभाव से छुटते चले जाएं।

विश्वासियों की सहायता लें: हमें प्रभु से प्रार्थना करने, वचन से स्वयं को भरने एवं साथ ही अपने साथ रहने वाले भाई/बहनों की सहायता लेने की आवश्यकता है जो प्रतिदिन आपको देखते हैं और आपके स्वभाव से भली-भॉति परिचित हैं। अपनी समस्याओं को उनसे साझा करें। और उनके प्रति जवाबदेही हों! 

अत: ख्रीष्टीय होने के नाते हम जानते हैं कि यीशु ने हमारे सब पापों को क्षमा कर दिया है परन्तु इस संसार में हम अभी भी पाप के प्रभाव में हैं। और प्रतिदिन हम क्रोध जैसे पाप का सामना करते हैं। इसलिए आइये हम अपने जीवन को जाँचे, और क्रोध में हमने जिन लोगों के साथ बुरा व्यर्वहार किया है उनसे क्षमा माँग और पवित्र आत्मा की सहायता से क्रोध पर विजय पाएँ। क्रोध पर नियन्त्रण एक ही दिन में नहीं होगा किन्तु प्रभु की सहायता से हम इस पर धीरे-धीरे विजयी होते जाएंगे। 

साझा करें
नीरज मैथ्यू
नीरज मैथ्यू
Articles: 58

Special Offer!

ESV Concise Study Bible

Get the ESV Concise Study Bible for a contribution of only 500 rupees!

Get your Bible