परमेश्वर, मनुष्य और महामारियां

आज विश्व कोरोना वायरस नामक वैश्विक महामारी से जूझ रहा है। हमारा देश भारत भी उससे अछूता नहीं है। इस महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा बेहद प्रयास किए जा रहे हैं। उसी के पहले महत्वपूर्ण कदम में 21 दिन का लॉकडाउन 14 अप्रैल तक लागू हुआ था। फिर इसे और 19 दिन के लिए आगे बढ़ा दिया गया है, और हम नहीं जानते कि यह वास्तव में कब तक रहेगा। जैसे कि आप भली-भांति जानते हैं, इन दिनों में कोरोना वायरस के कारण हमारे देश में कई सारी सेवाएं बंद हैं। स्कूल, कॅालेज, धार्मिक स्थल, सामाजिक कार्यक्रम, नैशनल और इंटरनैशनल एयरलाइंस बंद कर दिए गये हैं, और मनोरंजन केन्द्र भी बंद कर दिए गए हैं। देश की सीमाएं और राज्य की सीमाएं भी बंद हैं। शहरों में काम बंद हो गए हैं। यहां तक कि एक दूसरे से हाथ मिलाना भी बंद है। नाक, कान छूना भी बंद है।

लेकिन क्या वास्तव में सब कुछ बंद है? यदि हम परमेश्वर के वचन को ध्यान में रखते हुए सोचें, तो हम पाएंगे कि सब कुछ बंद नहीं है। यह महामारी हमें सुसमाचार के बारे में याद दिलाती है। यह महामारी हमें सुसमाचार की सच्चाइयों के बारे में बताती है। आइए हम इन कीमती सत्यों पर विचार करें, जो कोरोना वायरस महामारी के समय, या किसी भी महामारी के समय भी सच रहेंगे।

पहला,  याद रखें कि बाइबल का परमेश्वर सार्वभौमिक परमेश्वर है।
आज लोग इस महामारी से डरे हुए हैं, परेशान हैं, निराशा में हैं। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों? क्योंकि वे परमेश्वर को नहीं जानते हैं। वे नहीं जानते हैं कि परमेश्वर नियंत्रण में है। वे परमेश्वर की महानता के बारे में नहीं जानते हैं। बाइबल बताती है, कि परमेश्वर स्वर्ग पर विराजमान है। वह देश-देश पर राज्य करता है। वह सब चीज़ों पर नियंत्रण करता है। जो कुछ वह चाहता है, वह करता है (भजन संहिता 115:3; दानिय्येल 4:35)।

उसके पास सारा अधिकार है। वह बीमारी पर, लोगों पर, महामारियों पर, मृत्यु पर, प्रकृति पर तथा सब राष्ट्रों पर नियंत्रण करता है। वह कोरोना वायरस पर भी नियंत्रण रखता है। क्या आप जानते हैं कि वर्तमान में परमेश्वर क्या कर रहा है ? वर्तमान में परमेश्वर अपने राज्य का निर्माण कर रहा है।

दूसरा, याद रखें कि मनुष्य अपने आपको बचाने में असमर्थ तथा असहाय है।
कोरोना वायरस के कारण आज विज्ञान भी मानव के सामने असहाय है। कोरोना वायरस से उपजी कोवि़ड-19 महामारी को लेकर सबक यही है कि इसके आगे मनुष्य असहाय है, लाचार है। जब मनुष्य ने पृथ्वी पर आधिपत्य स्थापित करने का दावा किया तब कोरोना वायरस ने मनुष्य की हैसियत (औकात) दिखा दी तथा मानवीय क्षमताओं की पोल खोलकर रख दी है। एक आंखों को न दिखने वाले वायरस ने पूरी दुनिया को हिला दिया है!

कोरोना वायरस का संकट आज हमें इस सीख को अपनाने का संदेश देता है कि मनुष्य अपने आप को पापों से बचा नहीं सकता है। मनुष्य के अन्दर कोई क्षमता नहीं है कि वह अपने आप को पापों से बचा सके क्योंकि वह पापी है। मनुष्य परमेश्वर से प्रेम नहीं कर पाता, क्योंकि वह उससे घृणा करता है। वह परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने में असमर्थ है। वह परमेश्वर को प्रसन्न करने में असमर्थ है। पतित मनुष्य परमेश्वर से प्रेम नहीं कर सकता। पतित मनुष्य परमेश्वर की आज्ञा को नहीं मान सकता। पतित मनुष्य परमेश्वर को जान नहीं सकता। पतित मनुष्य स्वयं को सुधार नहीं सकता। वास्तव में मनुष्य की दशा बहुत ही दयनीय है और सोचनीय है (रोमियों 3:10-19)। वह अपने प्रयासों से अपने आपको बचा नहीं सकता है। आज मानव को बचाव की आवश्यकता है। इसलिए आज मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता पापों की क्षमा लेकिन हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता पापों की क्षमा क्यों है?

तीसरा, याद रखें कि आज मनुष्य सबसे बड़े वायरस, पाप के वायरस से ग्रसित है।
आज कुछ लोग कहते हैं कि मनुष्य की वास्तविक समस्या सामाजिक समस्या है, कुछ लोग कहते हैं कि प्रकृति की समस्या है। और कुछ लोग कहते हैं कि आर्थिक समस्या है। आखिर मनुष्य की वास्तविक समस्या क्या है ? क्या कोरोना वायरस मनुष्यों की वास्तविक समस्या है?

आज मनुष्य की वास्तविक समस्या कोरोना वायरस नहीं है। यदि हम परिस्थिति को देखें, तो हम पाते हैं कि सब लोग कोरोना वायरस से ग्रसित नहीं हैं। सब लोग पॉज़िटिव नहीं पाए गए हैं। मनुष्य की वास्तविक समस्या तो उसकी आत्मिक अवस्था है। प्रत्येक मनुष्य एक एैसा संक्रमण से ग्रसित है जो उसके शरीर, प्राण, आत्मा में ज़हर जैसा फैला हुआ है। यह संक्रमण पाप का संक्रमण है। बाइबल बताती है कि “सबने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं ” (रोमियों 3:23)। बाइबल यह भी बताती है कि मनुष्य पाप में मरा हुआ है (इफिसियों 2:1)।  वह एक चलती फिरती लाश है। इसलिए, एक पाप से लिप्त मनुष्य परमेश्वर को जान नहीं सकता।

पाप के संक्रमण से ग्रसित होने के कारण मनुष्य के जीवन में आनन्द और संतुष्टि नहीं है। बल्कि वह निराशाओं में, अशांति में है। बाइबल बताती है,  इस कारण परमेश्वर का प्रकोप हम पापी मनुष्यों पर बना रहता है (यूहन्ना 3:36)। इसलिए आज मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता पापों की क्षमा है। कोरोना वायरस के इलाज से भी बढ़कर, हमें पापों की क्षमा की आवश्यकता है। लेकिन हमें पापों की क्षमा कैसी मिलती है?

चौथा, याद रखें कि कोरोना से बढ़कर परमेश्वर की करूणा है।
हमें पापों की क्षमा इसलिए मिलती है क्योंकि बाइबल का परमेश्वर जो कोरोना वायरस पर सार्वभौमिक है, वह करुणामयी परमेश्वर है। और करुणा में होकर लगभग दो हज़ार वर्ष पूर्व संसार का सृष्टिकर्ता परमेश्वर मनुष्य बनकर इस संसार में आ गया (यूहन्ना 1:14)। और उसने एक सिद्ध धार्मिकता का जीवन जिया। उसने व्यवस्था के सारी मांगों को पूरा किया। उसने अपने जीवन के प्रत्येक क्षण में जो कुछ भी किया, सब परमेश्वर की महिमा के लिए किया। हम पापियों के बदले में, हमारे स्थान पर, हमारी जगह पर प्रभु यीशु मसीह क्रूस पर मारा गया, गाड़ा गया, और तीसरे दिन मुर्दों में से जी उठा (1 कुरिन्थियों 15:3-4)। जो पाप का दण्ड हमें मिलने वाला था, जो पाप की सजा हमें मिलनी थी, प्रभु यीशु मसीह ने स्वयं अपने ऊपर ले लिया। बाइबल बताती है, “जो पाप से अनजान था, उसी को उसने हमारे लिए पाप ठहराया कि हम उसमें परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएं ” (2 कुरिन्थियों 5: 21)। और “परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण भेदा गया, वह हमारे अधर्म के कामों के लिए कुचला गया, यहोवा ने हम सबके अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया ” (यशायाह 53:5-6)।

यीशु मसीह ने हमारे पापों के लिए बड़ी कीमत को चुकाया है। बाइबल बताती है, “जब हम पापी ही थे, मसीह हमारे लिए मरा ” (रोमियों 5: 8)। पवित्र शास्त्र बाइबल में लिखा है, “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करें वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए ” (यूहन्ना 3:16)।

पांचवा, याद रखें कि केवल प्रभु यीशु मसीह में ही आशा है न कि इस संसार में।
यह महामारी हमें याद दिलाती है, कि हमारा जीवन क्षण भंगुर, अस्थायी और अनिश्चित है। इस संसार में कोई आशा नहीं। कोरोना वायरस की अनिश्चितता और इसकी वैक्सीन दवा की अनुपलब्धता देखते हुए संसार के लोग भयभीत और हताश हो गए हैं। और यह दुख की बात है कि दुनिया भर में कुछ लोगों ने डर और हताशा के कारण आत्महत्या भी कर ली है।

ऐसे निराशा के समय में भी बाइबल बताती है कि हमारे पास एक आशा है। यीशु मसीह हम को लेने के लिए आएगा। और वह हमें वहां ले जाएगा जहां पर कोई महामारी नहीं होगी, न कोई वायरस होगा। बाइबल बताती है कि आशा में हमारा उद्धार हुआ है (रोमियों 8: 24)। परमेश्वर का वचन यह भी कहता है, न केवल हमारे पास आशा है परन्तु हमारे पास एक जीवित आशा है (1 पतरस 1:3-4)। याद रखें, हमारा उद्धार हो चुका है, हमारा उद्धार हो रहा है, एक दिन हमारा उद्धार होगा। प्रभु यीशु मसीह ने हमारे लिए एक स्थान तैयार किया है। हम यीशु के साथ हमेशा रहेंगे। यह पल भर का क्लेश उसके सामने कुछ नहीं है (2 कुरिन्थियों 4:17)। हम जानते हैं कि इसी जीवन में ही संघर्ष है। हम अंत में जयवन्त होंगे (रोमियों 8:31-39)।

अगर आज आप एक मसीही हैं तो इन सच्चाइयों पर मनन करें। हमने हाल ही में प्रभु यीशु मसीह के पुनरूत्थान दिवस को मनाया। आज भी यीशु मसीह की क़ब्र खाली है। यह ऐतिहासिक घटना इस बात को याद दिलाती है कि परमेश्वर विश्वासयोग्य है। वह अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करता है। यह घटना यह भी याद दिलाती है कि परमेश्वर सामर्थी है। आज भी प्रभु यीशु मसीह जीवित है। इस कोरोना के संक्रमण के समय में इन बहुमूल्य सत्यों पर मनन करें।

अगर आज आप एक मसीही नहीं है तो आप भा इन सत्यों पर विचार करें। अपने पापों से पश्चाताप करें और प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करें। बाइबल बताती है, “और जैसे मनुष्यों के लिए एक ही बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त किया गया है ” (इब्रानियों 9: 27 )। हम सभी को एक दिन परमेश्वर के सामने खड़ा होना पड़ेगा। परमेश्वर हमारा न्याय करेगा। प्रिय मित्र, यदि आप कोरोना वायरस, और सब महामारियों से बचकर अनंत काल के लिए नरक जाएंगे तो क्या लाभ है? याद रखें सब कुछ बंद नहीं है। परमेश्वर हम सबकी सहायता करें।

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अन्शुमन पाल
अन्शुमन पाल

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और प्रभु की सेवा में सम्मिलित हैं।

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